क्या कारण है कि भारत सरकार आसानी से कभी भी यह बात आधिकारिक तौर पर नहीं कह पाती है कि पाक में आतंकी ढांचा बहुत मज़बूत है. इस बात को अब विदेश सचिव निरुपमा राव ने भी स्वीकार कर लिया है. उन्होंने कहा कि ज़रदारी ने पाक अधिकृत कश्मीर कि विधान सभा में जिस तरह से भाषण दिया कि पाकिस्तानी कश्मीर के लिए १००० वर्षों तक भी संघर्ष करने के लिए तैयार हैं उसने माहौल में और ज़हर ही घोला है. ताज़ा समय में सीमा पार से घुसपैठ की कोशिशें भी तेज़ हुईं हैं और अटारी सीमा पर जिस तरह से हमला किया गया उससे पता चलता है कि पाक में अभी भी आतंकियों के खिलाफ कुछ भी नहीं किया जा रहा है. केवल दिखाने के लिए ही कभी किसी छोटे मोटे नाम वाले आतंकी को पकड़ कर ऐसी दफाएँ लगायीं जाती हैं जिनसे वे जल्दी ही बरी हो जाते हैं और फिर से अपने संगठन में सक्रीय हो जाते हैं. पाक का हमेशा से ही भारत से विरोध रहा है पर इसका मतलब यह तो नहीं हो सकता कि चाहे जैसे हो भारत के खिलाफ बोला जाये ? आज के समय में भारत सरकार पर भी पाक के खिलाफ़ कुछ करने का दबाव २६/११ के बाद से बराबर ही बना रहता है. यह बात ज़रदारी भी जानते हैं तभी उन्होंने जल्दी में ही कहा कि उनके देश को भारत से ख़तरा नहीं है. पर भारत के लिए पाक अपने पैदा होने के समय से ही ख़तरा रहा है और ऐसे में कोई भी आतंकी घटना पूरे पाकिस्तान के लिए ही ख़तरा बन सकती है. फिलहाल अमेरिका अपनी हरकतों से पाक की अनदेखी कर रहा है सभी जानते हैं कि ९/११ में भी पाकिस्तानियों का हाथ था और यह जानकर भी पाक के खिलाफ कुछ करने के बजाय अमेरिका उसे निरंतर मदद देने की बात करता रहता है. फिलहाल अब भारत में इस बात को लेकर कोई दुविधा नहीं है कि किसी आतंकी हमले के समय भारत को इस बार कोई संयम का पाठ और उपदेश देने की स्थिति में होगा. कई विशेषज्ञ भी इस बात पर अपनी बात कह चुके हैं कि अगली बार भारत से संतोष करने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए और पाक को भी किसी बड़ी कार्यवाई के लिए तैयार रहना चाहिए या फिर उसे आतंकी ढांचे को ध्वस्त करना होगा ... अब पाक को क्या चाहिए यह वही तय करे...
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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