मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 18 नवंबर 2009

भारत पाक के बीच चीन ?

अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान जारी साझा बयान में ओबामा ने जिस तरह से भारत-पाक संबंधों में चीन की भूमिका की बात की है उसकी किसी भी तरह से आवश्यकता नहीं थी। लगता है किसी बड़े सौदे के तहत अमेरिका ने यह मान लिया हैं कि चीन की कुछ बातें मान ली जानी चाहिए। इस तरह की बातें करते समय क्या अमेरिका यह भूल गया कि भारत उसका प्रान्त नहीं है जिस पर उसका हुक्म चल सकेगा ? फिर भारत-पाक-चीन विवाद में जब चीन ख़ुद ही एक देश है तो वह किस हद तक सही फैसले लेने में सफल होगा यह भी संदेह का विषय है। भारत में चीन को लेकर जो शक हमेशा बना रहता है उसके चलते पाक के मुद्दे पर भारत की कोई भी सरकार उसे बीच में नहीं लाना चाहेगी। अक्साई चिन का कितना हिस्सा आज भी अवैध रूप से चीन के कब्ज़े में है जब उसने ख़ुद ही भारत कि भूमि पर अवैध कब्ज़ा कर रखा है तो ऐसे देश से किस न्याय की उम्मीद ओबामा को है ? क्या किसी विवाद में उलझे पक्ष को उसी समस्या को सुलझाने के लिए कहा जा सकता है ? पता नहीं चीन ने अमेरिका को क्या आश्वासन दे दिया है पर चीन के इतिहास को देखते हुए कुछ समय बाद ओबामा को यह भी सुनना होगा कि उनका यह निर्णय बहुत ख़राब था। चीन और पाक में लोकतंत्र जैसी कोई चीज़ नहीं है पर भारत की सरकार को हर ५ साल बाद जनता को जवाब भी देना होता है तो इस तरह के संवेदनशील मामले पर कोई भी सरकार कुछ भी नहीं करना चाहेगी। भारत ने २६/११ के बाद से जो सीखा है कि जब तक पाक अपने यहाँ से आतंकियों को शरण और मदद देना बंद नहीं करता है तब तक उससे कोई ठोस बात नहीं हो सकती है। ऐसी स्थिति में जब कांग्रेस का ग्राफ देश की जनता में ठीक ही जा रहा है तो वह क्यों इस तरह के मुद्दों को आगे लाना चाहेगी जो उसे कहीं पर असहज कर दें ? फिलहाल और चाहे जो भी हो ओबामा ने इस तरह का साझा बयान जारी कर अमेरिका की नीति को पलटने की कोशिश तो कर ही दी है। जब अमेरिका ख़ुद को इस लायक नहीं समझता कि वह भारत पाक के बीच में आए तो चीन को कैसे लाया जा सकता है? फिल हाल इस मुद्दे पर अभी भारत में गर्मा-गर्मी होने की पूरी सम्भावना है। संसद के शीत कालीन सत्र में विपक्षी इस मुद्दे पर सरकार का पक्ष जानने के बहाने उसे घेरने का प्रयास तो करेंगें ही।

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

3 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा लिखा है आपने... और नयी
    स्थितियों में भारत की दशा का
    अच्छा विवरण दिया |
    शुक्रिया ... ...

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  2. आपने वर्णन तो अच्छा किया मगर साथ ही यह भी कहूंगा कि ये जनाव निहायत स्वार्थी है , अपनी औकात पर आ रहा है धीरे-धीरे, काफी कुछ इस अमेरिकी नेता की हरकते हमारे नेताओ जैसी ही है , बिन पैंदे के लोटे की तरह !ये क्या सीख पायेंगे चीन से कि दड़बा कैसे कायम किया जाता है !

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