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सोमवार, 24 अगस्त 2015

यूपी और अवैध शराब

                                               राजधानी लखनऊ से सटे हुए जनपद उन्नाव के निम्बहरा गाँव में ज़हरीली शाराब से होने वाली मौतों ने प्रदेश में तेज़ी से चल रहे इस अवैध धंधे की तरफ पूरे देश का ध्यान एक बार फिर से आकृष्ट किया है. देश की सबसे बड़ी आबादी को अपने में समेटे यूपी में आज भी यह धंधा पूरी तरह से चल रहा है और इसमें स्थानीय पुलिस से लगाकर आबकारी विभाग तक के लोग पूरी तरह से शामिल रहा करते हैं जिससे किसी भी शिकायत पर भी कभी कोई कार्यवाही भी नहीं होती है और ये मौत के सौदागर पैसे के दम अपना काम बहुत आसानी से करते ही रहते हैं. प्रदेश की सरकार और पुलिस के सामने इस तरह का अवैध शराब बनाने के धंधे को रोक पाना सदैव ही एक चुनौती रही है और ऐसा भी नहीं है कि सत्ता के गलियारों तक इस बात की पहुँच नहीं है क्योंकि सीएम समेत प्रदेश के आला अधिकारी भी यह अच्छी तरह से जानते हैं कि इस धंधे में किस स्तर पर पर कौन से विभाग शामिल रहा करते हैं तभी घटना की जानकारी मिलते ही सरकार ने एसपी उन्नाव महेंद्र पाल को डीजीपी मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया है और उनके स्थान पर चित्रकूट के एसपी को तैनात किया गया है. इसकी क्रम में जिला आबकारी अधिकारी, स्थानीय आबकारी निरीक्षक और कोतवाली प्रभारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
                                  ऐसा भी नहीं है कि इस तरह की घटना यूपी में पहली बार हुई है क्योंकि यह पुलिस और आबकारी विभाग के साथ कुछ जगहों पर स्थानीय प्रभावी नेताओं के भी इसमें हिस्सा लेने की बातों कि चर्चा खुलेआम होती रहती है और सभी को पता होता है कि इस तरह की देशी शराब कहाँ और किस तरह से उपलब्ध हो सकती है. आज के समय में हम सभी में नैतिक मूल्यों की इतनी गिरावट आ चुकी है कि धन कमाना ही हर व्यक्ति की प्राथमिकता में शामिल हो चुका है जिससे इस तरह से पनपने वाले अवैध कारोबार भी खूब तेज़ी से फल फूल रहे हैं. सामाजिक अराजकता के लिए बदनाम सपा सरकार के समय में ही ऐसा होता है ऐसा भी नहीं यही क्योंकि यह धंधा हर दल के राजनेताओं के हिस्से से ही जुड़ा होता है और जो भी दल सत्ता में होता है उसको उसका हिस्सा पहुँचाया जाने लगता है क्योंकि यदि स्थानीय नेता न चाहें तो पुलिस और आबकारी विभाग चाहकर भी यह काम नहीं कर सकते हैं. राजनीति, पुलिस और प्रशासन के घातक गठजोड़ से यह काम पूरे प्रदेश में धड़ल्ले से चलाया जा रहा है अभी तक इस तरह की दुर्घटनाओं पर कोई कड़े कदम उठाये ही नहीं जाते थे जिससे पुलिस और आबकारी विभाग में लोग मनमानी करने से नहीं चूक रहे थे पर इस बार बड़े अधिकारियों के निलंबन से आने वाले समय में स्थितियां बदल भी सकती हैं.
                                अखिलेश सरकार ने इस मामले के लिए ज़िम्मेदार लोगों को निलम्बित करके निश्चित तौर पर बहुत अच्छा काम किया है पर केवल इतने भर से ही पूरे प्रदेश में अवैध शराब बनाने और बेचने का धंधा नहीं रुकने वाला है. खुद उन्हें इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना पर काम करना ही होगा जिसे कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान को छिपाते हुए सीधे प्रदेश मुख्यालय में इस बात की शिकायत भी कर सके. राज्य में गवर्नेंस में तकनीक का उपयोग जिस तेज़ी के साथ बढ़ रहा है उसका सही लाभ लेने के लिए इस तरह की जन समस्याओं से जुड़े हुए मसलों पर सरकार को एक ऐसा शिकायती फ़ोन नंबर या पोर्टल बनाने के बारे में सोचना ही होगा जिसके माध्यम से जनता अपनी इस तरह की भ्रष्टाचार से जुडी शिकायत को राज्य मुख्यालय स्थित उच्च अधिकारियों तक पहुंचा सके. आज जन सामान्य की पहुँच स्थानीय अधिकारियों तक नहीं हो पाती और पुलिस के पास शिकायत करने जाने का मतलब अपने लिए अधिकांश जगहों पर मुसीबत को मोलने जैसा ही है क्योंकि बिना पुलिस की सहभागिता के इस तरह का कोईभी धंधा नहीं चलाया जा सकता है. अखिलेश ने जिस तेज़ी के साथ इस मामले में कदम उठाया है आज उसी तरह से लगभग हर मामले में सरकार को तेज़ी दिखाने की आवश्यकता है अच्छा होता कि इस मामले में एसपी और जनपद के एडिशनल एसपी के साथ पूरी कोतवाली को भी निलंबित किया जाता और डीएम को तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाता.     
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