मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

पाक आतंक का केंद्र ?

                         अमेरिकी सेना के सर्वोच्च अधिकारी माइक मुलेन ने एक बार फिर से कहा है कि पाक वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बनता जा रहा है ? ऐसा लगता है कि जैसे मुलेन को अचानक ही इस बात एहसास हुआ है ? भारत पिछले दो दशकों से इसी बात को कह रहा है और जब अफ़गानिस्तान में तालिबान ने अपना वर्चस्व बनाया था तब भी भारत ने इस बात को बहुत ज़ोर शोर से उठाया था कि आने वाले समय में दुनिया के किसी भी कोने में किसी भी तरह के इस्लामी आतंक का पाक पोषक बनता जा रहा है तब इस बात पर इन देशों ने को ध्यान नहीं दिया था ? आज जब अफ़गानिस्तान में अमेरिका इन्हीं परिस्थियों से ख़ुद को जूझते हुए पाता है तो अचानक ही जैसे उसके ज्ञान चक्षु खुल जाते हैं और उसे इस बात का एहसास होने लगता है कि पाक ही हर तरह के आतंक का पोषक है ? ऐसा कुछ भी नहीं है आज केवल अमेरिका को पाक के आतंक की आंच महसूस होने लगी है.
                       आज भी अमेरिका पाक को आतंक के विरुद्ध अपनी जंग में अपना विश्वसनीय सहयोगी बताने से नहीं चूकता है ? राजनैतिक स्तर पर आज भी अमेरिका पाक का समर्थन करता रहता है पर सैनिक स्तर पर अमेरिकी सेना के अधिकारियों को पाक के काले कारनामे दिखाई देने लगे हैं ? पाक में जिस तरह से पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या की गयी उससे तो यही लगता है कि कट्टरपंथियों ने कहीं न कहीं से पाक की सरकार तक अपनी घुसपैठ कर ली है. पाक में जिस तरह से इस तरह के कानून बनाकर अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जा रहा है उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में पाक के सुधरने की संभावनाएं बहुत कम है और वहां पर जिस तरह से धार्मिक कट्टरता बढ़ रही है उसको देखते हुए लगता है कि जल्दी ही उसकी गिनती विश्व के सबसे अराजक राष्ट्रों में होने लगेगी.
         कोई भी देश आतंक का पोषण करके आज अपने को आतंक के खिलाफ लड़ने के लिए कैसे तैयार कर सकता है ? पर पाक का जन्म ही इस तरह की दुविधा के साथ हुआ था जिससे आज तक वह उबार नहीं पाया है ? यह प्रकृति का नियम है जैसा बोया जायेगा वैसा ही काटना पड़ेगा. अपनी आज़ादी से आज तक जिस पाक ने अपने ही लोगों के दिलों में केवल धर्म भरा हो और भारत के खिलाफ ज़हर घोलने का काम किया हो तो नयी नस्ल किस तरह से सद्भाव की बातें कर और समझ सकती है ? अब भी पाक के लोगों को वहां के नेता यह समझने नहीं दे रहे हैं क्योंकि अगर वे भी सद्भाव और सहिष्णुता की बातें करने लगे तो आज की पीढियां उनसे यह सवाल भी पूछ सकती हैं कि पाक को बनाकर उन्हें क्या हासिल हुआ ? केवल दुनिया में एक और असफल इस्लामी राष्ट्र का उदय ही तो हुआ ? उसके मुकाबले भारत ने सभी का आदर करके जिस तरह से उन्नति की वह पूरी दुनिया को आज दिखाई दे रही है ? अब भी अगर अमेरिका को पाक की  दोहरी नीतियां नहीं दिखाई दे रही हैं तो इसके लिए कोई और कुछ भी नहीं कर सकता है.... 

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2 टिप्‍पणियां:

  1. लेकिन कोई अमेरिका से पुछे ये अलकायदा किसका बनाया हुआ है। अपने फायदे के लिए अमेरिका ने ही तो इसे सारी चीजें मुहैया करायी थी अफगानिस्तान में ।

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  2. सही लिखा है आशुतोष जी... पाकिस्तान, ईराक, लीबिया, सब जगह आतंकियों ने गजब ढ़ा रखा है.

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