मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 19 दिसंबर 2011

कुडनकुलम और विदेशी हाथ

            तमिलनाडु के कुडनकुलम परमाणु संयंत्र का जिस तरह से विरोध किया जा रहा है उसमें अब एक नया पेंच सामने आया है. सरकार को इस बात की आशंका है कि इस परमाणु संयंत्र का विरोध करने वाले ६ एनजीओ विदेशों से धन प्राप्त करके इसका विरोध करने में लगे हुए हैं. देश के लिए यह बहुत चिंता की बात है क्योंकि पहले भी विदेशी शक्तियों ने अपने हित-लाभ के लिए देश के राजनैतिक विरोध की मानसिकता का चालाकी से दुरूपयोग किया है और आज भी इस बात से असहमत नहीं हुआ जा सकता है कि यह पूरी तरह से स्वस्फूर्त आन्दोलन है. ऐसा भी नहीं है कि यह संयंत्र अभी बनना शुरू हुआ है बल्कि मनमोहन सिंह जल्द ही इससे बननी वाली बिजली उपलब्ध होने की बात कर रहे हैं. एक बात जो बहुत महत्वपूर्ण है कि यह संयंत्र हमारे पुराने और विश्वसनीय सहयोगी रूस के सहयोग से तैयार किया जा रहा है जबकि रूस की अपनी मजबूरियों और कुछ प्रतिस्पर्धा बढ़ने के कारण आज हमारा रूस के साथ पहले जैसा सहयोग नहीं रह गया है जिसके चलते हो सकता है कि इस संयंत्र को बंद करवाने में कुछ अन्य देशों की दिलचस्पी हो ?
     अब देश में जिस तरह से ऊर्जा की मांग बढ़ रही है उस स्थति में किसी एक देश पर निर्भर रहने से हमारा काम नहीं चलने वाला है क्योंकि आने वाले समय में हमारी ऊर्जा ज़रूरतें हमारी औद्योगिक विकास के साथ ही देश के विकास की दिशा का भी निर्धान करने वाली हैं ऐसे में किसी भी परिस्थिति में कोई भी क़दम देश के लिए जहाँ बहुत बड़ी सहायता कर सकता है वहीं एक ग़लत क़दम ही देश की इन आधारभूत ज़रूरतों को पूरा करने में बहुत बड़ी बाधा बन सकता है. इसलिए अब यह समय है कि किसी भी परियोजना या नीति को बनाए से पहले हम उससे जुड़ी हर बात पर विचार कर लें जिससे बाद में इस तरह की समस्याएं सामने न आने पायें. अब भी समय है कि इस तरह की सभी गतिविधियों के बारे में हमें पहले से ही सचेत रहना चाहिए क्योंकि जब तक हम इस बात को नहीं समझेंगें तब तक देश के विकास में अपना सहयोग नहीं दे पायेंगें. आज भी देश को कुछ मसलों पर राजनीति और विरोध के स्थान पर कंधे से कन्धा मिलकर चलने की ज़रुरत है पर शायद हम हल्ला मचाने में बहुत अधिक आगे हैं पर साथ में चलने के स्थान पर हम आपस में लड़ने में बहुत बहादुर हो चुके हैं.
   इस तरह से अगर इस मामले में कोई भी विदेशी सहायता किस भी एनजीओ को मिल रही है उसकी जांच भी अवश्य होनी चाहिए और समाज सेवा के लिए जुटाए गए किसी भी धन का इस तरह के किसी भी कम में दुरूपयोग नहीं होने देना चाहिए क्योंकि जब विदेशी शक्तियां इस तरह से कुछ कार्यक्रमों को प्रायोजित करके देश में अराजकता फ़ैलाने की बात सोचती हैं तो उन्हें इस बात का अंदाज़ा होना चाहिए कि इस बार सरकार के साथ देश भी आगे आ चुका है. अब यह प्रदर्शन जिस स्तर पर पहुँच चुका है उससे यही आभास होता है कि कोई न कोई इस संयंत्र को पूरा नहीं होने देना चाहता है क्योंकि देश के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम भी इस संयंत्र को पूरी तरह से सुरक्षित घोषित कर चुके हैं फिर भी कुछ लोग केवल विरोध के नाम पर विरोध का झंडा उठाये घूम रहे हैं उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि अब देश हित में कुछ भी कहकर कुछ भी करने का समय नहीं रह गया है. अब समय है कि किसी भी एनजीओ को मिलने वाले किसी भी तरह के पैसे की पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए जिससे आगे इस तरह से प्राप्त किये गए पैसे का दुरूपयोग न किया जा सके.         
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी जानकारी देश के विकास में बाधा पहुँचाने का एक माध्यम अन जी ओ की भूमिका पर संदेह जायज है

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  2. आप क्या समझते हैं कि जांच नहीं होती. हर रोज हर जिले से शाम को ख़बरें जाती हैं. लेकिन उनका प्रयोग अपने हिसाब से होता है और किस में कौन व्यक्ति इन्वाल्व है उसके ऊपर.

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