जिस तरह से उत्तर प्रदेश में हर मसले पर हर जगह हर तरह के लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं उससे लगता है की देश में अगर भ्रष्टाचार का कोई पैमाना बनाया जाए तो यह प्रदेश अव्वल ही आयेगा ? अभी तक आम जनता में यह सन्देश रहता था कि देश में न्याय व्यवस्था पूरी तरह से निरापद है और इसमें अभी तक भ्रष्टाचार का घुन नहीं लगा है पर जिस तरह से माननीय सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने इस मामले में यह कहकर सभी को चौंका दिया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय से कुछ बू आ रही है और जल्दी ही वहां के मुख्य न्यायाधीश से इस मामले को सख्ती से देखने के लिए कहा है.
जिस तरह से पीठ ने इन जजों के लिए अंकल जज जैसे शब्द का इस्तेमाल किया वह पूरे उच्च न्यायालय के लिए बड़ी शर्मिंदगी की बात है. पीठ ने इस बात पर भी रोष व्यक्त किया कि कुछ जजों के करीबी लोग परदे के पीछे खेल खेल कर न्याय की दिशा को मदने का काम भी कर रहे हैं जिससे न्याय का कोई मतलब ही नहीं रह जाता है. पीठ को कुछ शिकायतों पर विचार करने के बाद ऐसा लगा कि पूरी बिरादरी तो ऐसी नहीं है पर कुछ लोग इस पूरे पेशे को बदनाम करने का खेल खेलने में लगे हुए हैं जिससे लोगों का न्याय से भी भरोसा उठाना तय ही है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि इन जजों के खिलाफ कुछ भी कहने और करने से अवमानना का मामला बनने का खतरा भी रहता है इसलिए भी कोई इस तरह के पचड़ों में फसना नहीं चाहता है.
अच्छा हो कि पूरे देश के उच्च न्यायालयों से जो भी फैसले होकर आयें उन पर नज़र रखी जाये और किसी विशेष जज के खिलाफ अगर ऐसा पाया जाए कि उसके फैसले अधिकतर संदिग्ध ही हैं तो उन पर पूरी नज़र रखी जाये साथ ही पीडितं के पक्ष को ध्यान से सुना जाये जिससे अन्याय न होने पाए ? यह सारा काम केवल सर्वोच्च न्यायालय ही कर सकता है जिससे उसकी ज़िम्मेदारी और बढ़ जाती है. देश में जिस तरह से विभिन्न संस्थाओं की छवि दागदार होती जा रही है उससे तो तो यही लगता है कि जल्दी ही न्याय में भी दाग दिखाई देने लगेंगें......
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
nice
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंखतरनाक बात है... एक न्याय व्यवस्था ही तो है जिस पर भरोसा है.
जवाब देंहटाएंप्रेमरस.कॉम