मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

यूरेनियम और पाक

       आस्ट्रेलिया द्वारा भारत की ऊर्जा ज़रूरतों, अच्छे और सुरक्षित परमाणु कार्यक्रम के कारण जिस तरह से परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किये बिना संधियों के प्रावधानों के उल्लंघन के बिना ही यूरेनियम बेचने को मंज़ूरी दे दी है उससे यही लगता है कि आने वाले समय में भारत के पास ऊर्जा का संकट जो ईंधन के कारण होने वाला था अब नहीं होगा. भारत ने अभी तक जिस तरह से ज़िम्मेदारी और अंतर्राष्ट्रीय प्रावधानों के साथ पूरी तरह से प्रतिबद्धता दिखाते हुए अपने परमाणु कार्यक्रम का सञ्चालन किया है उससे यही लाभ अब उसे मिलने वाला है. अभी तक आस्ट्रेलिया भी इसी ग़लतफ़हमी में जी रहा था कि जब भारत दबाव में आकर अप्रसार संधि को मान लेगा तभी उससे इस मुद्दे पर बात कि जाएगी पर जिस तरह से १२३ समझौते के बाद अमेरिका की ऊर्जा कम्पनियों की पैठ भारत में बढ़ने लगी तो आस्ट्रलिया को भी समझ में आने लगा कि जब अमेरिका ऐसे प्रावधान करके रास्ता निकल सकता है तो उसे भी ऐसा ही करना चाहिए परन्तु वहां की संसद में इस तरह के प्रस्ताव को मज्रूर करा पाना भी बहुत बड़ी चुनौती थी जिसे अब पार कर लिया गया है.
    हमेशा की तरह ही भारत के हर कदम से बराबरी करने को तैयार पाक ने भी अपने राजदूत के ज़रिये यह कहलवा दिया है कि जब भारत को यूरेनियम दिया जा सकता है तो पाक को भी दिया जाना चाहिए ? हो सकता है कि निकट भविष्य में आस्ट्रेलिया सरकार उसे भी यूरेनियम देने का फ़ैसला कर ले पर यहाँ पर पाक यह बात भूल जाता है कि उसकी ज़रूरतें तो भारत के समान हो सकती है पर उसके कर्म भारत के समान नहीं हैं और आज उसके कारण ही पूरी दुनिया में मुसलामानों को संदेह की नज़रों से देखा जाने लगा है ? आज जिस तरह से अमेरिका से पाक के दिखावटी तनातनी के रिश्ते चल रहे हैं तो ऐसी अनिश्चितता में कौन देश पाक को आसानी से यूरेनियम देना चाहेगा जबकि वहां पर व्याप्त अराजकता को सभी देख और समझ रहे हैं. पाक के वर्तमान परमाणु हथियार ही सुरक्षित हाथों में नहीं हैं तो आगे उसे परमाणु हथियार बनाने में उपयोगी यूरेनियम कौन देश बेचना चाहेगा ? पाक ने अपनी मानसिकता के चलते ही पूरे दक्षिण एशिया समेत अरब देशों का जीना भी मुश्किल कर रखा है क्योंकि सभी जगहों पर इस्लाम के नाम पर वही युवाओं को भड़काकर आतंकी बनने पर मजबूर कर रहा है.
       राजनीती करने की एक सीमा होनी चाहिए पर जब राजनीति को धर्म से जोड़ने की गलती पाक कर ही चुका है तो अब उसके पास इससे निकलने का कोई रास्ता भी शेष नहीं बचा है क्योंकि अब पाक में विकास की बातों के स्थान पर लोगों को जेहाद की बातें सिखाई जाती हैं और आज के युग में जब सभी देश एक दूसरे से जुड़े हुए हैं तो ऐसे में कोई देश कब तक इस तरह की हरकतें करके अपने वजूद को बचा सकता है ? पाक ने आज तक जो कुछ भी बो रखा है वह उसे ही काट रहा है और ऐसा नहीं है कि इसका असर दुनिया के अन्य देशों पर नहीं पड़ने वाला है क्योंकि जिस तरह से आज वह इस्लाम का ठेकेदार बना हुआ है वैसा कल को कोई दूसरा देश भी कर सकता है और इस जिहाद के लिए मिलने वाला पैसा उस देश को मिल सकता है तब पाक के पास अपने को बचाए रखने के लिए क्या रास्ते बचेंगें यह कोई नहीं जानता है ? अब भी समय है पाक को इस दलदल से निकलने का प्रयास करना चाहिए पर शायद अब पाक की हालत ऐसी नहीं रह गयी कि वह अपने को इस स्थिति से बाहर निकल पाए तभी वह दबाव की नयी नयी नीतियों पर काम करके अपना काम निकालने की कोशिश करता है और अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में भारत की बराबरी करने को कोशिश में अपने लिए ज़िल्लत बटोरता रहता है.
  
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