मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 19 जून 2010

नक्सलवाद और यूएन रिपोर्ट..

संयुक्त राष्ट्र की सालाना रिपोर्ट में भारत के नक्सलवाद से पीड़ित क्षेत्रों को सशस्त्र संघर्ष के रूप में लिखे जाने को लेकर भारत ने अपने राजदूत हरजिंदर सिंह पुरी के माध्यम से कड़ी आपत्ति दर्ज करा दी है. वैसे भी इस तरह का सत्ता के खिलाफ संघर्ष आज आम बन गया है. फिलहाल यह भी सही है कि भारत इस समस्या से बुरी तरह जूझ भी रहा है. वैसे तो काफी दिनों से नक्सलियों की समस्या बनी हुई है पर इधर जिस तरह से उन्होंने बसों और ट्रेनों को निशाना बनाया है उससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भी इस समस्या की तरफ खिंच गया है. वैसे तो यह कुछ भारत विरोधी तत्वों के सहयोग से चलायी जा रही निरर्थक लड़ाई है क्योंकि आज तक कभी भी किसी नक्सली गुट ने आगे आकर अपनी समस्या नहीं रखी है और वे हमेशा से ही बातचीत से कतराते रहे हैं. जब भी उनके साथ सरकार ने नरमी बरती है तो उन्होंने इसका उपयोग अपनी क्षमता को बढ़ाने में ही किया है.
            अब जब पूरे विश्व का ध्यान इस तरफ हो गया है तो भारत को इस मामले में स्पष्टीकरण देना ही था. जिस तरह से भारत हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है उससे बहुत सारे देशों को दिक्कत होने लगी है. अब यह सही समय है कि हमें विकास के अन्य पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इस तरह के विद्रोहियों को समझाने का प्रयास भी करना चाहिए. नक्सली और माओवादी संघर्ष के पक्ष में देश के कुछ बुद्धिजीवी भी अक्सर अपनी कलम चलाते रहते हैं, अगर उनमें इतना ही साहस है तो उन्हें केवल लिखने के स्थान पर इन भटके हुए लोगों को बातचीत की मेज़ पर लाना चाहिए जिससे इस समस्या का स्थायी हल निकाला जा सके. आज यह भी सोचने का विषय है कि इन नक्सलियों और माओवादियों का उपयोग कौन कर रहा है ? जब बंगाल से लेकर उड़ीसा, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश होते हुए ये विद्रोही अपना काम करते जाते हैं तो यह भी देखना चाहिए कि कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकारी नीतियों में ही कोई ख़ामी रही जा रही है या फिर विकास को मुद्दा बनाकर ये आदिवासियों को और पिछड़ा बनाये रखना चाहते हैं ? हम सभी जानते हैं कि इस समस्या से ग्रस्त पूरा क्षेत्र खनिज संपदा के मामले में बहुत संपन्न है तो कहीं ऐसा तो नहीं है कि ये विद्रोही गुट इन स्थानों से कुछ बहुमूल्य खनिजों का अवैध खनन करा कर अपने खर्चे चला रहे हों ?
            फिलहाल चाहे जो भी हो पर भारत सरकार ने इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र को यह बता कर अच्छा ही किया कि यह हमारा आन्तरिक मामला है और इस पर किसी और को परेशान होने कीई ज़रुरत भी नहीं है. दुनिया में पता नहीं कितने देशों में इससे अधिक गड़बड़ी फैली हुई है पर वह कभी किसी को दिखाई नहीं देती पर भारत को ऐसे किसी भी मामले में खींचने का कोई भी अवसर तथाकथित विकसित देश अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं.       


मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

2 टिप्‍पणियां:

  1. नक्सलियों को मार कर हिन्द महासागर में फेंक देना चाहिए। ये बेलगाम खूखांर व नरभक्षी जानवर से भी बद्तर हो चुके हैं। इनका संहार जरूरी है।

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  2. होम मिनिस्टर का कहना है की नक्सल समस्या पर उनके हाथ बंधे है पता करो किसने बांध दिए है राहुल सोनिया देश को बताये बंधे हाथो से देश की सुरक्षा क्यों कराइ जा रही है????

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