मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 8 जुलाई 2018

व्हाट्सऐप - समाज के लिए खतरा

                                                                        देश में तेज़ी से बढ़ती इंटरनेट की रफ़्तार और उसके साथ आने वाली सुविधाओं के साथ जिस तरह से एक नई तरह की समस्या सामने आ रही है उसके बारे में देश का कानून, सरकार, सोशल मीडिया कंपनियां और समाज तैयार किसी भी स्तर पर तैयार नहीं दिखता है जिसके चलते विशेष उद्देश्यों से फैलाये गए सुनियोजित उन्माद या अफवाह से आज देश के विभिन्न हिस्सों से भीड़ द्वारा निर्दोषों की हत्या किये जाने की घटनाओं में निरंतर वृद्धि होती जा रही है. आंकड़ों के अनुसार जिस तरह से अब भारत में २० करोड लोगों के हाथों में स्मार्ट फ़ोन हैं और जिस तेज़ी के साथ इंटरनेट की कीमतें गिरी हैं उसके चलते अब समाज के हर वर्ग तक इसकी पहुँच हो चुकी है जो कि चाहे अनचाहे इस तरह की समस्याओं को जन्म देने का काम कर रही है. आज जिस तरह से भारत सरकार ने व्हाट्सऐप से इस तरह की झूठी और भ्रामक ख़बरों को रोकने के लिए कम्पनी से कड़े कदम उठाने के लिए कहा है और कपनी ने भी इस मसले पर कुछ करने की बात कही है केवल उतने से निर्दोषों की हत्याएं नहीं रुक सकती हैं क्योंकि इसमें देश के राजनैतिक दल और प्रिंट मीडिया के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का भी बहुत बड़ा हाथ है और जब तक ये सब मिलकर प्रयास नहीं करेंगें यह स्थिति बदलने वाली नहीं है.
                                                             इस पूरी समस्या के तह में जाने के लिए हमें २०१३ की तरफ लौटना होगा जब नरेंद्र मोदी ने भाजपा के मुख्य चुनाव प्रचार में सोशल मीडिया का भरपूर दोहन किया था और आज यह स्पष्ट हो चूका है कि केवल वोट मांगने और समाज में राजनैतिक लाभ के लिए उनकी तरफ से जो सुनियोजित अभियान चलाया गया था उसने मनमोहन सरकार की छवि को बहुत धूमिल किया जिसका असर चुनाव परिणामों पर भी दिखाई दिया था. आज यह सामने आ चुका है कि उस समय भाजपा की सोशल मीडिया टीम समेत खुद मोदी ने जिस तरह झूठ का सहारा लेकर प्रचार किया था तो क्या आज के समय में बढ़ रहे दुरूपयोग के लिए उनको दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए ? आज भी लगातार जिस तरह से भाजपा के कट्टर समर्थक विपक्षी दलों पर हमलावर हैं उसको देखते हुए आखिर इस सबकी ज़िम्मेदारी किस पर डाली जा सकती है ? क्या हमारा देश ऐसा था जिसमें किसी विपक्षी दल की प्रवक्ता को सीधे उसकी बेटी से रेप करने की धमकी दी जा सकती थी?  मानसिक रूप से विक्षिप्त कोई व्यक्ति ऐसा करे तो उसका कोई अंतर पड़ता पर जब सत्ताधारी दल के शीर्ष नेता उस व्यक्ति को फॉलो कर रहे हों तो यह अवश्य ही चिंता का विषय होना चाहिए। क्या खुद पीएम और शीर्ष भाजपा नेताओं को इस मुद्दे पर सोचकर सबसे पहले अपने यहाँ सुधार का प्रारम्भ नहीं करना चाहिए ?
                                   सरकार को स्पष्ट रूप से कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है क्योंकि कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं की निजता का हवाला देकर अपनी उस सामाजिक ज़िम्मेदरी से पल्ला नहीं झाड़ सकता है जिसके दम पर उसका व्यापार चल रहा है? निःसंदेह उपभोक्ताओं की निजता सम्मान होना चाहिए पर जब यह निजता समाज और मानवता के लिए खतरा बनने की तरफ अग्रसर हो तब निजता का खोखला आवरण उधेड़ देना चाहिए। यदि इन सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा निजता का रोना रोया जाता है तो उनको अपने काम काज को समेट्ने के लिए कह देने का समय आ चुका है क्योंकि पहले भी निजता के लेकर बहुत तरह की समस्याएं सामने आयी थीं जिसके चलते बीच का राह निकाला गया था पर आज संभवतः सरकार अपनी चिंताओं को केवल चिंता के स्तर तक ही रखना चाहती क्योंकि आगामी आम चुनावों में भाजपा को इस मीडिया का एक बार फिर से दोहन करना है जिसके चलते वह कोई कडा कदम उठाने के बारे में सोच भी नहीं सकती है. आखिर किसी शहर में कानून व्यवस्था की समस्या सामने आने पर आज वहां का प्रशासन इस बात का निर्णय लेता हैं कि इनटरनेट को बंद क्र दिया जाये तो क्या इससे समस्या का समाधान हो जाता है? आज आवश्यकता है कि किसी भी स्थान पर भीड़ द्वारा किये गए इस तरह के कृत्य में हत्या होने के बाद उस स्थान विशेष पर कम से कम एक हफ्ते के लिए इंटरनेट को दंड स्वरुप बंद किया जाए. किसी भी राजनैतिक दल के लोगों के शामिल होने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही के साथ आगामी दो चुनाव लड़ने पर भी रोक लगायी जानी चाहिए जिससे सभी सम्बंधित पक्षों के साथ बराबर की सख्ती का सन्देश समाज में जा सके.

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें