आतंक के मुद्दे पर भारत के राजदूत हरदीप सिंह पुरी को जिस तरह से संयुक्त राष्ट्र में आतंक निरोधी महत्वपूर्ण समिति का अध्यक्ष चुना गया है उससे भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंक से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात को रखने में और भी आसानी होने वाली है. अभी तक भारत हमेशा ही अमेरिका आदि देशों की आतंक पर दोहरी नीति के लिए इन देशों से कहता रहता है अपर उसकी बात को सदैव ही अनसुना कर दिया जाता रहा है. अब जब आतंक से जुडी समिति की अध्यक्षता ही भारत के पास आ गयी है तो वह आराम से अपनी बात को और अन्य आतंक प्रभावित देशों की बात को इस मंच पर प्रभावी तरीके से रख पाने में समर्थ हो सकेगा. आतंक का स्वरुप अब ऐसा नहीं रह गया है जिससे यह कहा जा सके कि दुनिया का कोई भी देश इससे पूरी तरह से सुरक्षित है इस्लामी आतंकियों ने जिस तरह से इस्लाम के रूप को पूरी दुनिया के सामने रखना शुरू कर दिया है वह अपने आप में निम्नतम है. इस कारण से इस्लाम के मायने ही आतंक से लगाये जाने लगे हैं जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है.
अभी तक आतंक के मसले पर जो कुछ भी भारत द्वारा कहा जा रहा था उसका बहुत ही कम प्रभाव संयुक्त राष्ट्र में दिखाई दे रहा था जैसा कि सभी जानते हैं कि भारत जितने लम्बे समय से आतंक से पीड़ित है उसको देखते हुए भारत ने अभी तक जितने संयम से काम लिया है वैसा दूसरा उदाहरण दुनिया में देखने को नहीं मिलेगा कुछ लोग इस संयम को भारत की कमजोरी के रूप में भी देखते हैं. पर अभी तक जिस तरह से भारत ने विश्व मंच पर अपनी संयम के माध्यम से जो पहचान बनाई है वह किसी भी स्तर पर कम नहीं कही जा सकती है. यह सही है कि आतंक के मसले पर भारत ने अभी तक दुनिया में आतंक के सबसे बड़े पोषक और अपने पड़ोसी पाकिस्तान के प्रति जिस तरह से रुख अपना रखा है वह भी अपने आप में अनोखा ही है ? आज जब अमेरिका और अन्य देश भारत को संयम का पाठ पढ़ाते समय यह भूल जाते हैं कि भारत के बराबर किसी भी अन्य देश ने आतंक से इस तरह से पीड़ित होने के बाद भी पाक को सुधरने का हर अवसर प्रदान किया है.
यह सही है कि भारत अब अपनी बात विश्व मंच पर सही ढंग से उठा सकेगा और साथ ही वह इस बात पर भी जोर दे सकेगा कि अमेरिका और अन्य देश पाक के साथ सही ढंग से पेश आयें और उसे यह चेतावनी भी दे दें कि अगर अब भी वह नहीं सुधरेगा तो उसके खिलाफ़ संयुक्त रूप से कोई कार्यवाही की जा सकती है क्योंकि आज के समय में दुनिया में आतंक का जितना बड़ा हिमायती पाक है और दुनिया भर में चल रही इस्लामी आतंकी गतिविधियाँ भी हर तरफ़ से पाक से ही जुड़ जाती हैं ? भारत में पाक ने पंजाब से शुरुआत की थी जब ८० के दशक में खालिस्तान की मांग को लेकर हंगामा खड़ा हो गया था पाक ने अपनी तरफ़ से हर संभव कोशिश की कि इस समय खालिस्तान की मांग को पूरा समर्थन दिया जाए, पाक द्वारा पोषित आतंक जिस तरह से भारत को हमेशा से ही परेशान करता रहा है अगर उतना किसी भी अन्य देश को परेशान किया गया होता तो वह अब तक पाक पर कई हमले कर चुका होता. अच्छा है कि अब भारत के पास अपने संयम के साथ शांति का पाठ पूरी दुनिया को पढ़ाने का समय आ गया है. साथ ही उसकी ज़िम्मेदारी भी बढ़ गयी है यहाँ पर भारत द्वारा किया गया प्रदर्शन आने वाले समय में सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता के लिए एक मंच भी हो सकता है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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