अच्छा ही हुआ कि दिल्ली में राज्यों के मुख्य सचिवों की बैठक में प्रधान मंत्री ने जिस तरह से यह कहा कि सभी राज्यों को मिलकर मंहगाई से निपटने की योजना तैयार करनी होगी वह निश्चित ही समय की मांग है. किसी एक राज्य में कीमतों पर काबू रख कर पूरे देश में इन्हें नियंत्रित नहीं किया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जिस तरह से खाद्य वस्तुओं की कमी हो रही है उससे उत्पादन बढ़ा कर ही निपटा जा सकता है. इसके लिए पूरे भारत में कृषि मंत्रालय समेत सभी को प्रयास करने होंगें. केवल नीतियां बनाने से अगर काम चलने वाला होता तो बहुत प्रयास किये जा चुके हैं. सबसे बड़ी समस्या आबादी के कारण उत्पन्न होती है और फिलहाल भारत की आबादी के कारण बहुत कुछ पिछड़ा पन सामने आता है. आज के समय में सरकार लोगों को यह समझा पाने में असफल ही रही है कि छोटे परिवार के क्या लाभ होते हैं और कुछ स्थानों पर केवल वोटों के लालच में भी कुछ नहीं किया जा रहा है.
आज देश में किसान ने अपने कुछ लाभ के लिए नयी फसलों पर ध्यान देना शुरू कर दिया है जिसके कारण भी फसल चक्र गड़बड़ाया हुआ है. ऐसे में राज्यों के कृषि विभागों को किसानों को उचित प्रोत्साहन देकर सभी फसलों को लगाने के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए. आज किसी भी राज्य में फसलों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिस कारण देश में खुद ही खाद्य पदार्थों की कमी होती जा रही है. अब भी समय है कि सभी तरह की फसलों के उचित उत्पादन पर ध्यान दिया जाये जिससे इस तरह की समस्या आगे बढ़ने के बजाय कम हो जाये. एक बात और कि देश में कुछ भी आयात करने के लिए एक समिति होनी चाहिए जो समय के अनुसार हर तरह के निर्णय करने में सक्षम हो. उसे किसी एक दल के लोगों के बजाय सर्व दलीय होना चाहिए. इस देश में मनमोहन सरकार ने बहुत सारी नयी बातें की हैं और हम आशा कर सकते हैं कि इस तरह की भी कोई व्यवस्था वर्तमान सरकार के द्वारा कर दी जाये जिससे खाद्य आदि मसलों से जुड़ी किसी भी बात पर तुरंत निर्णय लिया जा सके.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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