उत्तर प्रदेश में अजीबो गरीब मामले कभी ख़त्म नहीं होते हैं इस कड़ी में ताज़ा मुद्दे में प्रदेश के खेल मंत्री अयोध्या प्रसाद पाल द्वारा अपने बेटे की शादी इसलिए तोड़ दी गयी कि उनकी ५० लाख रूपये की मांग को पूरा करने में चित्रकूट के एक डाक्टर असमर्थ थे. समझ में नहीं आता है कि इस तरह के पदों पर बैठे लोगों की सोच इतनी घटिया कैसे हो सकती है ? आज के समय में क्या पैसा ही सबसे महत्वपूर्ण है ? यह सही है कि देश में दहेज़ हमेशा से ही एक कुरीति रहा है और आज भी न जाने कितनी योग्य लड़कियां केवल दहेज़ न जुटने के कारण ही अविवाहित रह जाती हैं और न जाने कितनों को शादी के बाद प्रताड़ित किया जाता है ? मामला तब और भी संगीन और शर्मनाक हो जाता है जब मंत्री पद पर बैठा व्यक्ति भी अपने बेटे की नीलामी करने की तरफ चला जाता है. दहेज़ का जाति बिरादरी से कुछ भी लेना देना नहीं होता यह तो सभी लोगों में सामान रूप से फैला हुआ ज़हर है.
इस मामले की पूरी जांच करायी जानी चाहिए और यदि मंत्री या लड़की वाले जो भी दोषी हों उनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए जिससे कम से कम सार्वजानिक जीवन में रहने वाले लोगों को देख कर कोई इस तरह का काम दोबारा करने से पहले कई बार सोचने पर मजबूर हो जाये. इस तरह के मामले में सबसे अधिक समस्या लड़की के लिए होती है क्योंकि परिवार पर पड़ने वाला दबाव अंत में उस पर ही भारी पड़ता है. आज भी दहेज़ मांगने वालों की कमी नहीं है पर जब प्रभावशाली लोग ही इस तरह से आगे बढ़कर धन का दुरूपयोग करते नज़र आयेंगें तो कोई और उनसे क्या सीख पायेगा ? हर पहलू पर विचार करने के बाद दोषियों को सजा दी जानी चाहिए पर आज प्रदेश में जिस तरह से पार्टी में रहकर गलत काम करने वालों पर कोई आँखे उठाकर देख भी नहीं सकता है तो इस मामले में क्या कुछ हो भी पायेगा ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
बहुत ही शर्मनाक बात है ऐसे मन्त्री को सडक पर खडा कर जूते लगाने चाहिये। धन्यवाद्
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