मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 1 मार्च 2011

विशिष्ट पहचान पत्र

                    देश में एक नए युग की शुरुवात करने वाली परियोजना विशिष्ट पहचान पत्र वास्तव में एक बहुत बड़ा बदलाव लाने में सफल होने वाली है. जिस तरह से सरकार ने हर तरह की पहचान में इसी सख्या को उपयोग में लाने के लिए अधिकृत कर दिया है उससे यही लगता है कि अभी तक देश के नागरिकों के सामने जो पहचान का संकट हुआ करता है उससे अब निजात मिल जाएगी. देश की विशालता को देखते हुए कोई भी काम करना बहुत आसान नहीं हुआ करता है पर जिस तरह से केंद्र सरकार इस परियोजना को लागू करने में दिलचस्पी दिखा रही है उससे यह आने वाले समय में देश को बहुत तरह की समस्याओं से निपटने में सहयोग करने वाली है. अभी तक जिस तरह से सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार मचा हुआ है और उसे रोकने के लिए किसी के पास कोई भी तरीका नहीं है उसे देखते हुए यह संख्या भ्रष्टाचार को रोकने में भी बहुत सहायक होने वाली है. देश में जिस तरह से फर्जी पहचान वाले कागज़ कोई भी बनवा सकता है उन्हें देखते हुए यह संख्या बहुत कुछ कर सकती है. अतः इनको बनाए में पूरी सावधानी बरतने की भी आवश्यकता है.
               देश में विदेशी आतंकियों तक के पहचान पत्र और पासपोर्ट सिर्फ इसलिए ही बन जाते हैं क्योंकि कुछ भ्रष्टाचारी लोग चंद पैसों के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं उनके लिए पैसा ही सब कुछ है उन्हें पता ही नहीं होता कि यह चंद पैसे देश के लिए कितनी बड़ी समस्या उत्पन्न करते रहते हैं ? अच्छा ही है कि वतमान सरकार कुछ दूर तक सोच रखते हुए भी बहुत सारे काम करने में लगी हुई है. कोई भी योजना तब तक पूरी तरह से सफल नहीं हो सकती है जब तक उस पर नज़र रखने के लिए कुछ ठोस नहीं किया जाता है और जब कोई ऐसी योजना हो जिसमें रुपयों का तेज़ी से प्रवाह होता हो तो भ्रष्टाचारी लोगों के लिए यह पैसा खाने का एक ज़रिया भी बन जाया करता है. जिस तरह से केंद्र सरकार देश के प्रत्येक गाँव तक ब्रॉड बैंड की पहुँच सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है उससे तो यही लगता है कि आने वाले समय में इन योजनाओं पर कड़ी नज़र भी रखी जा सकेगी. यदि इस तरह की परियोजनाएं सफल हो गयीं तो देश के हर व्यक्ति तक सरकारी योजना आसानी से पहुँच जाया करेंगीं. अच्छा ही कि आने वाले समय में निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवाओं को भी लिया जाना चाहिए.
             इस काम के साथ जो सबसे आवश्यक बात है कि अभी से ही देश के दूर दराज़ के क्षेत्रों में इस ब्रॉड बैंड को चलाने के लिए कंप्यूटर और आवश्यक बिजली के बारे में भी अभी से ही सोचा जाये क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि केंद्र की यह महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी परियोजना भी बिजली की कमी के कारण नौकरशाही के चंगुल में फँस जाये ? जिस तरह से यह परियोजना ज़रूरी है उसी तरह से इसका सही सञ्चालन होने भी ज़रूरी है क्योंकि बिना इसके कुछ भी नहीं हो पायेगा. देश में उपलब्ध संसाधनों के साथ ही सौर ऊर्जा के और सस्ते और कारगर विकल्प बनाने पर भी अभी से ही काम किया जाना चाहिए क्योंकि इस परियोजना में जितनी खूबियाँ हैं वे केवल एक जगह पर ही मात खा सकती हैं कि जब इनको चलाने वाले यंत्रों के लिए बिजली न होने का रोना रो दिया जाए. एक काम और भी हो सकता है कि ज़िम्मेदार अधिकारियों के पास अत्याधुनिक मोबाइल या लैपटॉप हों जिनसे वे हर समय हर जगह किसी भी परियोजना पर नज़र रख सकें और इसके लिए अब एनआईसी को सोचना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि जब तक अन्य काम पूरे हों इन्हें चलाने के लिए भी हमारे पास एक बहुत कारगर तंत्र भी हो. आशा है कि यह योजना देश को हर संभावित ख़तरे से बचने का काम भी कर पायेगी और सरकार के इसे लागू करने की मंशा भी पूरी हो जाएगी.         
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2 टिप्‍पणियां:

  1. योजना क्या है ? अभी तक इसमें कितना कार्य हुआ ? बजट ! इन सब बातों का भी उल्लेख लेख में होता तो बढ़िया रहता।

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  2. राजनीतिबाजों का क्या करेंगे... जो इन सबको भारतीय नागरिकता दिलवा रहे हैं..

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