मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 14 अगस्त 2011

भ्रष्टाचार कैंसर तो इलाज ?

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संबोधन में राष्ट्र को संबोधित करते हुए महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने जिस तरह से भ्रष्टाचार को कैंसर कह कर इसे बड़ी समस्या बताया है उससे यही लगता है कि आज सरकार भी इस बात को मान रही है देश की जनता इस बात को लेकर गंभीर हो चुकी है और केवल बातों से ही सब कुछ ठीक नहीं होने वाला है. जिस तरह से पिछले कुछ समय से सरकार पर दबाव बढ़ता ही जा रहा है उससे यही लगता है कि अब सरकार भले ही आधे में से सही पर कुछ करने के बारे में सोचने लगी है. फिर भी अभी यह सोच उस स्तर तक नहीं बढ़ पाई है जहाँ से यह कहा जा सके कि सरकार ने इस बारे में वास्तव में ठोस करने के बारे में सोचना शुरू कर दिया है.
देश में जो कुछ भी चल रहा है उसके बारे में ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है कि कोई कुछ नहीं जनता है फिर भी जो कुछ चल रहा है उसे समझने की ज़रुरत भी नहीं है. एक और स्वतंत्रता दिवस ऐसे ही निकल जायेगा और साथ ही निकल जायेंगीं देश की हसरतें भी ? कौन सोचेगा देश के बारे में ? हे मनमोहन ! कल कुछ ऐसा कह दो लालकिले से जो यह देश सुनना चाहता है.... मोह लो इस देश के हर नागरिक का मन... दिखा दो कि मन मोहने के साथ चक्र सुदर्शन भी आपके हाथ में है... नाश कर दो भ्रष्टाचार के इस रावण का..... सुन तो रहे हो न मोहनी मुस्कान वाले अब मुस्काने से काम नहीं चलने वाला है... चेत जाओ न....अब तो दे दो असली स्वाधीनता इस देश को   
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

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