मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

रेलटेल से रेलवायर तक

                                           भारतीय रेल की देश के अधिकांश भागों में पहुँच के कारण उसके माध्यम से देश की धड़कनों को चलाये रखने की बात ऐसे ही नहीं कही जाती है क्योंकि देश के किसी भी हिस्से में यात्रा के दौरान रेल का एक अलग भी बिलकुल देशी संस्करण सामने आता है और उसमें क्षेत्र, भाषा राज्य बदलने से कोई अंतर पड़ता भी नहीं दिखाई देता है. रेलवे के कुशल परिचालन और आज उपलब्ध बेहतर तकनीक को अपनाने के लिए भारतीय रेलवे ने १९८३ में ओएफसी आधारित नेटवर्क जो अब रेलटेल है की परिकल्पना की थी और १९८८ में मुंबई के चर्च गेट और विरार के बीच ६० किमी का नेटवर्क तैयार कर २८ स्टेशनों पर ओएफसी से ट्रेनों का परिचालन शुरू किया था. आज के समय में रेलटेल के पास लगभग ४५००० किमी का ओएफसी नेटवर्क उपलब्ध है जिसके माध्यम से वह अपनी तेज़ गति की इंटरनेट सेवाओं को पूरे देश में पहुँचाने की कोशिशें शुरू कर चुका है पिछले वर्ष दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में प्रायोगिक तौर पर शुरू की गयी रेलवायर सेवा की सफलता के बाद आज रेलटेल ने इसे उत्तर भारत के राज्यों तक बढ़ाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. रेलटेल का यह प्रयास आने वाले समय में देश के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में भी बड़ी भागीदारी निभाने जा रहा है.
                                      रेलवे के पास अपने संसाधनों को देश के लिए उपयोग में लाने का यह बेहतर तरीका हो सकता है जिसमें कम लागत पर ही वह अपने बेहतर नेटवर्क की सेवा आम लोगों तक पहुंचा सकती है जिससे रेल परिचालन के अतिरिक्त इस सेवा का उपयोग किया जा सकेगा और रेलवे की आय भी बढ़ाई जा सकेगी. आने वाले समय में देश में इंटरनेट का चेहरा तेज़ी से बदलने वाला है और यह अच्छी बात है कि निजी कम्पनियों के साथ बाजार में संघर्ष करने के लिए रेलवे की मिनीरत्न कम्पनी अपने प्रयास शुरू कर चुकी है जिससे उसे निश्चित तौर पर काम करने में आसानी होने वाली है. रेलवे के पक्ष में एक और बात भी जाती है जिसमें उसके ओएफसी के कटने और सेवा बाधित होने की सम्भावना भी कम ही रहती है क्योंकि उसका नेटवर्क रेल की पटरियों के साथ ही बनाया गया है वहां पर किसी भी तरह की अन्य गतिविधियाँ प्रतिबंधित ही रहा करती हैं. रेलवे का स्थानीय केबल ऑपरेटरों के साथ मिलकर आम लोगों को पूरे शहर में ब्रॉडबैंड उपलब्ध करवाना पूरे देश में तेज़ गति के इंटरनेट को लाने में मदद ही करने वाला है.
                                    रेलवे ने जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में आक्रामक रूप से अपने काम को आगे बढ़ाने की कोशिशें शुरू की हैं वे लम्बे समय में उसे बेहतर लाभ देने की स्थिति में पहुँचाने वाली हैं क्योंकि आज निजी क्षेत्र के पास इतना बड़ा ओएफसी नेटवर्क नहीं है और नयी योजना के तहत रेलवे स्टेशन और छोटे हाल्ट के आसपास के पांच किमी के क्षेत्र में रेलवे की तरफ से वाई-फाई नेटवर्क उपलब्ध करने की योजना पर काम शुरू किया जा चुका है. यदि तेज़ गति के नेट की यह परिकल्पना पूरे व्यावसायिक ढंग से संचालित की जा सकी तो कम से कम रेलवे नेटवर्क के पांच किमी के अंदर के क्षेत्र में लोगों को सदैव ही भरोसे वाली तेज़ गति की इंटरनेट सेवा उपलबध हो सकेगी. अब इस काम को पूरे व्यावसायिक तरीके से निचले स्तर तक पहुँचाने की कोशिशें की जानी चाहिए क्योंकि आज भी देश के दूर दराज़ के क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुँच बहुत ही धीमी गति से हो रही है तथा जो कंपनियां इस क्षेत्र में काम कर भी रही हैं उनका पूरा ध्यान केवल शहरी उपभोक्ताओं पर ही है. यदि रेलवायर गंभीरता के साथ आगे बढे तो आने वाले समय में वह उस क्षेत्र में अपनी गहरी पैठ बना सकता है जहाँ आज कोई भी कम्पनी ठीक से काम नहीं कर रही है और देश का वह हिस्सा भी दुनिया के साथ जुड़ने को तैयार बैठा है.        
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