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शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009

बड़े अस्पताल अब दूर नहीं..

एक ख़बर आई कि अब उत्तर प्रदेश, बिहार में दिल्ली जैसे उच्च स्तरीय अस्पतालों की स्थापना की जायेगी। चलो अब जा कर सरकार को सुध तो आई कि इन स्थानों पर भी ऐसे अस्पतालों की आवश्यकता है जो वास्तव में गुणवत्ता युक्त चिकित्सा आसानी से उपलब्ध करा सकते हों आज इस बात की अधिक आवश्यकता है कि जो अस्पताल चल रहे हैं उनमें चिकित्सक नियुक्त किए जायें और वे अपने कार्य को पूरी तन्मयता से करें। मात्र अस्पताल बनने से कुछ भी नहीं होने वाला है आज सभी को यह सोचना होगा कि हम अपने कार्य को ठीक से क्यों नहीं करते हैं ? सरकारें योजना बना सकती हैं पर हर योजना का लाभ कौन उठा रहा है इस बात को तो हम सभी को ही देखना होगा। आज कितनी ऐसी योजनायें हैं जिनको चंद लोगों ने कब्जे में कर रखा है, जबकि जिन तक उसका लाभ पहुंचना चाहिए वे आज भी इससे वंचित ही हैं। अब समय आ गया है कि हम सभी अपनी तरफ़ से यह प्रयास करें कि हम अपने यहं पर अपने स्तर से सभी योजनाओं को देखने का प्रयास करते रहेंगें तभी इस देश में कुछ हों पायेगा । मात्र सरकार की तरफ़ ताकने से आज कुछ भी नहीं होने वाला है। हम सभी को कुछ तो करना ही होगा जिससे यह सारा तंत्र कुछ सही रास्ते पर चल सके। आज भी हम सदैव की भांति सोते ही रहे तो यह अस्पताल भी केवल नाम मात्र के ही रह जायेंगें। आज किसी को सैफई के अस्पताल की याद है कि वहां पर कितनी सुविधाएँ थीं और अब वहां पर क्या बचा है ?

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