मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

टीम अन्ना और देश

जिस तरह से टीम अन्ना के लोगों ने अपने मुंह खोलने शुरू कर दिए हैं उसके बाद इस टीम की विश्वसनीयता पर ही लोगों को संदेह होना स्वाभाविक है. साथ ही इंडिया अगेंस्ट करप्शन की बैठक से खुद को दूर रखने की अन्ना की मंशा के बाद संदेह करने वालों और टीम पर हमला करने वालों को बकवास करने के अधिक अवसर मिलने वाले हैं. कोई भी जन आन्दोलन बिना स्वार्थ के लिए ही चलाया जा सकता है पर जहाँ पर लोगों की अपनी महत्वकांक्षाएं आन्दोलन पर भारी होने लगती हैं वहीं पर आम लोगों की ज़रूरतों और मुद्दों से भटकने के कारण आन्दोलन भी अपनी राह खोने लगता है. एक ऐसा आन्दोलन जो एक व्यक्ति ने अपनी इच्छा शक्ति से खाद आकिया है उसे उसकी टीम के लोग अब कमज़ोर करने पर लगे हुए है.
   किसी भी आन्दोलन को चलाने के लिए समाज को जागृत करने का काम करना पड़ता है इस आन्दोलन में जहाँ टीम अन्ना ने अपनी ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाया वहीं इनके विरोधियों ने अपने हितों को देखते हुए इन पर हमले भी जारी रखे. इस तरह के आन्दोलन से जुड़े लोगों को मुद्दों पर टिकना चाहिए न कि अपने आन्दोलन को कुछ लोगों पर केन्द्रित करना चाहिए. देश में पहले से ही बहुत सारे मुद्दे विचारणीय हैं पर कुछ लोग अपने को इन मुद्दों से आगे मान लेना चाहते हैं. देश में अगुवा बनने की  होड़ लोगों से पता नहीं क्या क्या करवा देती है और सार्वजनिक जीवन में लोगों के साथ रहने वाले लोगों से कुछ विवादित लोग भी मिलते ही रहते हैं ऐसे में किसी भी तरह से यह उचित नहीं है कि किसी के खिलाफ बोलने के लिए मुद्दे ही न हों ? ऐसी स्थिति में आन्दोलन से जुड़े लोगों को सार्वजनिक तौर पर बयान बाज़ी से बचना चाहिए और एक नीति के तहत अपनी साडी बातें टीम के माध्यम से ही कहनी चाहिए जिससे मुद्दे से आन्दोलन को भटकने वालों को अवसर ही न मिले.
   जिस तरह से टीम अन्ना के हर सदस्य ने कहीं पर भी कुछ भी बोलना शुरू कर दिया है उससे यही लगता है कि ये सभी अपने आने कारणों से आन्दोलन के साथ हैं और इनका अन्ना के मुद्दों से कुछ खास लेना देना नहीं है. इस समिति में इतने बड़े नाम होने से ये यह सोचने लगते हैं कि उन्हें जैसे सब कुछ पता है ? हर व्यक्ति अपने क्षेत्र का माहिर है तो उसे यह लगता है कि वह सब कुछ जनता है ? बस जब किसी आन्दोलन में इस तरह की बातें शुरू हो जाती है तो विवाद खड़े करने वाले लोगों को और भी अधिक मौके मिलने लगते हैं जो कि आन्दोलन के बारे में आम लोगों की धारणा को बदलने का काम भी किया करता है. अभी तक जो कुछ भी हो रहा है वह शुरू के दिनों के बाद से भटकाव की तरफ़ है और अब इस बात की आवश्यकता है कि टीम किसी एक व्यक्ति को बयान देने के लिए अधिकृत करे जो टीम की राय को जनता तक पहुंचाए न कि व्यक्ति विशेष की राय को तभी टीम की मुद्दों से लड़ने वाली धार बरक़रार रह पायेगी और देश का भला भी हो पाए.      

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