मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

पारिख समिति और हम

सरकार के सामने आज पेट्रोलियम पदार्थों के दाम को काबू में रखने की बहुत बड़ी चुनौती है. यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें चाह कर भी सरकार कुछ अधिक नहीं कर सकती है. आज के समय जब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें एक बार फिर ७५ डालर तक हो गयी हैं तो सरकार कब तक तेल कंपनियों पर दबाव बना सकती है ? देश में सरकारी क्षेत्र के बहुत सारे उद्योग सिर्फ इसलिए ही ख़त्म हो जा रहे हैं क्योंकि उन पर सरकार का दबाव बहुत अधिक है. यह सही है कि हर सरकार को जनता का सामना करना होता है और कोई भी यह नहीं चाहता कि सरकार पर जन विरोधी होने का आरोप लगे. पर यहाँ पर एक बात हम सभी को समझनी ही होगी कि कृत्रिम रूप से आख़िर कब तक इन कीमतों को रोक कर रखा जा सकता है ? भारत में हम अपनी ज़रुरत चाह कर भी पूरी नहीं कर सकते हैं क्योंकि उत्पादन का स्तर बहुत कम है. फिर भी आखिर क्यों सभी पेट्रोल आदि पदार्थों को सस्ता ही चाहते हैं ? इस तरह से तो एक ऐसा दिन भी आ जायेगा जब सरकार के पास इन कम्पनियों को देने के लिए पैसे नहीं होंगें तब देश इस समस्या से किस तरह से निपटेगा ?
बेहतर होगा कि हम सभी इस मामले पर ध्यान दें क्योंकि किसी भी मूल्य वृद्धि का सबसे अधिक असर जनता पर ही पड़ता है पर जागरूक जनता होने के कारण क्या यह हमारी ज़िम्मेदारी नहीं बनती है कि देश के नव रत्नों को हम भिखारी न बनने दें ? जब ये नव रत्न ही नहीं रह जायेंगें तो हम  तेल कहाँ से खरीदेंगें ? देश में सबसे पहले किरोसिन की कीमतें बढ़ाई जानी चाहिए क्योंकि जो सहायता सरकार किरोसिन पर देती है उसका बड़ा हिस्सा मुनाफाखोरों तक पहुँच जाता है. गरीब जिसके लिए सरकार यह कहती है कि सहायता दे रहे हैं वह तो बाज़ार से ही बहुत मंहगा तेल खरीदता है और बिचौलिए जम कर काला बाज़ारी करते रहते हैं. घरेलू गैस पर एकदम से नहीं तो हर वर्ष करीब ५० रूपये तो बढ़ाये ही जाने चाहिए क्योंकि तभी इसकी कीमतों को भी सही स्तर तक लाया जा सकेगा. जब यह सारे पदार्थ बिना किसी नियंत्रण के उपलब्ध होंगें तो लोगों के लिए काला बाज़ारी करने के अवसर कम हो जायेंगें. पर आज के समय में हर एक को अपने वोटों की चिंता है और अपनी चिंता में तेल कंपनियों का तेल निकल रहा है यह देखने कि फुर्सत भी किसे है ?
     

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. महंगाई बढने में सबसे ज्यादा भूमिका तेल के दाम और काला बाजारी होती है अगर सरकार जनता के हित की रक्षा नहीं कर तो उसे बने रहने का कोई हक नहीं है

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