उत्तर भारत में ठण्ड बढ़ने के साथ ही घने कोहरे की चादर फैलना शुरू हो जाती है और इससे होने वाली समस्याओं से निपटना भी आसान काम नहीं होता है. इसका सबसे ज़्यादा असर सभी तरह के यातायात पर पड़ता है. यह एक प्राकृतिक घटना है और इसको रोका नहीं जा सकता है फिर भी थोड़ी चौकसी और पहले से की गयी तैयारियों के साथ इसके प्रभाव से निपटने में दक्षता पायी जा सकती है. हवाई और रेल यातायात पर इसका असर विलम्ब के रूप में पड़ता है जबकि सड़क यातायात में इस समय दुर्घटनाएं बहुत बढ़ जाया करती हैं. जिस तरह से परिवहन विभाग काम करता है उसके बाद इन दुर्घटनाओं की संभावनाएं और भी अधिक हो जाया करती हैं. परिवहन विभाग केवल समय आने पर केवल कुछ अवैध वसूली पर ही ध्यान देता है और सड़क सुरक्षा से जुड़े नियमों की तरफ़ तो उसका ध्यान भी नहीं होता है.
सड़क मार्ग पर आजकल सबसे अधिक बाधा का कारण गन्ने की ढुलाई करने वाले वाहनों के कारण होती है इसी समय गन्ना किसान अपने खेतों से गन्ने को क्रय केन्द्रों या चीनी मिल तक पहुँचाने का काम करते हैं जिससे सड़क पर समस्या बढ़ जाया करती है. कृषि भारत का अभिन्न अंग है और इसके बिना जीने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है पर जिस तरह के जर्जर वाहनों से गन्ने को ढोया जाता है वह मुख्य समस्या का कारण बन जाया करता है. आज भी खेतों में चलने वाले ट्रैक्टर ट्राली किस अवस्था में होते हैं इसका सभी को अंदाज़ा है पर इससे तब तक समस्या नहीं होती जब तक ये खेतों में चलते हैं पर जिस दिन से ये सड़कों पर चलना शुरू करते हैं तो सभी तरह की समस्या उत्पन होने लगती है क्योंकि इनमें प्रकाश की ही समुचित व्यवस्था नहीं होती है जिससे ये समय आने पर सड़क दुर्घटना का बड़ा कारण बन जाया करते हैं. इससे निपटने के लिए इनके मालिकों को भी इस बात के लिए जागरूक किया जाना चाहिए और उनके सहयोग से इस तरह की घटनाओं को कम करने का प्रयास किया जाना चाहिए.
इस समस्या से निपटने के लिए अब कड़े क़दम उठाने की आवश्यकता है जिससे इन वाहनों पर उचित संकेतक लगाये जा सकें क्योंकि बिना इन संकेतकों के कुछ भी कर पाना असंभव ही है और इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जाना भी कठिन है. इस तरह की दुर्घटनाओं पर रोक लगाकर जान माल की उस हानि को बचाया जा सकता है जो केवल लापरवाही के कारण ही हो जाया करती है. हर जनपद के परिवहन विभाग को पुलिस से मिलकर यह तय करना चाहिए की सभी वाहनों में उचित प्रकाश सहित अँधेरे में चमकने वाले संकेतक भी लगे हों क्योंकि इनके बिना खड़े वाहन को घने कोहरे में देख पाना असंभव होता है. यदि पुलिस विभाग थोड़ी सी ईमानदारी से इस काम को करवाने में दिलचस्पी लेने लगे और एक समय सीमा दिए जाने के बाद वाहन स्वामी द्वारा इस तरह की व्यवस्था न किये जाने पर उसके खिलाफ कठोर दंड की व्यवस्था करे जिससे इस मामले में होने वाली लापरवाही को कम किया जा सके. आम तौर पर नवम्बर माह में उत्तर प्रदेश में यातायात माह मनाया जाता है तो उसी समय इस बात पर ध्यान देकर बड़ी संख्या में वाहनों पर इस तरह के सुरक्षात्मक उपाय किये जा सकते हैं.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
सड़क मार्ग पर आजकल सबसे अधिक बाधा का कारण गन्ने की ढुलाई करने वाले वाहनों के कारण होती है इसी समय गन्ना किसान अपने खेतों से गन्ने को क्रय केन्द्रों या चीनी मिल तक पहुँचाने का काम करते हैं जिससे सड़क पर समस्या बढ़ जाया करती है. कृषि भारत का अभिन्न अंग है और इसके बिना जीने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है पर जिस तरह के जर्जर वाहनों से गन्ने को ढोया जाता है वह मुख्य समस्या का कारण बन जाया करता है. आज भी खेतों में चलने वाले ट्रैक्टर ट्राली किस अवस्था में होते हैं इसका सभी को अंदाज़ा है पर इससे तब तक समस्या नहीं होती जब तक ये खेतों में चलते हैं पर जिस दिन से ये सड़कों पर चलना शुरू करते हैं तो सभी तरह की समस्या उत्पन होने लगती है क्योंकि इनमें प्रकाश की ही समुचित व्यवस्था नहीं होती है जिससे ये समय आने पर सड़क दुर्घटना का बड़ा कारण बन जाया करते हैं. इससे निपटने के लिए इनके मालिकों को भी इस बात के लिए जागरूक किया जाना चाहिए और उनके सहयोग से इस तरह की घटनाओं को कम करने का प्रयास किया जाना चाहिए.
इस समस्या से निपटने के लिए अब कड़े क़दम उठाने की आवश्यकता है जिससे इन वाहनों पर उचित संकेतक लगाये जा सकें क्योंकि बिना इन संकेतकों के कुछ भी कर पाना असंभव ही है और इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जाना भी कठिन है. इस तरह की दुर्घटनाओं पर रोक लगाकर जान माल की उस हानि को बचाया जा सकता है जो केवल लापरवाही के कारण ही हो जाया करती है. हर जनपद के परिवहन विभाग को पुलिस से मिलकर यह तय करना चाहिए की सभी वाहनों में उचित प्रकाश सहित अँधेरे में चमकने वाले संकेतक भी लगे हों क्योंकि इनके बिना खड़े वाहन को घने कोहरे में देख पाना असंभव होता है. यदि पुलिस विभाग थोड़ी सी ईमानदारी से इस काम को करवाने में दिलचस्पी लेने लगे और एक समय सीमा दिए जाने के बाद वाहन स्वामी द्वारा इस तरह की व्यवस्था न किये जाने पर उसके खिलाफ कठोर दंड की व्यवस्था करे जिससे इस मामले में होने वाली लापरवाही को कम किया जा सके. आम तौर पर नवम्बर माह में उत्तर प्रदेश में यातायात माह मनाया जाता है तो उसी समय इस बात पर ध्यान देकर बड़ी संख्या में वाहनों पर इस तरह के सुरक्षात्मक उपाय किये जा सकते हैं.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
घर बैठने को विवश करती परिस्थितियाँ।
जवाब देंहटाएंआपकी बातों से पूर्णतः सहमत हूँ समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है। http://mhare-anubhav.blogspot.com/
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