मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 4 अप्रैल 2015

चेंजिंग रूम महिलाओं की निजता

                                                        गोवा के फैब इंडिया मॉल में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा छिपे हुए कैमरे को देखने पर उसकी शिकायत स्थानीय विधायक के माध्यम से की गयी उससे यही पता चलता है कि सुरक्षा के लिए लगायी गयी इस तकनीक का किस स्तर तक इन बड़े संस्थानों के साथ छोटे छोटे माल्स में भी दुरूपयोग किया जा रहा है. ऐसा नहीं है कि ऐसा पहली बार हुआ है क्योंकि पूरे देश में लगभग हर क्षेत्र से कभी न कभी इस तरह की घटनाएँ सामने आ चुकी हैं पर सरकार और प्रशासन ने इसे नैतिकता के आधार पर संचालकों पर ही छोड़ रखा है कि वे इस बात को सुनिश्चित करें कि उनके यहाँ इस तरह की कोई भी गतिविधि किसी भी स्तर पर संचालित नहीं की जाएगी. आज पूरी दुनिया में सुरक्षा सम्बन्धी चिंताओं को देखते हुए सरकार और प्रशासन निजी संस्थानों ने सीसीटीवी लगवाने की अपेक्षा करता है क्योंकि किसी भी विपरीत परिस्थिति में इन सबसे की गयी रिकॉर्डिंग से बहुत सहायता मिल जाया करती है साथ ही आज अधिकांश संस्थान अपने यहाँ कर्मचारियों और ग्राहकों पर नज़र रखने के लिए भी इसी तरह का प्रबंध भी किया करते हैं जिससे व्यवस्था बनी रह सके पर आज इस सुविधा का जिस तरह से दुरूपयोग किया जा रहा है उस परिस्थिति में महिलाएं अपने को कहीं भी सुरक्षित नहीं पा रही हैं.
                     आखिर इस तरह की किसी भी समस्या से निपटने के लिए सरकार किस हद तक कानून बना सकती है या फिर पुलिस किस स्तर तक दखल दे सकती है आज इस पर गंभीरता से विचार किये जाने की आवश्यकता है क्योंकि यदि इस पूरे मामले को इसी तरह से छोड़ा जाता रहा तो इन ख़ुफ़िया कमरों से ले गयी फुटेज किसी मासूम की ज़िंदगी में बड़ा बदलाव भी ला सकती है. सरकार की भूमिका केवल कानून के बनाने तक ही सीमित हो सकती है और प्रशासन उस पर अमल ही करवा सकता है पर असली समस्या जो इन संस्थाओं में काम करने वाले उन चंद लोगों की मानसिकता का है जिनकी नज़रों में स्त्री केवल भोग्या ही है और वे अपनी कुंठाओं को शांत करने के लिए इस तरह की घटिया हरकत करने से बाज़ भी नहीं आते हैं. सबसे पहले इन संस्थानों में सीसीटीवी से जुड़े किसी भी काम को करने वाले हर व्यक्ति की मानसिक स्थिति में नज़र रखने की व्यवस्था की जानी चाहिए क्योंकि इस तरह की हरकतें करने वाले लोग मानसिक रूप से स्वस्थ तो नहीं कहे जा सकते हैं तो फिर इन लोगों के पास इतनी महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी कैसे सौंपी जा सकती है ?
                     इस तरह के किसी भी मामले में संचालक कम्पनी के साथ संस्थान के स्थानीय प्रबंधक और तकनीकी विभाग को संभाल रहे व्यक्ति पर कठोर कार्यवाही करने के प्रावधान किये जाने चाहिए. इस घटना के सामने आने के बाद यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने जिस तरह से ऐसी किसी भी घटना की ज़िम्मेदारी सम्बंधित थाना प्रभारी पर कल से ही डाल दी है वह अपने आप में सही कदम तो है पर कई बार काम के बोझ से दबी पुलिस इसे कितनी संजीदगी से निभा पायेगी यह तो समय ही बता सकता है. कई बार कई थाना प्रभारियों द्वारा इन संस्थाओं को अपने पद का दुरूपयोग कर धमकाया भी जा सकता है जिससे निपटने के लिए भी कोई सही तरीका अपनाया जाना चाहिए जिससे व्यापारियों को भी किसी तरह की दिक्कतों का अनावश्यक रूप से सामना न करना पड़े. इस मामले में सबसे बेहतर यह हो सकता है कि हर थाना क्षेत्र में पुलिस द्वारा समाज के स्थानीय प्रतिष्ठित नागरिकों और सेवानिवृत्त अधिकारियों/ कर्मचारियों की एक समिति बनायीं जाए जो स्थानीय समस्याओं के साथ इस मसले पर भी पुलिस के साथ सामंजस्य बनाने का काम करे. इस तरह के प्रयास से जहाँ पुलिस पर काम का बोझ नहीं बढ़ेगा वहीं समाज की सही भागीदारी हो जाने के बाद समस्या को सही तरीके से निपटने में भी सहायता मिल सकेगी.      
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें