बहुत दिनों के बाद वन्य जीव प्रेमियों के लिए गुजरात से बहुत अच्छी खबर आई है. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शेरों की संख्या के बारे में बताया कि २००५ के मुकाबले इनमें ५२ की वृद्धि हुई है. जिस तरह से गुजरात में सरकार और लोगों ने मिलकर जंगल के राजा की देखभाल की है उससे सारे देश को प्रेरणा लेनी चाहिए क्योंकि बहुत से खतरे में पड़ चुके जीवों के लिए अब सरकारी प्रयासों के साथ जन जागरूकता की बहुत आवश्यकता है. गिरि के शेरों के लिए इससे अच्छी बात क्या हो सकती है कि सरकार के साथ वहां के लोगों को भी उनके द्वारा किया जा रहा नुकसान रास आ रहा है. जल्द ही सरकार को इन लोगों के लिए कुछ ऐसा कर देना चाहिए कि किसी के जानवर को शेरों द्वारा खाए जाने पर उनको शीघ्र मुआवजा दे दिया जाये और उनके लिए अन्य मवेशियों की व्यवस्था करने में पशुपालन विभाग भी अपनी ज़िम्मेदारी निभाए. जब लोगों को लगेगा कि वे अब शेरों के साथ रह सकते हैं तो उनका शिकार अपने आप ही कम हो जायेगा.
वन्य जीव प्रेमियों के लिए यह बात भी काफी सुकून पहुँचाने वाली हो सकती है कि इन शेरों में अब जवान और बच्चों की संख्या काफी अधिक है. ९७ नर और १६२ मादाओं के साथ इनका लिंग अनुपात भी पहले के मुकाबले अच्छा हो गया है. इनमें से ७७ बच्चे १ साल से कम और ७५ अन्य १ से ३ साल के बीच के हैं. २००५ के बाद नए बनाये गए गिरिनार अभ्यारण्य को भी शेरों ने खूब पसंद किया है यहाँ पर अब शेरों की संख्या २४ है. लगभग ७४ के करीब शेर गिर राष्ट्रीय अभ्यारण्य के बाहर महुवा और पालिताना में भी घूमते हुए पाए गए हैं. शेरों के पक्ष में सबसे भावनात्मक बात वहां के नागरिकों ने कही जिसे मोदी ने अपनी बात में सबके सामने रखा. लोगों ने कहा कि शेर हमारा चाहे जितना नुकसान करते रहें हमें मंज़ूर हैं पर मध्य प्रदेश को कोई भी शेर नहीं दिया जाये तभी वे मुख्यमंत्री की बातों पर विचार करेंगें. लोगों की नब्ज़ पकड़ने में माहिर मोदी ने तुरंत ही हामी भरकर देश में शेरों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी दर्ज करने में सफलता प्राप्त की है. ज़ाहिर है कि इसमें सरकारी प्रयासों के साथ नागरिकों की भागीदारी ने बहुत बड़ा योगदान दिया है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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