मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 2 अप्रैल 2015

लाल बहादुर शास्त्री अकादमी और सुरक्षा

                                                             देश की सबसे बड़ी प्रशासनिक सेवा आईएएस के चयनित अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग के लिए मसूरी में चल रहे लाल बहादुर राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में जिस तरह से एक महिला के फ़र्ज़ी पहचान पत्र के आधार पर छह माह तक आईएसएस बनकर रुकने की घटना का खुलासा हुआ है उसके बाद अकादमी से लगाकर उत्तराखंड पुलिस तक में हड़कम्प मचा हुआ है. प्रथम दृष्टया यह मामला अपने पद के दुरुयोग से जुड़ा हुआ है क्योंकि अभी तक जिस तरह की सूचनाएँ सामने आ रही हैं उनसे यही लग रहा है कि अकादमी के ही एक वरिष्ठ अधिकारी के मौखिक आदेश पर इस महिला को गार्ड के आवास पर ठहराया गया था पर मामला खुल जाने पर उस गार्ड को निलंबित कर बड़े अधिकारियों को बचाने का खेल शुरू हो चुका है. इस पूरे संस्थान की सुरक्षा ज़िम्मेदारी देश की सर्वश्रेष्ठ भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों के हाथों में रहती है और सुरक्षा का आलम यह है कि उत्तराखंड राज्य के अधिकारियों को भी कड़ी सुरक्षा एवं आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही प्रवेश दिया जाता है तो यह महिला आखिर किस तरह से इतना लम्बा समय वहां पर आराम से गुज़र सकी ?
                           देश के उच्च सुरक्षा वाले अति महत्वपूर्ण संस्थान की सुरक्षा में यदि इस तरह की चूक वाली घटना हो सकती है तो अन्य स्थानों पर भी संभव है पर आज दोषी को सजा दिए जाने के स्थान पर उस गार्ड को निलम्बित किया जा रहा है जिसने केवल अपने उच्चाधिकारी की बात का अनुपालन ही किया था ? इस मामले की तह तक जाने और दोषी को सज़ा दिए जाने की आवश्यकता इसलिए भी है कि इस तरह की किसी अन्य घटना में आतंकी या अन्य देश विरोधी तत्व भी वहां आसानी से घुसपैठ बना सकते हैं और देश विरोधी हरकतें कर सकते हैं ? इस तरह के मामलों को दबाये जाने से जहाँ निजी लाभ के लिए इस तरह के गैर कानूनी और सुरक्षा को दांव पर लगाये जाने वाले अधिकारियों को शह मिलती है वहीं निर्दोषों को सजा दी जाती है अब केंद्र सरकार को कड़े कदम उठाते हुए बिना किसी विलम्ब इस मामले में दोषियों को निलंबित करना चाहिए जिससे आने वाले समय में इसकी निष्पक्ष रूप से जांच की जा सके और भविष्य में इस तरह की कोई और घटना न होने पाये इसके लिए भी समुचित उपाय किये जाने चाहिए.
                           भारतीय परिवेश में जिस तरह से कानून को बड़ों के कहने पर तोड़ने या शिथिल करने की घटनाएँ लगातार सामने आती रहती हैं तो अब उनसे बचने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर एक कठोर आचार संहिता का निर्माण करना चाहिए तथा किसी भी राज्य या केंद्र स्तर के किसी भी अधिकारी की लापरवाही मिलने पर सब पहले उसे पद से हटाकर दूसरे स्थान पर भेजने की अनिवार्य शर्त होनी चाहिए जिससे पूरे मामले की निष्पक्ष जांच संभव हो सके. केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले इस संस्थान में इतनी बड़ी सुरक्षा चूक को हलके में नहीं लिया जा सकता है क्योकि यदि इस बार चूक की गयी तो आने वाले समय में अन्य स्थानों पर भी इस तरह की गतिविधियाँ किसी बड़े सुरक्षा सम्बन्धी संकट को जन्म दे सकती हैं. देश के महत्वपूर्ण संस्थाओं की जिस स्तर पर सुरक्षा की व्यवस्था बनाई गयी है उसमें किसी भी तरह की चूक की कोई संभावनाएं नहीं हैं पर जब बड़े पदों पर बैठे हुए लोग ही इस तरह से स्थापित नियमों का उल्लंघन अपने मौखिक आदेशों से करने लगेंगें तो सुरक्षा को किस तरह से चाक चौबंद रखा जा सकेगा.       
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