मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 17 अप्रैल 2010

गर्मी और पानी....

क्या किसी ने इस बात पर ध्यान दिया है कि इस बार गर्मी ने जिस तरह से अपने तेवर दिखने शुरू किये हैं उसको देखते हुए कहीं पर भी सार्वजानिक रूप से पानी पिलाने की कोई पक्की व्यवस्था कहीं भी नहीं दिखाई देती है जबकि पिछले वर्ष इसी समय हर जगह पर पानी तो क्या शरबत पिलाने तक की भी व्यवस्था हो रही थी. कारण साफ़ है कि तब नेताओं को माननीय बनने की चाह थी तो किसी की पूरी हो गयी तो कोई मुंगेरी लाल की तरह हसीन सपने देख कर ही काम चला रहा है. क्या कारण है कि चुनाव के समय नेताओं की मानवीय संवेदनाएं अचानक ही जग जाती हैं और चुनाव का मौसम ख़त्म होते ही वह सब कुछ समाप्त हो जाता है ? क्या चुनाव में वोट देने तक ही जनता को प्यास लगती है ? क्या वोट देने के बाद जनता अपने नेताओं को नोटों की प्यास बुझाने के लिए छोड़ देती है ? इस देश में जहाँ पुराने समय में आदमियों के लिए तो कौन कहे पशु पक्षियों तक के लिए खेत खलिहान तक में पानी की सुविधा रखी जाती थी कि आखिर इन पक्षियों को पानी कहाँ से मिलेगा ?
        आज के समय में जब सरकारें गिनती के लोगों को पानी मुहैय्या नहीं करा पा रही हैं तो उनसे सारी आबादी के लिए पानी जुटाने की अपेक्षा रखना ही गलत है. ज़रा केवल रेलवे को ही देख लीजिये आजकल किसी भी स्टेशन पर गाड़ी के रुकते ही पानी के लिए किस तरह से मारा-मारी मचती है कभी किसी ने नहीं देखा. बहुत बार हम सभी इस भीड़ वाले पानी के शिकार हो चुके हैं ? आज कल तो पानी के नाम पर रेलों में गन्दा पानी ही पीने को मिलता है जिसके कारण बहुत से लोग बीमार पड़ जाते हैं. क्या रेलवे इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं कर सकती है जिससे लोगों की आवश्यकतानुसार साफ़ पानी मिल सके ?
यह तो हुई सरकारी स्तर पर पानी से निपटने की योजनायें पर क्या नागरिक की हैसियत से हम सभी पानी का दुरूपयोग नहीं करते हैं ? यदि हम पानी की बहुलता वाले हिस्से में रहते हैं तो ठीक वर्ना हमारे पास सरकार को गाली देने के अलावा कोई काम नहीं होता है ? क्या हम अपने आस पास पानी के संरक्षण पर ध्यान देते हैं ? क्या हम कभी सोचते हैं कि हमें तो भरपूर मात्र में पानी मिला हुआ है पर क्यों नहीं हम देश के उन हिस्सों में रहने वाले लोगों के बारे में या अपने ही ट्रेन के सफ़र के दौरान पानी की किल्लत को देखते हुए कभी अपनी तरफ से इसे बचाने की कोई पहल क्यों नहीं करते हैं ? आज भी देश में बहुत सा पानी हमारी लापरवाहियों के कारण बरबाद होता रहता है. हमें अब जल संरक्षण के बारे में बहुत संजीदगी से सोचना ही होगा तभी हम अपने आस-पास के पानी को बचाकर अपने और पर्यावरण के संरक्षण में सहयोग कर सकते हैं.    
  मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

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