देश आज फिर से वंदे मातरम् गाने या न गाने की बहस में उलझा हुआ है। क्या किसी ने इस बात पर कभी विचार किया है कि क्या इस बात से अनजान कोई एक ऐसी दुनिया भी भारत के किसी कोने में हो सकती है जिसे मदरसा कहा जाता है और जहाँ पर वंदे मातरम् के बाद कुरान पढ़ाई जाती है, दोपहर खाने के बाद पढ़ाई शुरू करने से पहले सभी बच्चे गायत्री मंत्र का पाठ करते हैं। यहाँ पर गीता और कुरान साथ में पढ़ाई जाती है..... रुकिए रुकिए यह कोई सपना नहीं है यह भारत में ही हो रहा है और आज कल में नहीं होने लगा बल्कि पिछले ३० सालों से यही चल रहा है... यहाँ पर मदरसे में ३० हिंदू बच्चे भी पढ़ते हैं... .जी हाँ यहाँ बात हो रही है नियामत उलूम मदरसे की जो कि उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले के सतासीपुर गाँव में स्थित है। मदरसे के संस्थापक मौलवी मेहराब हाशिम यह मदरसा पिछले ३० वर्षों से चला रहे हैं। उनका कहना है कि वंदे मातरम में वतन की बात है इससे इस्लाम का कोई लेना देना नहीं है। वे कहते हैं कि धर्म वही है जो साथ रहना सिखाये... जो बाँट दे वह धर्म नहीं हो सकता है। देश होगा तभी धर्म सलामत रहेगा। बच्चों को गायत्री मंत्र पढ़ाने वाला रईस अहमद खुश होकर कहता है कि उसे यहाँ पढ़ने में बहुत अच्छा लगता है। एक और खास बात कि यहाँ पर संस्कृत पढ़ने वाले कोई पंडित जी नहीं वरन अब्दुल कलाम हैं। कुछ भी हो देश में कम से कम कुछ ऐसे स्थान हैं जो देश में धर्म के नाम पर समस्या खड़ी करने के बजाय लोगों में सहयोग और सद्भाव की भावना विकसित कर रहे हैं। यह सबक भाषा और संस्कृति के नाम पर विवाद करने वाले लोगों के लिए एक सबक तो है ही। अच्छा हो कि इस तरह की सोच वाले लोग और सामने आयें जिससे समाज और देश का भला हो सके....
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
ऐसे मदरसे अगर हर गाँव में हों तो क्या बात है। मिसाल है !!! अब लाईट में आ गया है तो इनके आकाओं के तेवर देखियेगा।
जवाब देंहटाएंvande mataram gane ko taiyar hain musalman lekin kya hindu gay ka meat khane ko razi ho jayenge.
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम् ना बोलेंगे और वन्दे मातरम् कहना होगा, दोनों ही सियासती बातें हैं। हमने भी पैंतालीस बरस पहले संस्कृत सरकारी स्कूल में शहर काजी हबीबुल्लाह से पढ़ी है।
जवाब देंहटाएंएक अच्छी बात , मगर सिर्फ मिशाल के लिए या फिर सुर्ख़ियों में आने के लिए ही यह सब नहीं होना चाहिए , हर एक का कर्तव्य है इसे सम्मान देना !
जवाब देंहटाएंsacche dharmik or sacche bhartiy aise hi hote hai.
जवाब देंहटाएंacchi baat batayi hai aapne.
ye huyi na baat..........aaj aise hi jazbaton ki , aise hi himmati aur deshbhakt logon ki jaroorat hai........ye to ek misaal hai apne aap mein........dharm , jati ke naam par ladne walon ke liye ek sabak hai..........magar hamari vidambna to dekhiye ki aise log hi chuupe rahte hain aur jo dharm ke thekedar bante hain wo apna naam banaye rakhne ke liye aapas mein ladwate rahte hain..........hamara poorna sahyog aise logon ke sath hai jo desh ko sabse bada mante hain ...........HAI HIND .
जवाब देंहटाएंइस बात का प्रचार जरूर होना चाहिए ...... जिसिसे कई और लोग भी सीख सकें ..........
जवाब देंहटाएंयह देख कर अच्छा नहीं लगा की किसी वतन की जय बोलने की तुलना धर्म विशेष में पूज्यनीय पशु का मांस खाने से कैसे की जा सकती है ? यहाँ पर इस पोस्ट का उद्देश्य केवल लोगों को यह बताना था कि इसी देश में ऐसा भी चल रहा है ? यदि पोस्ट करने वाले को लगता है कि वह सही बात कह रहा है तो उसे अपने नाम से बात कहनी चाहिए इस तरह से बिना नाम कि विवादित पोस्ट का कोई मतलब नहीं बनता. मेरा प्रयास मुसलमानों से वन्दे मातरम का गायन कराना नहीं है एक ऐसी सूचना जो नेट के साथ जुड़े रहने वाले लोग भी नहीं जानते थे मैं बाँटना चाहता था. पिछले पूरे हफ्ते मैं नासिक/ श्री सैलम की धर्मिक यात्रा पर था जिस कारन ब्लॉग चेक नहीं कर सका था आज ही इस पर उत्तर दे रहा हूँ. कुछ लोगों कि घटिया मानसिकता दिखाने के लिए इस ब्लॉग का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए इसलिए कुछ दिनों बाद यह पोस्ट हटा दी जाएगी
जवाब देंहटाएं