मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 7 मई 2011

उ०प्र०-एक और विधायक को उम्र क़ैद

             अपराध और राजनीति की साठ-गांठ में अव्वल रहने वाले उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी बसपा के एक और विधायक शेखर तिवारी समेत १० लोगों को लखनऊ की विशेष सत्र अदालत ने उम्र क़ैद की सजा सुनाई. यह पूरा मामले औरैय्या में तैनात अभियंता मनोज गुप्ता हत्याकांड से जुड़ा हुआ है जिसमें एक ईमानदार और कर्त्तव्य का पालन करने वाले अभियंता की यातनाएं देते हुए बर्बर तरीके से हत्या कर दी गयी थी और इसमें सरकार का पूरा तंत्र भी शामिल था जिसमें स्थानीय पुलिस ने बर्बरता की हदें पार कर दी थीं. मनोज गुप्ता को जिस तरह से भ्रष्टाचारियों ने अपने रास्ते से हटाया था उसको देखते हुए यह सजा बहुत कम लगती है और ऐसे अपराधियों को कड़े कानून बनाकर सरे आम फाँसी दी जानी चाहिए जिससे देश में कर्मठता से काम करने वालों की तरफ़ कोई आँखें उठाकर भी न देख सके और इन कर्तव्यपरायण लोगों के काम में कोई भी बाधा डालने का साहस न कर सके.
    मायावती के जन्मदिन की पार्टी के लिए जिस तरह से उस समय पूरे प्रदेश में हर विभाग से जबरन चंदा वसूला जाता था मनोज गुप्ता की मौत उन्हीं कारणों से हुई थी क्योंकि दोषी विधायक अपने पद का दुरूपयोग करके जबरन चंदा मांगने में लिप्त था और वे भ्रष्टाचार में खुद शामिल नहीं हो रहे थे इसलिए उनको रास्ते से ही हटाने का काम कर दिया गया था. उस समय पूरे प्रदेश में इस काण्ड को लेकर बहुत हलचल मची थी. यह सही है कि माया सरकार ने जिस तरह से अपराधियों का अधिकारिकी करण किया वह अपने आप में प्रदेश और देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है फिर भी कहीं न कहीं से अब इस बात की आवश्यकता है कि इस तरह के मामलों को पूरी तत्परता के साथ सुनकर त्वरित न्याय दिलाने का काम किया जाए. पूरे देश में भ्रष्टाचार ने अपने पाँव जमा रखे हैं इस स्थिति में पुराने कानूनों से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है. देश को अब भ्रष्टाचार के खिलाफ उठकर खड़े होना ही होगा वरना ये नेता हमें कहीं का नहीं रखेंगें.
     अब पूरे देश के यह सोचने का समय है ऐसे मामलों में अपराधियों के साथ क्या किया जाए ? आज की परिस्थितयों में अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी अपने कर्तव्य का पालन करते हुए शहीद हो जाता है तो उसके लिए विशेष सम्मान, उसके परिवार के लिए भरण पोषण की उचित व्यवस्था तथा उसके आश्रितों को एक सरकारी नौकरी की क्यों नहीं दी जानी चाहिए ? नेता अपने पैदा होने से लेकर मरने तक की सारी व्यवस्थाएं कर लेता है पर देश के वास्तविक विकास में शामिल इन लोगों के लिए वह कुछ भी नहीं करना चाहता है ? आखिर क्यों और कब तक इन घटिया नेताओं को हम मनमानी करने देंगें ? अब समय है कि केंद्र और प्रदेश सरकारों पर इस बात का दबाव बनाया जाए कि इस तरह से नागरिक कार्यों में लगे हुए लोगोंके सर्वोच्च बलिदान करने पर उन्हें भी किसी सम्मान से नवाज़ा जाये जिससे कोई भी ईमानदार व्यक्ति अपना काम करने से पहले यह सोचकर न रुक जाए कि उसे कुछ होने के बाद उसके परिवार का क्या होगा ? 
   
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

2 टिप्‍पणियां:

  1. चिंताजनक. आशा हे दिन बहुरेंगे.

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  2. ब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. साथ ही धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
    इस सामुदायिक ब्लॉग का लेखक बनने के लिए ब्लोगर को स्वाभिमानी व देशभक्त होना आवश्यक है, नियम पढने के बाद ही निर्णय ले.
    समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
    .
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    हल्ला बोल के नियम व् शर्तें

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