मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 11 मई 2010

न्यायपालिका में भ्रष्टाचार चिंताजनक

करीब तीन साल तक देश के मुख्य न्यायाधीश के पद को सुशोभित करने के बाद रिटायर होने की पूर्व संध्या पर न्यायमूर्ति के जी बालाकृष्णन ने न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार की पहुँच होने को चिंताजनक बताया. उन्होंने कहा कि देश में जजों और मुक़दमों की संख्या को देखते हुए अभी भी भ्रष्टाचार कम है जो कि अच्छी बात है और इसको प्रयास करके अभी कम किया जा सकता है. यह सही है कि देश के आम आदमी का आज भी न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है पर जिस तेज़ी से न्याय मिलना चाहिए वह लोगों को नहीं मिल पाता है और बस यहीं से भ्रष्टाचार की शुरुआत हो जाती है. देश में आबादी के अनुसार कोर्ट होनी चाहिए इस बात से सरकार सहमत तो है पर जब बात संख्या बढ़ाने की होती है तो संसाधनों की कमी का रोना रोया जाता है. देश में बहुत सारे अपराध केवल इसलिए ही हो जाते हैं कि पीड़ित पक्ष को समय से न्याय नहीं मिल पाता है और वे हताशा में गलत मार्ग पर चले जाते हैं.
         आज भी यदि सरकार चाहे तो समय बद्ध तरीके से इस सारे मामले को निपटाने का प्रयास कर सकती है पर जब केवल चिंता ही व्यक्त करना सरकार का काम हो जाये तो कुछ नहीं किया जा सकता है. देश में मुक़दमों की संख्या को देखते हुए आज ही सरकार को इस बात पर सोचना चाहिए कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है त्वरित न्याय को आज ही देने के लिए ठोस प्रयास होने ही चाहिए. अचानक कुछ भी नहीं किया जा सकता है पर आज देश की हर तहसील में प्राथमिक न्यायलय तो स्थापित किये ही जा सकते हैं. इनको स्थापित करने में जो खर्च सरकार का होगा वह कुल मुक़दमों पर बोझ कम कर बहुत सारे मानव दिवसों की बचत करा देगा. देश के मानव संसाधनों को ठीक ढंग से उपयोग करना ही आज हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि जब तक हम अपने संसाधनों को सही दिशा में नहीं लगायेंगे हमारा कोई भी लक्ष्य हमें नहीं मिल पायेगा. एक बात और कि जज भी हमारे समाज का हिस्सा हैं और जब समाज में भ्रष्टाचार इतना बढ़ चुका हो तो पूरे न्याय तंत्र में भी कोई भ्रष्टाचार में लिप्त पाया भी जा सकता है. हम सभी को समाज से भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए इसको बढ़ावा देने की प्रक्रिया पर ही रोक लगानी होगी.
          देश आज बहुत आगे जा रहा है पर अच्छे मार्ग पर चलने और सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ लोग छोटे रास्ते को अपनाना चाहते हैं जिसका सभी समाज में कोई स्थान नहीं है. देश में भ्रष्टाचारियों को कड़ी सजा नहीं मिल पाती है और वे आसानी से जेलों से छूट जाते हैं यह भी भ्रष्टाचार बढाने में सहायक हो जाता है क्योंकि लोग देखते हैं कि उक्त व्यक्ति का कुछ नहीं बिगड़ा तो हमारा क्या बिगड़ जायेगा ? अब हमें तय करना ही होगा और भ्रष्टाचारियों के साथ भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए जुटना ही होगा..    



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3 टिप्‍पणियां:

  1. आज भी यदि सरकार चाहे तो समय बद्ध तरीके से इस सारे मामले को निपटाने का प्रयास कर सकती है पर जब केवल चिंता ही व्यक्त करना सरकार का काम हो जाये तो कुछ नहीं किया जा सकता है
    satya hai...............

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