मंत्रियों के समूह ने जिस तरह से विमान अपहरण करने वालों को मौत की सजा देने का प्रावधान किया है वह बहुत देर से उठाया गया सही कदम है. देश को सुरक्षित रखने के लिए जो कुछ भी बन पड़े किया जाना चाहिए पर कुछ भी करने से पहले उस तरह के हादसों का इंतज़ार भी नहीं करना चाहिए क्योंकि जो समस्या आज दूसरे देशों के साथ है वह कल हमारे साथ भी हो सकती है. बेहतर हो कि इन सबसे निपटने के लिए एक बार में ही आतंक निरोधी कानून बनाकर सारे संशोधन कर लिए जाने चाहिए. भारत में बहुत सारे मंत्रालयों के जुड़े होने से कुछ काम जल्दी नहीं हो पाते हैं इसके लिए सीधे ही गृह मंत्रालय में एक आतंक निरोधी विभाग बनाकर राज्य मंत्री की नियुक्ति की जानी चाहिए और उससे जुड़े सभी मामले सीधे गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के सामने जाने चाहिए. कानून में ऐसा भी होना चाहिए कि इसकी बैठक को अन्य सभी बैठकों पर प्राथमिकता दी जाये जिससे यह भी अन्य विभागों के निष्क्रिय मंत्रियों की तरह एक खामोश मंत्रालय ही न हो जाये. आतंक के मसले पर जितनी जल्दी हो सके सारे कानूनों में सुधार कर लिया जाना चाहिए क्योंकि ढीले कानूनों के कारण भी इस तरह की गतिविधियाँ करने के लिए आतंकी इन देशों को अधिक निशाना बनाना चाहते हैं कि अगर पकड़ भी लिए गए तो केवल जेल में ही रहना होगा और उम्र क़ैद से ही काम चल जायेगा. इस तरह के ढीले सन्देश आतंकियों के हौसले को बढ़ाने का काम करते हैं. यह सही है कि कड़े कानून होने से पूरी रोकथाम नहीं होती फिर भी घटनाओं की संख्या पर नियंत्रण तो किया ही जा सकता है. एक बार फिर कि जब तक आम जनता खुद ही जागरूक नहीं होगी कोई भी कानून उसे सुरक्षा नहीं दे सकता है. इसलिए अब समय आ गया है कि हम सभी भी चेत जाये और अपने आस-पास कि हर घटना पर ध्यान रखें.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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