मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 23 दिसंबर 2009

नक्सल प्रभावित राज्य

 देश के गृह मंत्री चिदम्बरम ने २४ तारीख़ को नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिवों/ पुलिस प्रमुखों की बैठक का आयोजन किया है वह ठीक ही है, अभी तक देश में इस समस्या पर खास तौर से कुछ भी नहीं सोचा गया है जिसके कारण बहुत सी समस्याएं सामने आ रही हैं. अच्छा होता कि इस बैठक में इन राज्यों के रेलवे अधिकारियों को भी बुलाया जाता क्योंकि पुलिस के बाद सबसे ज्यादा हानि इसी विभाग को इन आंदोलनों के कारण उठानी पड़ती है. सरकारी स्तर पर जहाँ इस समस्या की तरफ ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है वहीँ ज़मीनी हकीकत की भी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए. क्या कारण रहा है इस समस्या के फैलने में ? जब तक इस बात पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जायेगा तब तक केवल कानून व्यवस्था की बात करने से काम नहीं चलने वाला है.  जैसा कि चिदंबरम ने कहा कि माओवादी आतंक वादी नहीं हैं वह ठीक ही है. जितनी जल्दी हो सके इस तथ्य को समझना चाहिए और इन इलाकों में विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. जब आम जनता तक विकास की किरण पहुंचेगी तभी वह अपने को देश की मुख्य धारा में शामिल पायेगी जिससे उसके मन में अलगाव के बीज बोना कठिन हो जायेगा. जब सही प्रयासों से पंजाब और जम्मू-कश्मीर में माहौल को सुधारा जा सकता है जहाँ पर बहुत बड़े पैमाने पर विदेशी हस्तक्षेप भी था और है तो केवल विकास और अत्याचार के कारण भटके हुए नागरिकों को सही  मार्ग पर लाने के ठोस प्रयास क्यों नहीं किये जाने चाहिए ? भारत विविधताओं का देश है यहाँ पर बहुत सी बातें तो बिना कारण ही हो जाती हैं और जो कुछ होना चाहिए उस पर किसी का ध्यान भी नहीं जाता है.  झारखण्ड के चुनाव के तुरंत बाद इस बैठक में हो सकता है कि इन नक्सल प्रभावित राज्यों में सरकार कुछ सख्ती से काम करे पर साथ ही यह भी देखा जाना चाहिए कि किसी निर्दोष को इस कारण परेशानी नहीं हो. यह भी सही है कि सशस्त्र संघर्ष में सुरक्षा बलों के पास जवाब देने के लिए बहुत काम समय होता है और कई बार निर्दोष भी मारे जाते हैं फिर भी आशा की जानी चाहिए कि यह बैठक कुछ सही और सार्थक देकर जाएगी.
   
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