मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 13 जनवरी 2011

केवल रोहतक ही क्यों ?

                रोहतक (हरियाणा) के आई जी वी कामराजा ने जिस तरह से एक विशेष अभियान चलाकर भ्रष्टाचारियों को पकड़ने और उन्हें सजा दिलाने की एक मुहिम शुरू की थी उसके सार्थक परिणाम भी दिखायी दिए हैं. जिस तरह से २१ महीनों में १५ से अधिक सरकारी कर्मचारियों को घूस लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया है उससे तो यही लगता है कि लोग घूस लेने को अपना हक़ समझने लगे हैं ? रोहतक हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा का गृह नगर भी है तो हो सकता है कि इस तरह का अभियान चलने के लिए उन्हें विशेष रूप से कहा गया हो ? अभी तक पूरे देश में हर राज्य में भ्रष्टाचार निवारक संगठन भी सरकारी स्तर पर होते रहे हैं पर इस संगठनों ने ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम शुरू कर दिया था ? आख़िर क्या कारण है कि इतने संगठन और एजेंसियां होने के बाद भी देश में भ्रष्टाचार कहीं से भी कम नहीं होता दिखता है ? कुछ भी कहने और समझने की आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि जिन हाथों में इस पूरे तंत्र की बागडोर सौंपी गयी उन्होंने ही इसे खोखला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
              यह सही है कि इस तरह का अभियान बिहार सरकार अपने दम पर चला रही है और इस बार नयी विधान सभा के सभी विधायकों और मंत्रियों से यह अपेक्षा की गयी है कि वे अपनी संपत्ति का खुलासा सबके सामने करें क्योंकि बिना इसके कैसे पता लग पायेगा कि कौन क्या कर रहा है ? आज राजनीति में आने के लिए ही लोग अकूत धन संपत्ति खर्च करते रहते अहिं और अब तो यहाँ तक कहा जाने लगा है कि कुछ प्रतियाँ अपने टिकट भी खुलेआम बेचने में लगी रहती हैं ? अब जब कोई भी व्यक्ति इस तरह से इतने अनैतिक रूप से राजनीति में आता है तो उससे किस तरह से शुचिता की आशा की जा सकती है ? जब राजनीति को पैसा कमाने का साधन मान लि या गया है तो फिर यहाँ आने वाले सेवा को कैसे जान पायेंगें ? आज आवश्यकता इस बात की है कि जो भी योजना या काम सरकारी कर्मचारियों में भ्रष्टाचार बढ़ाने का काम कर रही हैं उन्हें तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाए क्योंकि जनता का पैसा बिना किसी का हित किये अगर कुछ लोगों की जेबें भरने में लगा हुआ है तो उस प्रक्रिया को तुरंत ही बंद किया जाना चाहिए.
             आख़िर क्या कारण है कि अभी तक किसी अभियान के तहत हम भ्रष्टाचारियों से नहीं लड़ पा रहे हैं ? शायद इसलिए कि अभी तक जनता ने सामने आकर अपना रूप नहीं दिखाया है ? अगर हम यह तय कर लें कि हर काम के लिए हर जगह पैसे मांगने वालों को हम कुछ नहीं देंगें तो शायद कुछ हो सके ? पर हमारे में से कुछ लोग यह भी कह देंगें कि केवल हमारे सोचने और करने से क्या होने वाला है ? हाँ यह भी सही है कि किसी एक के सोचने से कुछ नहीं होने वाला है पर आख़िर कोई तो शुरुआत करेगा हम किसी दूसरे को यह नहीं समझा सकते तो कम से कम खुद ही तो इस मार्ग पर चल सकते हैं और जब इस तरह की सोच रखने वाले लोग धीरे-धीरे बढ़ते जायेंगें तो वे दूसरों पर दबाव बना पाने में सफल हो सकेंगें. चलिए फी भी अगर सरकारी स्तर से कहीं से भी इस तरह से कोई शुरुआत हुई है तो हमें उसका समर्थन करना चाहिए तभी जाकर इस तरह के छोटे स्तर पर चलाये जा रहे अभियान बड़ा रूप लेकर देश से भ्रष्टाचारियों को दूर कर पायेंगें.   

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

5 टिप्‍पणियां:

  1. शायद आज मजबूत इरादों की कमी हो गयी है

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  2. यही बात है...किनारे खड़े रहकर तमाशा देखने से बेहतर है किसी सार्थक पहल को किया जाए। या खुलकर उसका समर्थन किया जाए। आखिर एक कदम तो बड़ा कर देखो यार.....जब आसमां में छेद हो सकता है.....अकेले चलने से कारवां बन सकता है तो देश औऱ समाज के लिए उठाया एक छोटा कदम बड़ा क्यों नहीं हो सकता।

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