मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

चीन से सम्बन्ध

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चीन यात्रा में कई मुद्दों पर चल रहे मतभेदों को कम करने और सहयोग की नयी इबारत लिखने में काफी मदद मिलने वाली है. अभी तक भारत चीन सीमा विवाद में किये गए ३ समझौतों को देखते हुए ऐसा लग रहा था कि इस मसले पर शायद ही कुछ खास सहमति बन पाए पर जिस तरह से इन दोनों नेताओं ने इस बात चीत को १३ दौरों से आगे भी बढ़ाने का फैसला लिया है उससे यही लगता है कि भले ही निकट भविष्य में कोई हल न निकले पर यह मुद्दा दोनों देशों के बीच कोई बड़ा विवाद खड़ा नहीं कर पायेगा. इसके लिए चीन के विदेश उप मंत्री जल्दी ही भारत की यात्रा करेंगें. भारत चीन के बीच सीमा विवाद और तिब्बत का मुद्दा ही सबसे पेचीदा हमेशा से रहा है और अब चीन भी यह समझने लगा है कि ऐसे करने से उसे कोई विशेष लाभ तो नहीं मिल रहा है ऊपर से भारत के लोग उसे बहुत शंका से देखते हैं.
       दोनों देशों ने जिस तरह से अपने व्यापार को १०० अरब डालर  तक पहुँचाने की बात की है उससे लगता है कि अब चीन भारत जैसे बड़े बाज़ार की अनदेखी करने की स्थिति में नहीं रह गया है और यही कारण है कि आज चीन समेत अधिकांश देश जो कभी भारत की बात सुनना भी पसंद नहीं करते थे आज वे हर मुद्दे को सुलझाने की बातें करने लगे हैं ? ऐसा नहीं है कि भारत के लोगों का इसमें कोई हाथ नहीं है फिर भी कहीं न कहीं से जब हमारे बार ने अपना विराट स्वरुप दिखाना शुरू किया है तभी से अच्छे अच्छे देशों को हमारी बातें सुनने में ज्यादा दिलचस्पी होने लगी है. चीन भारत का पडोसी है और उसे अपने यहाँ तैयार माल भारत के बाज़ारों में बेचने के लिए कुछ खास मेहनत नहीं करनी पड़ती है जिससे उसका माल यहाँ पर और भी सस्ता रहता है. भारत में वैसे अभी चीनी माल अपने टिकाऊ होने का भरोसा नहीं जीता पाया है फिर भी कहीं न कहीं से यह तो हो ही रहा है कि भारत के भरोसे चीन का व्यापारिक साम्राज्य काफी फल फूल रहा है.
     आज जब चीन भारत की बात सुनने को तैयार है तो समय मिलने पर भारत को भी उससे तिब्बत के बारे में भी बात करनी चाहिए. इस बात का भय दिमाग से निकल देना चाहिए कि चीन क्या है ? अब भारत भी १९६२ वाला भारत नहीं रहा है यह भी तेज़ी से विकसित होने वाला एक युवा देश है जिसके सपने हैं और जो अपने सपनों को पूरा करने के बारे में अब सोचने भी लगा है. जब चीन हम से व्यापर की बात करता है तो हम व्यापार की बातें अवश्य करें पर चीन को साफ़ शब्दों में यह भी बता दें कि तिब्बत और पाक अधिकृत कश्मीर में वह जो कुछ भी कर रहा है वह भारत के हितों के विरुद्ध है. केवल व्यापार के लिए चीन से दोस्ती बनाये रखने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि व्यापार अपने हिसाब से चलता रहता है पर देश हित को पीछे नहीं छोड़ा जा सकता है. आज चीन को यही बातें स्पष्ट रूप से बताये जाने की बहुत आवश्यकता है.       
 
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