मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 14 जनवरी 2017

खादी अब विचार नहीं बाज़ार

                                                 अंग्रेजों से स्वाभिमान और अधिकारों की लड़ाई लड़ते हुए अंग्रेजों की भाषा में जिस "अधनंगे फ़क़ीर" ने देश को खादी पहनने के लिए पिछली सदी में सबसे अधिक प्रेरित किया था वह मोहन दास करमचंद गाँधी भी आज की चापलूसी भरी राजनीति में अपने को नितांत अकेला ही महसूस करते क्योंकि जिस तरह से उनके सपने को आज बाज़ार से जोड़कर पूरी बेशर्मी के साथ केवल आंकड़ों पर ही बात की जा रही है उसे देखते हुए किसी भी परिस्थिति में उन्हें बापू के विचारों का समर्थक तो कहीं से भी नहीं कहा जा सकता है. गाँधी ने तब भारत के चंद शहरों में सिमटे कपडा उद्योग को ग्रामोद्योग के रूप में विकसित करने का काम किया था जब लोग अंग्रेजों के खिलाफ खुलकर बोलने से भी डरते थे विदेशी कपड़ों की होली जलाने जैसे महत्वपूर्ण काम सिर्फ स्वदेशी और ग्रामीण रोज़गार को लेकर ही किये गए थे और खुद गाँधी ने जिस तरह से खादी को केवल वस्त्र नहीं विचार बताया था और अपने स्तर से यह भी सुनिश्चित किया था कि इस पूरे अभियान में कोई भी ऐसा कोई व्यक्ति साथ में न जुड़े जो इस विचारों के साथ पूरे मनोयोग से जुड़ न पाता हो जिसके बाद आम नागरिकों ने पूरी तन्मयता से खादी को अपना लिया था और गांवों तक में लोग खुद के बने वस्त्र पहनने में गर्व महसूस करने लगे थे.
                                     आज उस खादी ग्रामोद्योग विभाग में जिस तरह से गाँधी के विचारों को किनारे करने के रूप में पिछले वर्ष से कुछ प्रयास दिखाई दिए उसके बाद गाँधीवादी लोगों को इससे बहुत ठेस पहुंची है क्योंकि निश्चित तौर पर यह तो नहीं होगा कि खुद पीएम मोदी की तरफ से ऐसा कुछ कहा गया हो पर सरकारी विभागों में चापलूसों ने जिस तरह से गाँधी के दर्शन और विचार पर पीएम मोदी को प्राथमिकता पर रखा वह निश्चित तौर पर सही नहीं कहा जा सकता है. मोदी देश के निर्वाचित पीएम हैं और उनका किसी भी सरकारी विभाग के किसी भी स्थान पर चित्र या विचार छापने का विरोध करना कहीं से भी उचित नहीं कहा जा सकता है पर गाँधी दर्शन के साथ छेड़छाड़ किये बिना ही उनको भी अंदर के पृष्ठों पर कहीं समुचित स्थान दिया जा सकता है. देश के पीएम की गरिमा को भी ठेस नहीं पहुंचाई जानी चाहिए इस बात का भी ध्यान रखना ही होगा पर चाटुकारों को इस बात को इतने हलके में नहीं लेना चाहिए क्योंकि गाँधी के स्थान पर मोदी को लाने से इसकी चर्चा उस स्तर पर पहुँच जाती है जहाँ पर गाँधी और देश के पीएम को नहीं होना चाहिए. १९८४ में देश के युवा पीएम राजीव गाँधी ने जिस तरह से युवाओं में आधुनिकता के साथ खादी का समावेश किया था वह अपने आप में अभूतपूर्व था और उस ज़माने में ब्रांडेड जूते और कपडे पहनने वालों के लिए राजीव गाँधी ने खुद ही खादी को अपनाकर एक आदर्श प्रस्तुत किया था.
                                आज खादी ग्रामोद्योग जिस तरह से अपने इस कदम को बाज़ार के पैमाने पर सही ठहराने में लगा हुआ है उसके साथ उसे यह भी सोचना चाहिए कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के उन अधिकांश लोगों ने खादी के लिए क्या बलिदान दिए हैं जो मुश्किल से गुज़ारा करने लायक वेतन के बाद भी अपने पूरे जीवन केवल खादी ही पहनते हैं और देश के अधिकांश खादी भंडारों में ये लोग "भाई जी" के नाम से मिल जाते हैं पर इनके इस पूरे जीवन के समर्पण के स्थान पर क्या एक दिन में एक करोड़ से अधिक की बिक्री करवाने के प्रेरक होने के चलते पीएम मोदी के काम को इन पर प्राथमिकता दिया जाना उचित है ? ये वे लोग हैं जो अपने जीवन और विचारों से ही खादीमय हैं और इनके अथक प्रयासों के चलते ही आज भी खादी जीवित है. जिस स्वरोजगार की बात गाँधी के खादी दर्शन में थी आज उसकी जगह बाज़ार में मशीनों से बुनी जाने वाली खादी ने ले ली है जिसके विरोध में गाँधी ने यह आंदोलन खड़ा किया था. आज खादी भंडारों में जो खादी के आधुनिक वस्त्र बिक रहे हैं क्या वे गाँधी के खादी दर्शन पर खरे उतर रहे हैं ? क्या आधी धोती पहनने वाले गाँधी के स्थान पर दिन में चार पांच बार अपने कपडे बदलने वाले पीएम मोदी को इतनी सहजता से प्रतिस्थापित किया जा सकता है ? यदि गाँधी से मोदी सरकार उसके वैचारिक संगठन संघ को इतनी दिक्कत है तो गाँधी को बेशक हटा दिया जाना चाहिए पर उनके स्थान पर खुद को स्थापित करने के प्रयास तो कम से कम नहीं किये जाने चाहिए क्योंकि संस्थानों और विचारों के क्षरण को मूल रूप से बदलने के प्रयास में लगे राष्ट्रों को अंत में अपनी जड़ों की तरफ ही लौटना पड़ता है. दुनिया आज भी गाँधी के दर्शन को सर्वश्रेष्ठ मानती है पर हम उनको हटाने के प्रयासों में कहीं खुद का अवमूल्यन तो नहीं कर रहे हैं ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. aaj khadi ko kinare rakhkar neta log poltical kar rhe h....kisi ko bhi khadi se ya gandhiji ko hatakar apne aap(modi) ko ek khadi karanti ke mahanayak ke tor per kosis kar rhe h.......lakin jo vaykti apni chamak damak or din bhar ma 4-5 bar apne chamak damak vale suit change karta ho...fir apne aapko ye kya sabit karna chate h

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