इसराइल ने जिस तरह से भारत की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का खुले आम समर्थन किया है उससे लगता है कि आने वाले समय में अमेरिका और पश्चिमी देश मिलकर भारत के लिए परिषद में कुछ बड़े दायित्व के बारे में सोचना शुरू कर चुके हैं क्योंकि जिस तरह से अमेरिका हमेशा ही पश्चिमी देशों के साथ मिलकर भारत को सुरक्षा परिषद में रोकने की कोशिश करता रहता है उसमें यह परिवर्तन बहुत महत्वपूर्ण है. ऐसा भी नहीं है कि कहीं से अचानक ही भारत के प्रति पश्चिमी दुनिया का प्रेम जागने वाला है पर आज के समय जिस तरह से किसी भी देश के लिए भारत की अनदेखी करना आने वाले समय में बहुत मंहगा पड़ सकता है उसे ही देखते हुए शायद इस तरह से ये देश अब भारत की शक्ति को पहचानने की कोशिश में लगे हुए हैं. भारत के कुछ गुण ऐसे हैं जो पूरी दुनिया में किसी भी अन्य देश में नहीं मिलते हैं और पहले इन गुणों को हमारी कमज़ोरी मानने वाले लोग आज इन्हें हमारी शक्तियों के रूप में देखने लगे हैं. तकनीक के क्षेत्र में इसराइल बहुत आगे है और वहां की ऐसी ही बहुत सारी तकनीक हमारे लिए सुखद भविष्य को लेकर आ सकती है.
इसराइल के साथ भारत के सम्बन्ध बहुत पुराने नहीं है फिर भी आने वाले समय में इस सम्बन्ध से पूरी दुनिया में नयी इबारत लिखी जा सकती है क्योंकि जिस तरह से अस्तित्व के लिए जूझने की शक्ति से इसराइल भरा हुआ है और भारत के पास पूरी दुनिया में ऐसा इतिहास है जिसकी कोई देश बराबरी नहीं कर सकता है. कुछ देश अपने स्वार्थ के कारण कई बार भारत की इस शक्ति की अनदेखी करना शुरू कर देते है पर जब आज उन्हें भविष्य के लीडर के तौर पर भारत दिखाई देता है तो वे अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए मजबूर हो जाते हैं ? वैसे इसराइल ने आज तक भारत के ख़िलाफ़ कुछ भी नहीं किया है और ऐसे में उससे बिना बात के ही सशंकित होने से कोई लाभ नहीं होने वाला है. भारत की तरह इसराइल भी हमेशा से ही आतंक और अलगाववाद का शिकार रहा है और भारत की तरह उसका रवैया शांतिपूर्ण नहीं वरन हमेशा ही आक्रामक रहता है पर आज भी वहां के नेता भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के शांतिप्रिय आन्दोलन से बहुत प्रभावित हैं.
आज के समय में अगर इसराइल इतनी लम्बी लड़ाई लड़ने के बाद भारत के शांतिपूर्ण सह आस्तित्व का समर्थक है तो इसके पीछे कोई अन्य कारण नहीं वरन भारत की अपनी शक्ति ही है जो उसे हर परिस्थिति से आराम से निकाल देती है. आज भी इसराइल के लोगों के लिए भारत एक पहेली जैसा है जहाँ पर सब कुछ अलग होते हुए भी सीमित संसाधनों में बहुत अच्छे से तरक्की की जा रही है. सबको साथ लेकर चलने की भारत की इस शक्ति की पूरी दुनिया कायल है. अब समय है कि नरसिम्हा राव के समय में शुरू किये इसराइल के साथ के संबंधों को और तेज़ी से मज़बूत करने का काम किया जाये क्योंकि भारत के सामने जिस तरह से आतंकी गतिविधियों को रोकने की चुनौती हैं उससे निपटने में इसराइल ने महारत हासिल कर रखी है आज के वैश्विक आतंक के परिदृश्य में अगर भारत अपने सम्बन्ध इसराइल से मज़बूत करता है तो आतंकियों से निपटने में दोनों देश एक दूसरे के अनुभवों को साझा कर सकते हैं. अब समय है कि इस बारे में दोनों ही देश विचार करें और भविष्य की दुनिया में अपनी हैसियत को ठीक से समझने की कोशिश भी करें.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
इसराइल के साथ भारत के सम्बन्ध बहुत पुराने नहीं है फिर भी आने वाले समय में इस सम्बन्ध से पूरी दुनिया में नयी इबारत लिखी जा सकती है क्योंकि जिस तरह से अस्तित्व के लिए जूझने की शक्ति से इसराइल भरा हुआ है और भारत के पास पूरी दुनिया में ऐसा इतिहास है जिसकी कोई देश बराबरी नहीं कर सकता है. कुछ देश अपने स्वार्थ के कारण कई बार भारत की इस शक्ति की अनदेखी करना शुरू कर देते है पर जब आज उन्हें भविष्य के लीडर के तौर पर भारत दिखाई देता है तो वे अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए मजबूर हो जाते हैं ? वैसे इसराइल ने आज तक भारत के ख़िलाफ़ कुछ भी नहीं किया है और ऐसे में उससे बिना बात के ही सशंकित होने से कोई लाभ नहीं होने वाला है. भारत की तरह इसराइल भी हमेशा से ही आतंक और अलगाववाद का शिकार रहा है और भारत की तरह उसका रवैया शांतिपूर्ण नहीं वरन हमेशा ही आक्रामक रहता है पर आज भी वहां के नेता भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के शांतिप्रिय आन्दोलन से बहुत प्रभावित हैं.
आज के समय में अगर इसराइल इतनी लम्बी लड़ाई लड़ने के बाद भारत के शांतिपूर्ण सह आस्तित्व का समर्थक है तो इसके पीछे कोई अन्य कारण नहीं वरन भारत की अपनी शक्ति ही है जो उसे हर परिस्थिति से आराम से निकाल देती है. आज भी इसराइल के लोगों के लिए भारत एक पहेली जैसा है जहाँ पर सब कुछ अलग होते हुए भी सीमित संसाधनों में बहुत अच्छे से तरक्की की जा रही है. सबको साथ लेकर चलने की भारत की इस शक्ति की पूरी दुनिया कायल है. अब समय है कि नरसिम्हा राव के समय में शुरू किये इसराइल के साथ के संबंधों को और तेज़ी से मज़बूत करने का काम किया जाये क्योंकि भारत के सामने जिस तरह से आतंकी गतिविधियों को रोकने की चुनौती हैं उससे निपटने में इसराइल ने महारत हासिल कर रखी है आज के वैश्विक आतंक के परिदृश्य में अगर भारत अपने सम्बन्ध इसराइल से मज़बूत करता है तो आतंकियों से निपटने में दोनों देश एक दूसरे के अनुभवों को साझा कर सकते हैं. अब समय है कि इस बारे में दोनों ही देश विचार करें और भविष्य की दुनिया में अपनी हैसियत को ठीक से समझने की कोशिश भी करें.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
बिलकुल गांधी जी से प्रभावित हैं, बस हम न हो सके, हो गए होते तो आतंकवाद कब का खत्म हो गया होता...
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