मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 21 जून 2010

साइना की जीत....

इस देश में खेल के नाम पर बहुत कम बार ही खुश होने के मौके आते हैं क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारा प्रदर्शन इतना लचर होता है कि हम कहीं भी टिक नहीं पाते हैं. फिर भी व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा में हमारे बहुत सारे खिलाड़ी कभी कभी हमें यह ख़ुशी दे जाते हैं. आज भी यह देश क्रिकेट ओढ़ता और बिछाता है फिर भी गन्दी मानसिकता से खेले जाने वाले तथा कथित भद्र जनों के खेल क्रिकेट में अब कितनी गंदगी भर गयी है इसका अंदाज़ा अभी तक किसी को नहीं हो पाया है. टेनिस, कुश्ती, निशानेबाज़ी और अब बैडमिन्टन ने देश में खिलाडियों की प्रतिभा का बखान तो कर ही दिया पर हमारा खेल तंत्र किसी भी खेल को जीने नहीं देता है. एक बात जिस पर विचार किया जाना बहुत आवश्यक है कि जिस भी देश ने अपने यहाँ एशियाई या ओलम्पिक खेल कराये उसके बाद से वह कुछ खेलों के साथ बड़े देशों को भी चुनौती देने लगे पर भारत के मामले में यह बिलकुल उल्टा ही साबित हुआ है. किसी बड़ी स्पर्धा के बाद हमारा प्रदर्शन और लचर ही हो जाता है.
          आज साइना के प्रदर्शन ने हर भारतीय को गौरव प्रदान किया है अभी तक केवल क्रिकेट का गुणगान करने वाले मीडिया ने भी अब अन्य खेलों में खिलाडियों के प्रदर्शन को खबर के रूप में लेना शुरू कर दिया है जो कि एक अच्छा संकेत है. मीडिया अभी तक क्रिकेट में भारत की हर हार जीत पर पूरे पन्ने रंग दिया करता था और व्यक्तिगत प्रदर्शन करने वाले खिलाडियों के बारे में कहीं कोने में कोई खबर लगा दिया करता था. अब समय के साथ कुछ बदलाव आया है. जब से एशियाई खेलों में बोर्ड ने अपनी टीम भेजने से मना कर दिया है तब से निश्चित तौर पर बोर्ड के बारे में लोगों की ख़राब राय तो बनी ही है. अब भारत में क्रिकेट की एक ऐसी संस्था की आवश्यकता है जो यह तय कर सके कि देश की टीम को कैसे कहाँ पर और कब खेलना है. एशियाई खेलों में टीम न भेजने के फैसले पर बोर्ड की मान्यता रद्द कर दी जानी चाहिए और उसकी टीम को भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली टीम न माना जाये. क्रिकेट के सामने नतमस्तक नेताओं ने ही अन्य खेलों को पनपने का अवसर नहीं दिया है. अब भी समय है कि इस मामले में भूल सुधार ली जाये.
    फिल हाल तो साइना जैसे खिलाड़ियों को बहुत बहुत बधाई है कि उन्होंने इस देश में इत्तनी विपरीत परिस्थितयों में भी अपनी भावना को जिंदा रखकर किसी अन्य खेल को खेलने और उसमें भी ऊपर चढ़ने का जज्बा दिखाया है. साइना देश तुम्हारे साथ है और तुम्हारे जैसे खिलाड़ी ही इस देश से क्रिकेट का बुखार उतार सकते हैं.   


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