मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 10 सितंबर 2010

धार्मिक पागलपन....

अमेरिका के एक चर्च के पादरी द्वारा ९/११ की बरसी पर जिस तरह से लोगों से मुसलमाओं के पवित्र ग्रन्थ को जलाने की बात कही जा रही है उसने तो वास्तव में धार्मिक पागलपन की हर सीमा को तोड़ कर रख दिया है. सभ्य समाज में इस तरह की किसी भी हरकत की कोई जगह नहीं है. इस तरह के हर कदम को रोकने के लिए पूरी दुनिया को मिलकर सामूहिक प्रयास किया जाना चाहिए. कहीं पर कोई आपसी विवाद होने पर बात को दूसरे तरीके से निपटा जा सकता है पर सुदूर अमेरिका में कहीं पर बसे किसी पादरी द्वारा इस तरह के आह्वाहन करने से धार्मिक असहिष्णुता बढ़ने का खतरा ही अधिक है. यह सही है कि हर जगह सभी को अपनी बात कहने की स्वतंत्रता है पर इस स्वतंत्रता का इस तरह से दुरूपयोग हर हाल में रोका जाना चाहिए.
         जैसा कि सभी जानते हैं कि मुस्लिम समाज में अमेरिका एक खलनायक की तरह माना जाता है और अब इस तरह की किसी बात से मुस्लिम कट्टरपंथियों को यह बात कहने का सुबूत भी मिल जायेगा कि अमेरिका वास्तव में अब भी मुसलमानों के खिलाफ साजिश करने में लगा हुआ है जबकि सच्चाई यह है कि इस तरह की किसी भी घटना से पूरी दुनिया में अमेरिका के लिए बहुत बड़ी समस्या होने वाली है. अभी तक इस तरह के किसी भी काम की अमेरिका सहित पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है पर केवल आलोचना करने से बात नहीं बनने वाली है. आवश्यकता पड़ने पर इस पादरी के खिलाफ कुछ ठोस किये जाने की भी आवश्यकता है. धर्म को अफीम की तरह इस्तेमाल करने वालों को इससे सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि जब बात हाथ से निकल जाती है तो सुधरने और सुधारने की हर कोशिश बेकार ही साबित होती है.
       आज जिस तरह से पूरा मुस्लिम समाज इस बात के लिए चिंतित है उसकी चिंता तब नहीं दिखाई दी थी जब बामियान में ऐतिहासिक महत्त्व की भगवन बुद्ध की मूर्तियों की इसी तरह से पगलाए चंद तालिबानों ने तोड़ दिया था ? समाज में समरसता केवल एक तरफ से नहीं रह सकती है सभी को सभी धर्मों का आदर करना सीखना ही होगा क्योंकि आज के वैश्विक माहौल में इस तरह की घटिया और पुरानी सोच को कोई स्थान नहीं दिया जा सकता है. सारी दुनिया में अगर कहीं पर भी इस तरह के पागलपन को किया जाये तो उसके लिए एक तरह का कानून होना चाहिए और अगर वहां की सरकार इस तरह की घटना को रोक पाने में असफल रहती है तो उसके खिलाफ कुछ प्रतिबन्ध तो लगाये ही जाने चाहिए और यदि तालिबान जैसी कोई सरकार खुद ही ऐसा काम करे तो उसके साथ सभी संबंधों को तोड़ने और उससे व्यापार आदि करने पर भी रोक का कानून होना चाहिए.   

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