आज २७ सितम्बर से देश में फ़ोन उपभोक्ताओं के लिए एक नया युग शुरू होने जा रहा है क्योंकि कई वर्षों से पूरी तरह से जो नियम ट्राई बनाने में लगी हुई थी आज से उस पर अमल शुरू हो गया है. अभी तक जो भी डू नॉट कॉल सेवा चलायी जा रही थी उसके बारे में भी उपभोक्ताओं को कुछ खास पता नहीं था जिस कारण वे सारे दिन ही आने वाले इन अनचाहे सन्देश और फोन कॉल से पीड़ित रहा करते थे. पूर्व में जो नियम लागू किये गए थे उनके कारण आवश्यक सेवाओं के सन्देश भी आने बंद हो जाते थे तो इस बात पर विचार करके इस बार ट्राई ने विभिन्न सेवाओं के लिए अलग अलग संख्याएं निर्धारित कर दी हैं जिससे अब उपभोक्ता अपनी आवश्यकता के अनुसार किसी भी सेवा के सन्देश को चालू या बंद कर सकता है परन्तु आज भी इस बारे में जागरूकता के अभाव में लोग इन अनचाही सेवाओं से जूझते हुए दिखाई देते हैं.
यह पूरी व्यवस्था एक तरह से नीतियों से अधिक नैतिकता पर आधारित होनी चाहिए पर दुर्भाग्य से देश किसी भी क्षेत्र में इतनी नैतिकता नहीं बची है क्योंकि केवल अपने उत्पाद बेचने के लिए कम्पनियां रोज़ ही नए हथकंडे अपनाया करती हैं जिस कारण से भी बहुत सारे नियम होने के बाद भी उपभोक्ताओं को इस सबसे निज़ात नहीं मिल पाती है. देश में जिस तरह से मोबाइल का प्रसार बढ़ा उससे इस क्षेत्र ने रोज़गार के बिलकुल नए क्षेत्रों के लोगों के लिए खोल दिया और रोज़गार की कमी से जूझ रहे देश के तमाम लोगों को ढेरों अवसर अचानक ही मिल गए. इन सबसे जहाँ हर स्तर पर व्यापक अवसर बने वहीं नीतियों की कमी का लाभ उठाकर कुछ लोगों ने उपभोक्ताओं का जीना हराम कर दिया वहीं सुधारों के नाम पर इन कम्पनियों की तरफ से कुछ ख़ास नहीं किया गया. आज के समय में जब हर व्यक्ति बहुत व्यस्त है तो इस तरह के अनचाहे कार्यों से उसके लिए बड़ी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं.
आज ही इस नयी व्यवस्था के लागू होने के साथ ही लोगों ने इसकी कमियों को भी ढूंढ लिया है और आने वाले समय में हो सकता है कि इन चोरबाजारी वाले उपायों के कारण उपभोक्ताओं को पूरी तरह से राहत न मिल पाए फिर भी कहीं न कहीं से कुछ दिनों के लिए तो बड़ी राहत आने वाली ही है. अभी भी इस जानकारी के अभाव में उपभोक्ताओं के लिए यह दिक्कत होती है कि वे इसे किस तरह से रोकें ? इतनी नीतियां बनाते समय एक बात का ध्यान भी रखा जाना चाहिए था कि आज से ही सभी उपभोक्ताओं को यह सुविधा अपने आप ही मिलनी चाहिए थी और जिस उपभोक्ता को किसी भी तरह के संदेशों की आवश्यकता होती वो उन्हें अपने मोबाइल में चालू करवा लेता आज की तारीख़ से नए पुराने सभी उपभोक्ताओं को यह सुविधा देना सभी प्रदाताओं के लिए आवश्यक किया जाता जिससे सभी उपभोक्ताओं को बिना किसी समस्या के यह लाभ मिल जाता पर शायद उपभोक्ता की सुविधाओं पर बाज़ार हावी होकर अपने मन माफ़िक फ़ैसले करवाने में हमेशा की तरह आज भी उतना ही चतुर है.....
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
यह पूरी व्यवस्था एक तरह से नीतियों से अधिक नैतिकता पर आधारित होनी चाहिए पर दुर्भाग्य से देश किसी भी क्षेत्र में इतनी नैतिकता नहीं बची है क्योंकि केवल अपने उत्पाद बेचने के लिए कम्पनियां रोज़ ही नए हथकंडे अपनाया करती हैं जिस कारण से भी बहुत सारे नियम होने के बाद भी उपभोक्ताओं को इस सबसे निज़ात नहीं मिल पाती है. देश में जिस तरह से मोबाइल का प्रसार बढ़ा उससे इस क्षेत्र ने रोज़गार के बिलकुल नए क्षेत्रों के लोगों के लिए खोल दिया और रोज़गार की कमी से जूझ रहे देश के तमाम लोगों को ढेरों अवसर अचानक ही मिल गए. इन सबसे जहाँ हर स्तर पर व्यापक अवसर बने वहीं नीतियों की कमी का लाभ उठाकर कुछ लोगों ने उपभोक्ताओं का जीना हराम कर दिया वहीं सुधारों के नाम पर इन कम्पनियों की तरफ से कुछ ख़ास नहीं किया गया. आज के समय में जब हर व्यक्ति बहुत व्यस्त है तो इस तरह के अनचाहे कार्यों से उसके लिए बड़ी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं.
आज ही इस नयी व्यवस्था के लागू होने के साथ ही लोगों ने इसकी कमियों को भी ढूंढ लिया है और आने वाले समय में हो सकता है कि इन चोरबाजारी वाले उपायों के कारण उपभोक्ताओं को पूरी तरह से राहत न मिल पाए फिर भी कहीं न कहीं से कुछ दिनों के लिए तो बड़ी राहत आने वाली ही है. अभी भी इस जानकारी के अभाव में उपभोक्ताओं के लिए यह दिक्कत होती है कि वे इसे किस तरह से रोकें ? इतनी नीतियां बनाते समय एक बात का ध्यान भी रखा जाना चाहिए था कि आज से ही सभी उपभोक्ताओं को यह सुविधा अपने आप ही मिलनी चाहिए थी और जिस उपभोक्ता को किसी भी तरह के संदेशों की आवश्यकता होती वो उन्हें अपने मोबाइल में चालू करवा लेता आज की तारीख़ से नए पुराने सभी उपभोक्ताओं को यह सुविधा देना सभी प्रदाताओं के लिए आवश्यक किया जाता जिससे सभी उपभोक्ताओं को बिना किसी समस्या के यह लाभ मिल जाता पर शायद उपभोक्ता की सुविधाओं पर बाज़ार हावी होकर अपने मन माफ़िक फ़ैसले करवाने में हमेशा की तरह आज भी उतना ही चतुर है.....
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