मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 13 मार्च 2012

यूपी और एसपी की असली चुनौती-३

      विकास के नाम पर जिस तरह की हरकतें पिछली माया सरकार द्वारा की गयी अब उनसे भी ऊपर उठकर प्रदेश को सही तरह से समग्र विकास की तरफ ले जाने की आवश्यकता है और जितने आत्मविश्वास के साथ अखिलेश प्रदेश की दशा सुधारने की बात कर रहे हैं उससे आशा तो जगती है पर प्रदेश में वास्तविक बदलाव केलिए सबसे पहले पुलिस और प्राशासन को चुस्त दुरुस्त किये जाने की आवश्यकता होगी. कानून व्यवस्था के हिसाब से संवेदनशील प्रदेश में सबस पहले एक मज़बूत और ऊर्जावान गृह मंत्री की आवश्यकता होगी जो किसी भी स्तर पर आवश्यकता पड़ने पर आगे आकर स्थिति को सँभालने का माद्दा रखता हो. केवल नाम के मंत्रियों से अब प्रदेश में कुछ भी नहीं किया जा सकता है क्योंकि अब मंत्री पद की शोभा बढ़ाने वालों के स्थान पर काम करने वाले लोगों की ज़रुरत है और जब तंत्र में बहुत सारी कमियां हों तो और अधिक जुटकर काम करना होता है तभी वास्तविक बदलाव दिखाई देना शुरू हो सकता है. अब जब अखिलेश नयी शुरुवात करना ही चाहते हैं तो पूरी सपा की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि पूर्वाग्रहों और निजी प्रतिष्ठा को छोड़कर प्रदेश के लिए जो कुछ भी करना है सीएम को करने का अवसर प्रदान करें और उन अपर अनावश्यक दबाव बनाने की नीति को छोड़ दें. 
       पिछली सपा सरकारों के मुकाबले अब पुलिस और प्रशासन में केवल यादव लोग ही महत्वपूर्ण पदों पर बैठे नहीं दिखाई देने चाहिए क्योंकि इससे सरकार की छवि पर असर पड़ता है और साथ ही सीएम को इस बात के स्पष्ट सन्देश देने होंगें कि इस बार यह सब नहीं चलने वाला है. हाँ अगर किसी के साथ गलत हो रहा है तो उसे इस जाति,बिरादरी और धर्म के चश्मे को उतार कर कानून की आँख से देखने से ही कुछ वास्तविक परिवर्तन दिखाई देना शुरू हो सकता है. यह सही है कि हर पार्टी का अपना वोट बैंक होता है पर जब तुच्छ राजनैतिक हितों पर समाज और प्रदेश की भलाई की बातें की जाने लगती है तो इन सबसे लाभ उठाने वाले अपने आप ही कहीं गुम हो जाते हैं. अब यह देखने का विषय होगा कि इस आशाओं के मोर्चे पर अखिलेश किस तरह से डटे रहते हैं क्योंकि अब उनकी दृढ़ता ही इस बात को बता पायेगी कि इस बार की सपा सरकार पहले से किस तरह से भिन्न है. सपा की पिछले सरकारों में वास्तव में जिस तरह से अराजक तत्व प्रदेश में हावी रहा करते थे उनके लिए भी कानून का स्पष्ट सन्देश जाना चाहिए. आतंकियों की पनाह बने प्रदेश के कुछ इलाकों में और पूरे प्रदेश में आतंक के ख़िलाफ़ प्रभावी लड़ाई लड़ने के लिए समग्र नीति की आवश्यकता है क्योंकि अगर देश का इतना बड़ा हिस्सा आतंकियों के लिए आसान बना रहा तो आने वाले समय में यह देश के लिए भी घातक हो सकता है.
       प्रदेश में अविलम्ब पुलिस सुधारों को लागू किया जाना चाहिए और दिल्ली से सटे क्षेत्रों में दिल्ली की तर्ज़ पर आयुक्त प्रणाली को लागू किया जाना चाहिए जिससे दोनों जगहों पर काम करने का एक जैसा तरीका बना रहे और अपराधियों के लिए काम करना उतना आसान न रह जाये ? पुलिस के लिए जिन मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता है उनको तुरंत पूरा किया जाना चाहिए क्योंकि आधे अधूरे मन से लड़ी गयी कोई भी लड़ाई कभी भी जीती नहीं जा सकती है. पुलिस के वेतन भत्तों को तर्क संगत बनाया जाना चाहिए जिससे उन्हें अपनी और अपने परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भ्रष्टाचार से दूर रहने में आसानी हो सके. दिल्ली की तरह से कम्युनिटी पुलिसिंग को बढ़ावा देना ही होगा क्योकि जब तक आम नागरिक पुलिस के आँख कान नहीं बनेंगें तब तक सीमित संसाधनों से मैदान में डटे हुए कर्मियों के लिए सब कुछ ठीक कर पाना उतना आसान नहीं होने वाला है. पुलिस पर ऊँगली उठाने वालों को यह भी देखना चाहिए कि वे किस तरह से किन परिस्थितियों में काम करते हैं ? आम लोगों के मन में बसी पुलिस की पैसे वसूलने वाली छवि को पूरी तरह से बदलने की आवश्यकता है क्योंकि जब जनता को यह लगने लगेगा कि अब कुछ बदलना शुरू हो चुका है तो वह भी आगे आकर कुछ सहयोग करने में पीछे नहीं रहने वाली है. पुलिस के साथ स्थानीय लोगों का संवाद बढ़ाया जाना चाहिए और उसमें नेताओं की भागीदारी कम से कम रखी जानी चाहिए क्योंकि उनके आने से वह उद्देश्य ख़त्म हो जायेगा जिसे ध्यान में रखकर बदलाव किये जाने वाले हैं. प्रदेश के थाने और कोतवाली सपा के दफ्तरों में न शिफ्ट हो जाएँ इस बात का विशेष ध्यान तो रखना ही होगा.         
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1 टिप्पणी:

  1. अच्छे सुझाव, मान लें तब. लेकिन जिन अधिकारियों ने सपा का साथ खूब निभाया उन्हें तो अच्छी पोस्टिंग देनी ही पड़ेगी.

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