पुणे के घोड़ा व्यवसायी हसन अली पर जिस तरह से कर चोरी और काले धन के मामले इतने समय से लंबित चल रहे थे आख़िरकार कानून को सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और आदेश के बाद उस पर कार्यवाही करने के लिए तेज़ी करने के लिए काम करना ही पड़ा. इस मसले पर बोलते हुए खुद प्रणब मुखर्जी ने यह कहा कि हसन अली के खिलाफ कानून अपना पूरा काम करेगा पर यहाँ पर सवाल यह अधिक है कि कानून क्या अब देश में केवल सुप्रीम कोर्ट के कहने पर ही काम करेगा वरना वो कान में तेल डाल कर सोता रहेगा ? आख़िर कोई व्यक्ति कैसे इतने लम्बे समय तक इतने बड़े कर की चोरी करके भी आसानी से अपना काम करता रह सकता है ? देश में विभिन तरह की कर चोरी के आरोप में बहुत बार लोग जेल तक हो आते हैं और यह व्यक्ति जिसको २००९ में ४०००० करोड़ रूपये कर अदा करने की नोटिस भी दी जा चुकी हो वह आज भी खुलेआम घूम रहा है ? यह सारी बातें ऐसा संकेत तो करती ही हैं कि कहीं न कहीं से कोई ऐसा जुगाड़ इसके पास है जिसके दम पर अभी तक कोई भी विभाग इस पर हाथ नहीं डाल पाया ? इस व्यक्ति के ख़िलाफ़ ठोस सबूत होने के बाद भी यह कैसे बच रहा था अब उस सूत्र को भी तलाशने की आवश्यकता है और वो कोई भी हो उसको भी हसन के साथ जेल की सलाखों के पीछे भेजना चाहिए.
आज देश में कानून को लेकर बहुत हो हल्ला मचाया जाता है पर जब कानून को लागू करने की बातें आती हैं तो कही न कहीं से कोई छिपकर इस कानून का रास्ता रोकने की कोशिश भी करता दिखाई देता है ? आख़िर क्या कारण है कि देश के विभिन्न विभाग केवल सरकार की ही सुनने की आदत रखते हैं और उन्हें जो काम दिया गया है उस पर वे कम ही ध्यान दे पाते हैं ? आज जिस तरह से प्रशासनिक मामलों में सरकारों का दखल बढ़ता जा रहा है और अधिकारी भी केवल अच्छी पोस्टिंग पाने के चक्कर में केवल नेताओं की चरना वंदना करने में ही लगे रहते हैं उससे तो यही लगता है कि कहीं न कहीं से सब कुछ बहुत गड़बड़ चल रहा है ? यह भी सही है कि पूरे देश में पता नहीं कितने स्थानों पर नियमों और कानून की कमी का फायदा उठाकर कितने लोग सरकारी खजाने को चूना लगाने का काम करने में लगे हुए हैं ? जहाँ कहीं पर किसी कारण से से कुछ मामले आज सबके सामने आ जाते हैं वहीँ पता नहीं कितने मामले छिपे ही रह जाते हैं ? देश में कानून को लागू करवाने और किसी अनियमितता की शिकायत करने का तंत्र इतना कमज़ोर है कि बहुत कम लोग ही इस तरह के मामलों में अपनी शिकायत दर्ज करने की हिम्मत करते हैं और जब पूरा सरकारी तंत्र किसी गलत काम में लगा होता है तो शिकायतकर्ता की सुरक्षा भी ख़तरे में हो जाती है ? देश में कई बार शिकायत करने वाले को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा ऐसे भी अनेक उदाहरण मौजूद हैं.
आज आवश्यकता इस बात की है कि कर विभाग के लिए पूरी तरह से सरकार से अलग एक नियामक बना दिया जाए जिसको पूरे संवैधानिक अधिकार हों और उसे किसी के भी ख़िलाफ़ कर सम्बन्धी जांच करवाने का अधिकार हो, आज जब सारा देश इस बात को मानता है कि मनमोहन ईमानदार हैं तो यह प्रक्रिया इस समय ही शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि आगे आने वाली समय में पता नहीं हालात कैसे हों ? हालांकि यह सब जितना आसान लगता है उतना है नहीं फिर भी वर्तमान सरकार अगर यह निश्चय कर ले कि उसे इस मामले पर कुछ न कुछ करना ही है तो बहुत आसानी हो जाने वाली है केवल पीएम के ईमानदार होने से ही देश तरक्की नहीं कर सकता है देश में ईमानदार प्रधानमंत्री को पूरे देश को ईमानदार बनाने की तरफ ले जाने वाले कुछ काम अवश्य ही करने चाहिए. यह सभी जानते हैं कि अगर लोगों पर छोड़ दिया जाये तो ईमानदारी अपने आप ही आ जाएगी पर इसके लिए देश के नेताओं को भी अपनी ईमानदारी प्रदर्शित करनी होगी. अब अगर मनमोहन ऐसा कोई कदम उठाते हैं तो देश उनको बहुत लम्बे समय तक इस बात के लिए याद रखेगा.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आज देश में कानून को लेकर बहुत हो हल्ला मचाया जाता है पर जब कानून को लागू करने की बातें आती हैं तो कही न कहीं से कोई छिपकर इस कानून का रास्ता रोकने की कोशिश भी करता दिखाई देता है ? आख़िर क्या कारण है कि देश के विभिन्न विभाग केवल सरकार की ही सुनने की आदत रखते हैं और उन्हें जो काम दिया गया है उस पर वे कम ही ध्यान दे पाते हैं ? आज जिस तरह से प्रशासनिक मामलों में सरकारों का दखल बढ़ता जा रहा है और अधिकारी भी केवल अच्छी पोस्टिंग पाने के चक्कर में केवल नेताओं की चरना वंदना करने में ही लगे रहते हैं उससे तो यही लगता है कि कहीं न कहीं से सब कुछ बहुत गड़बड़ चल रहा है ? यह भी सही है कि पूरे देश में पता नहीं कितने स्थानों पर नियमों और कानून की कमी का फायदा उठाकर कितने लोग सरकारी खजाने को चूना लगाने का काम करने में लगे हुए हैं ? जहाँ कहीं पर किसी कारण से से कुछ मामले आज सबके सामने आ जाते हैं वहीँ पता नहीं कितने मामले छिपे ही रह जाते हैं ? देश में कानून को लागू करवाने और किसी अनियमितता की शिकायत करने का तंत्र इतना कमज़ोर है कि बहुत कम लोग ही इस तरह के मामलों में अपनी शिकायत दर्ज करने की हिम्मत करते हैं और जब पूरा सरकारी तंत्र किसी गलत काम में लगा होता है तो शिकायतकर्ता की सुरक्षा भी ख़तरे में हो जाती है ? देश में कई बार शिकायत करने वाले को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा ऐसे भी अनेक उदाहरण मौजूद हैं.
आज आवश्यकता इस बात की है कि कर विभाग के लिए पूरी तरह से सरकार से अलग एक नियामक बना दिया जाए जिसको पूरे संवैधानिक अधिकार हों और उसे किसी के भी ख़िलाफ़ कर सम्बन्धी जांच करवाने का अधिकार हो, आज जब सारा देश इस बात को मानता है कि मनमोहन ईमानदार हैं तो यह प्रक्रिया इस समय ही शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि आगे आने वाली समय में पता नहीं हालात कैसे हों ? हालांकि यह सब जितना आसान लगता है उतना है नहीं फिर भी वर्तमान सरकार अगर यह निश्चय कर ले कि उसे इस मामले पर कुछ न कुछ करना ही है तो बहुत आसानी हो जाने वाली है केवल पीएम के ईमानदार होने से ही देश तरक्की नहीं कर सकता है देश में ईमानदार प्रधानमंत्री को पूरे देश को ईमानदार बनाने की तरफ ले जाने वाले कुछ काम अवश्य ही करने चाहिए. यह सभी जानते हैं कि अगर लोगों पर छोड़ दिया जाये तो ईमानदारी अपने आप ही आ जाएगी पर इसके लिए देश के नेताओं को भी अपनी ईमानदारी प्रदर्शित करनी होगी. अब अगर मनमोहन ऐसा कोई कदम उठाते हैं तो देश उनको बहुत लम्बे समय तक इस बात के लिए याद रखेगा.
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poori vyavastha hi badalni chahiye,,,
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