मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 16 मई 2020

गांवों की सतर्कता

                                                 देश भर के बड़े शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों से अपने घरों की तरफ जाने वाले मजदूरों के लिए अब एक नई तरह की समस्या सामने आ रही है जब वे किसी भी तरह से लम्बी परेशानियाँ झेलकर अपने खुद के गाँव में पहुँच रहे हैं तो वहां इन लौटते मजदूरों से कोरोना फैलने के भ्रम और अफवाह के चलते बहुत जगहों पर उन्हें अपने घरों तक जाने नहीं दिया जा रहा है. यह एक ऐसी समस्या है जिससे केवल सही जानकारी के द्वारा ही निपटा जा सकता है. अभी तक जो कुछ भी जानकारियां देश में थीं उनका भी दुरूपयोग ही किया जा रहा है. देश की बड़ी आबादी ने पहले तो इस संकट को समझा ही नहीं फिर जब समझने की कोशिश की तो अब ज़्यादा सख्ती करने के चक्कर में अधिकांश लोग अपने लोगों को ही गाँव में आसानी से स्वीकार नहीं कर रहे हैं जिससे पुलिस का काम अनावश्यक रूप से बढ़ता जा रहा है.
                                       एक तरफ जहाँ ग्रामीण भारत का बड़ा हिस्से जिस तरह से इस बीमारी के प्रति सचेत दिखाई दे रहा है वहीं अभी भी कुछ जगहों से ऐसी ख़बरें भी सामने आ रही हैं कि लोग खुद ही भीड़ के रूप में इधर उधर घूम रहे हैं और खुद के साथ अन्य लोगों को भी संक्रमण के खतरे में डाल रहे हैं. आज की परिस्थिति में सभी को आवश्यक कार्यों के लिए ही आवश्यक दिशा निर्देशों का पालन करते हुए घरों से निकलना चाहिए जिससे समाज में संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. ग्रामीण भारत में आज आवश्यकता है कि सभी लोग इस बात के लिए जागरूक किये जाएँ जिससे उनको खतरों का आभास तो हो ही साथ ही वे अपने लोगों को भी सही तरीके से घरों तक जाने में बाधा भी न बनें. यह सही है कि शहरों के मुक़ाबले अधिक स्थान में कम लोगों के रहने के चलते भी गाँवों में संक्रमण का फैलाव थोड़ा कम स्तर पर होता है पर संक्रमण फैलने पर समस्याएं गांवों में भी उसी तरह से सामने आती हैं.
                   इस परिस्थिति से निपटने एक लिए अब समाज को सरकार के कोरोना से बचाव के नियमों का कड़ाई से अनुपालन सीखना होगा जिसमें खुद को संक्रमण से बचाने के उपायों के साथ ही क़्वारण्टीन किये गए लोगों के साथ किये जाने वाले व्यवहार पर भी ध्यान देना होगा। प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्यों, ग्रामीण स्वास्थ कार्यकर्ताओं, चौकीदार और ग्राम विकास विभाग के कर्मचारियों को मिलकर गांवों में नज़र रखने के लिए स्थानीय स्तर पर समितियों का गठन किया जाना चाहिए जिससे वहां आने वाले मजदूरों को सही ढंग से १४ दिनों तक निगरानी में रखा जा सके और आम लोगों के दिलों में उठने वाले सवालों के भी सही तरह से जवाब दिए जा सकें. घर के किसी एक सदस्य को ही आवश्यक कार्यों से बाहर निकलने की सीमित अनुमति होनी चाहिए और उसको भी आम लोगों से दूर रहने की सही जानकारी दी जानी चाहिए। इस तरह से कुछ मौलिक सवालों के बारे में लोगों को सही उत्तर देकर इस समस्या से सही ढंग से निपटा जा सकता है और पूरे ग्रामीण परिवेश में करोनके संभावित संक्रमण को रोकने हेतु  प्रभावी कदम भी उठाये जा सकते है.  
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