मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

ब्लैकबेरी की सहमति ?

दुनिया भर में ब्लैकबेरी फ़ोन सेवा प्रदाता कनाडा की कंपनी ने आख़िर सरकार की सुरक्षा चिंताओं पर शीघ्र ही कोई हल निकालने पर सहमति जताई है. गृह मंत्रालय विशेष सचिव, आंतरिक सुरक्षा यू के बंसल ने कहा कि रिसर्च इन मोशन कम्पनी ने भारत की बात से पूरी तरह से सहमति दिखाते हुए कहा है कि शीघ्र ही वह ऐसे प्रयास करने जा रही है जिससे भारत में इसकी ब्लैकबेरी सेवा का उपयोग करने वाले लोगों के मोबाइल से आने जाने वाली सामग्री को भी आवश्यकता पड़ने पर चेक किया जा सकेगा. अभी तक इस तरह की सुविधाएँ देने से यह कम्पनी कई देशों की सरकारों को मना कर चुकी है. भारत सरकार की तरफ से इस स्मार्ट फोन कम्पनी को पहले ही यह चेतावनी दे दी गयी थी कि अगर वह देश में सेवा का उपयोग करने वालों कि निगरानी के लिए तैयार नहीं होती है तो उसे यहाँ पर अपनी सेवाएं बंद करनी पड़ेंगीं.
       उल्लेखनीय है कि ब्लैकबेरी सेवा को विश्व में सबसे सुरक्षित माना जाता है जिसके कारण से बहुत सारे लोग इसको रखने का प्रयास करते हैं आज भी अधिकांश देशों में इस कम्पनी ने सरकारों को अपनी सेवा की निगरानी करने की अनुमति नहीं दे रखी है. भारत सरकार ने आतंकियों के कारण आने वाली अपनी चिंताएं इस कम्पनी के सामने रखकर यह आदेश दिया था कि अगर इसे भारत में अपने परिचालन को नियमित रखना है तो उसे पूरी निगरानी के लिए तैयार होना पड़ेगा वरना वह अपना कारोबार जब चाहे बंद कर सकती है. एक आंकड़े के अनुसार आज देश में लगभग १० लाख लोग इस सेवा का उपयोग कर रहे हैं अब कोई भी कम्पनी किसी कानूनी पचड़े में फंसकर अपने इतने ग्राहकों को तो नहीं छोड़ सकती है और उसके सामने यह विकल्प भी आ गया है कि कोई उससे अगर निजता के बारे में सवाल करेगा भी तो वह सरकारी नियमों की दुहाई देकर अपने काम को चलाये रख सकती है.
          देश में आज इससे बड़ी सुरक्षा समस्या हमारी अपनी कम्पनियां ही उत्पन्न कर रही हैं जिस तरह से देशी मोबाइल कम्पनियां बिना पता देखे पूरी तरह से चालू सिम कार्ड आज भी बेच रही हैं उसको देखते हुए कोई भी किसी तरह से जालसाजी करके किसी भी दस्तावेज के माध्यम से सिम खरीदकर उसका दुरूपयोग कर सकता है. देश में इस बात पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है कि पहले से पूरी तरह से सभी सुविधाओं से युक्त सिम बेचने पर पूरी तरह से पाबन्दी लगा दी जानी चाहिए क्योंकि इस तरह के सिम का दुरुयोग आज भी हो रहा है पर सरकार और पुलिस तंत्र केवल तभी जागता है जब कोई बड़ी घटना हो जाती है और उसके बाद सिम वाले पते फर्जी निकलते हैं. सबसे पहले एक काम यह किया जाना चाहिए कि सिम बेचने वाले हर विक्रेता का पंजीकरण किया जाये और उसको जितने भी सिम दिए जा रहे हैं उनका नंबर तुरंत कम्पनी की वेबसाईट पर भी डाला जाये जिससे आवश्यकता पड़ने पर यह देखा जा सके कि सिम की बिक्री कहाँ से हुई थी आज के समय में इस तरह की किसी भी निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है. जब सिम भी सब्जी की तरह थोक के भाव बिक रहे हैं तो सुरक्षा के साथ कभी भी समझौता हो सकता है.   

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें