मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 29 नवंबर 2010

इन्टरनेट २०१२ तक गाँवों में

आख़िर कार देश के गाँवों की अहमियत को समझते हुए वर्तमान संप्रग सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में २०१२ तक पूरे देश के सभी गाँवों को पूरी तरह से तेज़ गति के इन्टरनेट से जोड़ने की दिशा में सही कदम उठा दिया है. इस पूरे कार्यक्रम का लाभ आने वाले वर्षों में दिखाई देगा. आज के समय में गाँवों के विकास केलिए जो भी योजनायें बनायीं जा रही हैं उनमें बहुत बड़ी मात्रा में भ्रष्टाचार दिखाई देता है क्योंकि आज सरकार के पास कोई भी ऐसी व्यवस्था नहीं है जो इस पूरे तंत्र की निगरानी कर सके ? वैसे भारत की विशालता और विविधता को देखते हुए कहीं से भी यह करना बहुत आसान नहीं होने जा रहा है फिर भी यदि एक चरण बद्ध तरीके से इस पर बढ़ना शुरू किया जाये तो यह लक्ष्य आसानी से प्राप्त किया जा सकता है.
   सरकार जिस तरह से १८७० करोड़ रु० लगाकर इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम शुरू कर चुकी है वह देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यदि पूरा देश ब्राडबैंड सुविधा से जुड़ जायेगा जिससे केंद्र या राज्य सरकार द्वारा किये जाने वाले किसी भी काम को करने में और उनकी निगरानी करने में बहुत आसानी हो जाएगी. जब गाँवों तक यह पूरी सुविधा पहुँच जाएगी तो उससे इन योजनाओं से जुड़े किसी भी काम की निगरानी करनी बहुत आसानी हो जाएगी. जिस समय यह योजना पूरी तरह से संचालित होने लगेगी तो पूरे देश के किसी भी हिस्से से कुछ भी पता करना और किसी भी योजना से जुडी किसी भी जानकारी को आसानी से पाया जा सकेगा. जब यह तंत्र पूरी तरह से चालू हो जायेगा तो केवल गाँव ही क्या शहर भी अच्छी तरह से देश के राजधानी से जुड़े रह सकेंगें.
     देश में योजनाओं की कमी नहीं है पर उनको सही ढंग से लागू करवा पाने के तंत्र के न होने से हमारा देश बहुत सारे घोटालों में फँस जाता है. देश के क़ानून की कमियों का लाभ लेकर बहुत सारे लोग किसी भी हद को तोड़ कर घपले करने के लिए तैयार रहते हैं. अब समय है कि किसी भी योजना को ऐसे बनायाजाए कि उससे सम्बंधित हर जानकारी नेट पर उपलब्ध हो और वह जानकारी समय समय पर देश के नागरिकों को भी बताई जाती रहे जिससे आम लोग यह जान सकें कि देश में क्या क्या उपलब्ध है और किन योजनाओं के द्वारा उन तक देश की सरकारें क्या पहुँचाने का प्रयास कर रही हैं ? यह देश की सरकारों को समझना ही होगा कि अब देश के गाँवों को पीछे छोड़कर कोई भी विकास की इबारत नहीं लिख सकता है. देश की आत्मा गाँवों में बसती है और बिना आत्मा के बाकि शरीर कितने दिनों तक और कैसे आगे जा सकता है ?   

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1 टिप्पणी:

  1. अभी तक तो गाँव मैं अगर इन्टरनेट है टी गति ऐसी की ना होने के बराबर है

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