चुनाव में धांधली रोकने के लिए इस बार आयोग बिलकुल नए तरह का प्रयोग करने जा रहा है जिससे कुछ राजनैतिक दलों द्वारा लगाये जा रहे उन आरोपों को जवाब दिया जा सके क्योंकि पूरी दुनिया में अपनी प्रामाणिकता सिद्ध कर चुकी ईवीएम आज भी कुछ दलों को धांधली का कारण नज़र आती हैं. चुनाव में आज सब कुछ कितने पारदर्शी तरीके से किया जाता है उसके बाद भी केवल अपनी घटती संभावनाओं के चलते राजनेता इस तरह के आरोप लगाने से भी नहीं चूकते हैं. बीएसएनएल द्वारा नेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में आयोग इस बार परीक्षण के तौर पर चुनाव का सजीव प्रसारण करवाने की कोशिश कर रहा है और इस बार तकनीकी रूप से सक्षम क्षेत्रों में यह परीक्षण किया भी जाना है जिससे कहीं से भी बैठकर चुनाव के बारे में पूरी जानकारी आसानी से जुटाई जा सकेगी. इससे जहाँ मतदाताओं को अपने मताधिकार का उपयोग करने में आसानी होगी वहीं किसी भी तरह का अनावश्यक दबाव बनाने वाले भी तुरंत ही स्वयं आयोग की नज़र में आ जायेगें.
देश में चुनाव आयोग ने शेषन के समय से आज तक जो कुछ भी सुधार लागू किये हैं उनके कारण कुछ दलों और नेताओं को बहुत कष्ट होने लगे हैं चूंकि सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग हमेशा से ही सत्ताधारी दल किया करता है वैसे में उसे हमेशा ही आयोग खलनायक लगा करता है जबकि ये दल भूल जाते हैं कि सत्ताधारी दलों को आयोग से कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए क्योंकि आयोग सभी दलों के लिए एक सामान अवसर दिलाने के लिए प्रतिबद्ध रहा करता है. नेताओं को संवैधानिक संस्थाएं भी उनके हिसाब से काम करती हुई चाहिए जबकि वे इस बार का ढिंढोरा पीटने में पीछे नहीं रहते हैं कि उनसे बड़ा संविधान का रखवाला कोई और है ही नहीं. असल में चुनाव को राष्ट्रीय पर्व की तरह से मनाया जाना चाहिए क्योंकि इससे मिलने वाली शक्ति हमेशा से ही देश के भविष्य को निर्धारित करने का काम किया करती है. अभी तक जो कुछ भी होता आया है उसमें आयोग की मंशा तो साफ़ रहा करती है पर नेता अपने हितों के अनुसार आयोग के क़दमों को देखना चाहते हैं जो कहीं से भी सही नहीं होता है.
आने वाले समय में चुनाव आयोग को वोटरों को इन्टरनेट से भी वोट डालने का अधिकार दिया जाना चाहिए जिससे मतदान केन्द्रों पर उमड़ने वाली भीड़ कम की जा सके और साथ ही आज के समय में प्रचलित तरीकों से आयोग की मंशा के अनुरूप चुनाव भी संपन्न कराये जा सकें. प्रायोगिक तौर पर आयोग उन वोटरों को यह विकल्प दे सकता है जो पिछले ३ या अधिक वर्षों से इन्टरनेट उपयोग में ला रहे हैं इसके लिए आयोग की नेट पर उपलब्ध मतदाता सूची के अनुसार इच्छुक मतदातों को यह बताया जाए कि वे कैसे मत डाल सकते हैं. मोबाइल के बढ़ते उपयोग को देखते हुए आने वाले समय में मोबाइल से भी वोट देने की व्यवस्था की जा सकती है और मतदातों की संख्या को देखते हुए मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए यह एक अच्छा साधन हो सकता है. इन चुनावों में अगर संभव हो सके तो आयोग को हर विधान सभा क्षेत्र में इस विधि से मत देने के इच्छुक लोगों में से १०० लोगों को छाँट कर इसका प्रयोग तो शुरू करना ही चाहिए जिससे आने वाले समय में इस विधि से हर इच्छुक मतदाता को मत देने का अधिकार मिल सके और आयोग का जो धन इन चुनावों में लगता है उस पर भी नियंत्रण पाया जा सके.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
देश में चुनाव आयोग ने शेषन के समय से आज तक जो कुछ भी सुधार लागू किये हैं उनके कारण कुछ दलों और नेताओं को बहुत कष्ट होने लगे हैं चूंकि सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग हमेशा से ही सत्ताधारी दल किया करता है वैसे में उसे हमेशा ही आयोग खलनायक लगा करता है जबकि ये दल भूल जाते हैं कि सत्ताधारी दलों को आयोग से कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए क्योंकि आयोग सभी दलों के लिए एक सामान अवसर दिलाने के लिए प्रतिबद्ध रहा करता है. नेताओं को संवैधानिक संस्थाएं भी उनके हिसाब से काम करती हुई चाहिए जबकि वे इस बार का ढिंढोरा पीटने में पीछे नहीं रहते हैं कि उनसे बड़ा संविधान का रखवाला कोई और है ही नहीं. असल में चुनाव को राष्ट्रीय पर्व की तरह से मनाया जाना चाहिए क्योंकि इससे मिलने वाली शक्ति हमेशा से ही देश के भविष्य को निर्धारित करने का काम किया करती है. अभी तक जो कुछ भी होता आया है उसमें आयोग की मंशा तो साफ़ रहा करती है पर नेता अपने हितों के अनुसार आयोग के क़दमों को देखना चाहते हैं जो कहीं से भी सही नहीं होता है.
आने वाले समय में चुनाव आयोग को वोटरों को इन्टरनेट से भी वोट डालने का अधिकार दिया जाना चाहिए जिससे मतदान केन्द्रों पर उमड़ने वाली भीड़ कम की जा सके और साथ ही आज के समय में प्रचलित तरीकों से आयोग की मंशा के अनुरूप चुनाव भी संपन्न कराये जा सकें. प्रायोगिक तौर पर आयोग उन वोटरों को यह विकल्प दे सकता है जो पिछले ३ या अधिक वर्षों से इन्टरनेट उपयोग में ला रहे हैं इसके लिए आयोग की नेट पर उपलब्ध मतदाता सूची के अनुसार इच्छुक मतदातों को यह बताया जाए कि वे कैसे मत डाल सकते हैं. मोबाइल के बढ़ते उपयोग को देखते हुए आने वाले समय में मोबाइल से भी वोट देने की व्यवस्था की जा सकती है और मतदातों की संख्या को देखते हुए मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए यह एक अच्छा साधन हो सकता है. इन चुनावों में अगर संभव हो सके तो आयोग को हर विधान सभा क्षेत्र में इस विधि से मत देने के इच्छुक लोगों में से १०० लोगों को छाँट कर इसका प्रयोग तो शुरू करना ही चाहिए जिससे आने वाले समय में इस विधि से हर इच्छुक मतदाता को मत देने का अधिकार मिल सके और आयोग का जो धन इन चुनावों में लगता है उस पर भी नियंत्रण पाया जा सके.
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