२ जी स्पेक्ट्रम घोटाले में ए राजा के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाये जाने में अनुमति देने में देर करने को लेकर केंद्र सरकार द्वारा की गयी देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ स्वामी की याचिका को मंज़ूरी दे दी है. गठबन्धन सरकार चला रही कांग्रेस के लिए एक तरफ़ यह बड़ा झटका है साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि पीएमओ ने संभवतः मनमोहन सिंह को सही जानकारी नहीं दी है ? इस पूरे मसले में जहाँ केंद्र सरकार की इस घोटाले से निपटने के तरीके पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया है वहीं कोर्ट ने इस बात को भी रेखांकित किया है कि अब समय आ गया है कि लोकसेवकों के ख़िलाफ़ की जाने वाली शिकायतों पर निर्णय लेने की एक सीमा निर्धारित की जानी चाहिए क्योंकि इस तरह से कानून को अपनी सुविधा के अनुसार चलाने से भ्रष्टाचार बढ़ता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी नागरिक को भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ किसी भी व्यक्ति के ख़िलाफ़ शिकायत करने का अधिकार संविधान से मिला हुआ है और इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है. देश में आज जिस तरह से नेताओं और अधिकारियों ने मिलकर भ्रष्टाचार को पोषित करना शुरू कर दिया है ऐसी स्थिति में कुछ कड़े कदम उठाये बिना काम नहीं चलने वाला है.
लोकसेवकों के मामले में मुक़दमा चलाने की अनुमति दिए जाने के बारे में कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर ४ महीनों में अनुमति नहीं दी जाती है तो इसे स्वतः अनुमति के तौर पर मान लिया जाना चाहिए. कोर्ट ने इस मामले में १९९६ के विनीत नारायण केस के अनुसार काम करने की सलाह दी क्योंकि जब तक लोकसेवकों के साथ भी विशेष परिस्थितियों में सामान्य नियमों के तहत व्यवहार निश्चित नहीं किया जायेगा तब तक देश में बड़े स्तर से भ्रष्टाचार को नहीं रोका जा सकेगा. लोकसेवकों को विशेष अधिकार मिले हुए है उनका किसी भी परिस्थिति में दुरूपयोग किया जाना अंत में देश के लिए ही बहुत घातक साबित होने वाला है. आज देश में जिस स्तर पर भ्रष्टाचार फैला हुआ है उसमें कहीं न कही से अब इस तरह से काम करने की संस्कृति विकसित करनी ही होगी जिससे किसी अधिकार के पीछे छिपकर कोई भी देश के कानून से न खेल सके. कोर्ट ने इस समय सीमा को ४ महीने का बताया और कहा है अगर किसी लोकसेवक के ख़िलाफ़ की गयी शिकायत में इन ४ महीनों में कोई कदम नहीं उठाया जाता है तो उसे स्वीकृत ही माना जाये क्योंकि हर तरह की जांच आदि करने के लिए इतना समय पर्याप्त है.
आज सभी को लगता है कि भ्रष्टाचार ने देश को खोखला कर दिया है पर इस तरह के कदम भले ही किसी मजबूरी में उठाये जाते हों पर उनसे देश को होने वाले नुकसान को अब बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि जिन लोगों पर देश को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी है अगर वे ही इस तरह से काम करने लगेंगें तो देश में भ्रष्टाचार और बढ़ता ही जायेगा. आज देश में जो भी कानून हैं उन पर सख्ती से अमल करने की आवश्यकता है और कोई ऐसी व्यवस्था भी करनी होगी जिसके तहत किसी कानून का सहारा लेकर कोई भी इस तरह से समय न ले सके. देश को कानूनों के साथ स्वेच्छा से जीना सीखना ही होगा क्योंकि अब देश इस बात को नहीं बर्दाश्त कर सकता है कि कहीं से सबूत तलाशे जाएँ और फिर उन पर मुक़दमा चलने के लिए वर्षों तक प्रतीक्षा की जाये. देश को अगर अपनी शक्ति का सही उपयोग करना है तो सभी को आत्म अनुशासन से जीना सीखना ही होगा और किसी भी परिस्थिति में लोकसेवकों पर लगे किसी भी आरोप पर त्वरित कार्यवाही करने की प्रक्रिया निर्धारित करनी होगी भले ही इससे ईमानदार लोकसेवकों को कुछ परेशानी भी क्यों न हो क्योंकि अब देश किसी भी परिस्थिति में इस तरह की स्थितियों को बर्दाश्त नहीं कर सकता है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
लोकसेवकों के मामले में मुक़दमा चलाने की अनुमति दिए जाने के बारे में कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर ४ महीनों में अनुमति नहीं दी जाती है तो इसे स्वतः अनुमति के तौर पर मान लिया जाना चाहिए. कोर्ट ने इस मामले में १९९६ के विनीत नारायण केस के अनुसार काम करने की सलाह दी क्योंकि जब तक लोकसेवकों के साथ भी विशेष परिस्थितियों में सामान्य नियमों के तहत व्यवहार निश्चित नहीं किया जायेगा तब तक देश में बड़े स्तर से भ्रष्टाचार को नहीं रोका जा सकेगा. लोकसेवकों को विशेष अधिकार मिले हुए है उनका किसी भी परिस्थिति में दुरूपयोग किया जाना अंत में देश के लिए ही बहुत घातक साबित होने वाला है. आज देश में जिस स्तर पर भ्रष्टाचार फैला हुआ है उसमें कहीं न कही से अब इस तरह से काम करने की संस्कृति विकसित करनी ही होगी जिससे किसी अधिकार के पीछे छिपकर कोई भी देश के कानून से न खेल सके. कोर्ट ने इस समय सीमा को ४ महीने का बताया और कहा है अगर किसी लोकसेवक के ख़िलाफ़ की गयी शिकायत में इन ४ महीनों में कोई कदम नहीं उठाया जाता है तो उसे स्वीकृत ही माना जाये क्योंकि हर तरह की जांच आदि करने के लिए इतना समय पर्याप्त है.
आज सभी को लगता है कि भ्रष्टाचार ने देश को खोखला कर दिया है पर इस तरह के कदम भले ही किसी मजबूरी में उठाये जाते हों पर उनसे देश को होने वाले नुकसान को अब बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि जिन लोगों पर देश को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी है अगर वे ही इस तरह से काम करने लगेंगें तो देश में भ्रष्टाचार और बढ़ता ही जायेगा. आज देश में जो भी कानून हैं उन पर सख्ती से अमल करने की आवश्यकता है और कोई ऐसी व्यवस्था भी करनी होगी जिसके तहत किसी कानून का सहारा लेकर कोई भी इस तरह से समय न ले सके. देश को कानूनों के साथ स्वेच्छा से जीना सीखना ही होगा क्योंकि अब देश इस बात को नहीं बर्दाश्त कर सकता है कि कहीं से सबूत तलाशे जाएँ और फिर उन पर मुक़दमा चलने के लिए वर्षों तक प्रतीक्षा की जाये. देश को अगर अपनी शक्ति का सही उपयोग करना है तो सभी को आत्म अनुशासन से जीना सीखना ही होगा और किसी भी परिस्थिति में लोकसेवकों पर लगे किसी भी आरोप पर त्वरित कार्यवाही करने की प्रक्रिया निर्धारित करनी होगी भले ही इससे ईमानदार लोकसेवकों को कुछ परेशानी भी क्यों न हो क्योंकि अब देश किसी भी परिस्थिति में इस तरह की स्थितियों को बर्दाश्त नहीं कर सकता है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
कुछ नहीं होगा, जो असली कलप्रिट है, जो असली बेनीफिशियरी है, उन तक अगर यह क़ानून पहुँचने की हिम्मत रखता तो क्या दस-दस आर टी आई लगाने के बावजूद भी कोई इस बात की जुर्रत भला कैसे करता कि मैडम के वेदेष दौरों और खर्च का क्या रिकोर्ड है ?
जवाब देंहटाएंकृपया दूसरी लाइन को इस प्रका पढ़ा जाए ; उन तक अगर यह हमारा क़ानून पहुँचने की हिम्मत रखता तो क्या दस-दस आर टी आई लगाने के बावजूद भी कोई इस बात की जुर्रत भला कैसे कर सकता था कि मैडम के विदेश दौरों और खर्च का क्या रिकोर्ड जनता को उपलब्ध न कराये ?
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