यूपी में सपा को चुनाव जीते काफी दिन हो चुके हैं पर अभी तक कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा है कि प्रदेश में कहीं पर भी उसका कोई राजनैतिक वजूद है क्योंकि जिस तरह से नयी सरकार के गठन के बाद से अभी तक प्रदेश की जनता और प्रशसन को केवल यही पता है कि प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन हो चुका है और किस मंत्री को कौन सा विभाग मिला है यह किसी को नहीं पता चल पा रहा है ? आख़िर किस नीति के तहत अखिलेश अभी तक मंत्रियों के विभागों की घोषणा करने से बच रहे हैं क्योंकि इस समय प्रदेश की स्थिति वैसी है जिसके पास काम करने के लिए पूरी फौज तो है पर किससे क्या काम लिया जाना है यह किसी को पता नहीं है. इस अनिर्णय की स्थिति का सबसे अधिक नुकसान प्रदेश में चल रहे बोर्ड और विश्विद्यालय की परीक्षा दे रहे विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है. जिस दिन से अखिलेश ने सत्ता संभाली है प्रदेश में बिजली की अचानक से किल्लत हो गयी है प्रदेश के तहसील मुख्यालयों को जहाँ चुनाव के समय तक १६ से १८ घंटे बिजली मिल रही थी अब वह घटकर केवल १० घंटे ही रह गयी है. कहीं इसके पीछे अधिकारियों या पिछली सरकार के कुछ निर्णय तो ज़िम्मेदार नहीं हैं जिनके कारण ही सत्ता परिवर्तन होते ही सब कुछ नयी सरकार पर छोड़ दिया गया है ? माया सरकार बहुत बड़े बड़े दावे करती थी कि प्रदेश में जल्दी ही इतनी बिजली होगी कि प्रदेश उसे खर्च नहीं कर पायेगा पर यहाँ तो ज़रूरी काम करने भर को बिजली भी नहीं बची है.
हो सकता है कि अखिलेश किसी विशेष महूर्त का इंतजार कर रहे हों जिस दिन से वे वास्तव में सत्ता को पूरी तरह से संभालना चाहते हों पर इस पूरे चक्कर में जनता को क्यों पीसा जा रहा है ? अगर प्रदेश के पास १४ मार्च तक भरपूर बिजली थी तो अब वह कहाँ चली गयी है और अगर किसी अस्थायी व्यवस्था के तहत बिजली दी जा रही थी तो वह अब क्यों नहीं संभव है ? जिन युवाओं के दम पर प्रदेश में सपा ने सत्ता संभाली है उनके लिए अगर परीक्षा के समय भी बिजली नहीं मिल सकती तो सरकार क्या कर रही है ? हो सकता है कि पिछली सरकार द्वारा ग़लत दावे किये जा रहे हों पर जब किसी भी तरह से स्थिति ऐसी हो जाये कि किसी को भी यह नहीं पता है कि आख़िर बिजली विभाग में हो क्या रहा है तो इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है ? माया के चहेते अधिकारियों के हटने के बाद से उन स्थानों पर नयी नियुक्तियों की क्या स्थिति है यह किसी को पता नहीं है अब इस तरह से खामोश रहकर यूपी की बागडोर कैसे संभाली जा सकती है कहीं न कहीं से आम जनता को यह लगना चाहिए कि कहीं सरकार भी है और जब तक मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं किया जा रहा है तब तक ख़ुद अखिलेश को आगे आकर इन बातों पर ध्यान देना ही होगा क्योंकि वे सरकार के मुखिया हैं और आज यह उनकी ही ज़िम्मेदारी है.
प्रदेश की जनता ने ८ घंटे की बिजली में भी जिंदा रहकर दिखाया है इसलिए जो भी स्थिति है उसे स्पष्ट करने की आवश्यकता है क्योंकि चुप होकर बैठने से सही स्थिति का पता नहीं चल पाता है और केवल शहरों में बिजली आ रही है इससे पूरे प्रदेश पर असर पड़ता है क्योंकि किसी भी सरकार की गाँवों को अनदेखा करने की कोई भी नीति कहीं से भी उसे लाभ में नहीं रख सकती है. सभी जानते हैं कि प्रदेश का ऊर्जा क्षेत्र व्यापक सुधार मांग रहा है और अब इसके लिए कुछ भी करने से पहले सही ढंग से इसका आंकलन करने की आवश्यकता है. पिछली बार जब मुलायम की सरकार थी तो वे प्रदेश को २०१२ तक कटौती मुक्त करने की बात किया करते थे और जाते समय माया सरकार २०१४ की समय सीमा बताया करती थी अब प्रदेश की जनता अखिलेश से यह सुनना कतई पसंद नहीं करेगी कि २०१८ में प्रदेश बिजली की कटौती से मुक्त हो जायेगा. इस तरह से वास्तविक स्थिति की अनदेखी करके नेता क्या बताना चाहते हैं अब अखिलेश को प्रदेश की बिजली पर श्वेत पत्र जारी कर जनता को जनता को यह स्पष्ट करना चाहिये कि आज क्या स्थिति है और इसे सुधारने के लिए उनकी सरकार क्या करने वाली है ? पिछली सरकारों ने केवल कोरी बातें ही की हैं अब प्रदेश की जनता कुछ भी सुनने को तैयार है बस सरकार उसे सही स्थिति के बारे में ईमानदारी से बताना तो चाहे. जीत के जश्न से बाहर निकल कर अब प्रदेश की बेहतरी के लिए काम शुरू करने का समय आ गया है और इसमें की जाने वाली कोई भी देरी आने वाले समय में सरकार की मुश्किलों को बढ़ाने का काम ही करने वाली है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
हो सकता है कि अखिलेश किसी विशेष महूर्त का इंतजार कर रहे हों जिस दिन से वे वास्तव में सत्ता को पूरी तरह से संभालना चाहते हों पर इस पूरे चक्कर में जनता को क्यों पीसा जा रहा है ? अगर प्रदेश के पास १४ मार्च तक भरपूर बिजली थी तो अब वह कहाँ चली गयी है और अगर किसी अस्थायी व्यवस्था के तहत बिजली दी जा रही थी तो वह अब क्यों नहीं संभव है ? जिन युवाओं के दम पर प्रदेश में सपा ने सत्ता संभाली है उनके लिए अगर परीक्षा के समय भी बिजली नहीं मिल सकती तो सरकार क्या कर रही है ? हो सकता है कि पिछली सरकार द्वारा ग़लत दावे किये जा रहे हों पर जब किसी भी तरह से स्थिति ऐसी हो जाये कि किसी को भी यह नहीं पता है कि आख़िर बिजली विभाग में हो क्या रहा है तो इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है ? माया के चहेते अधिकारियों के हटने के बाद से उन स्थानों पर नयी नियुक्तियों की क्या स्थिति है यह किसी को पता नहीं है अब इस तरह से खामोश रहकर यूपी की बागडोर कैसे संभाली जा सकती है कहीं न कहीं से आम जनता को यह लगना चाहिए कि कहीं सरकार भी है और जब तक मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं किया जा रहा है तब तक ख़ुद अखिलेश को आगे आकर इन बातों पर ध्यान देना ही होगा क्योंकि वे सरकार के मुखिया हैं और आज यह उनकी ही ज़िम्मेदारी है.
प्रदेश की जनता ने ८ घंटे की बिजली में भी जिंदा रहकर दिखाया है इसलिए जो भी स्थिति है उसे स्पष्ट करने की आवश्यकता है क्योंकि चुप होकर बैठने से सही स्थिति का पता नहीं चल पाता है और केवल शहरों में बिजली आ रही है इससे पूरे प्रदेश पर असर पड़ता है क्योंकि किसी भी सरकार की गाँवों को अनदेखा करने की कोई भी नीति कहीं से भी उसे लाभ में नहीं रख सकती है. सभी जानते हैं कि प्रदेश का ऊर्जा क्षेत्र व्यापक सुधार मांग रहा है और अब इसके लिए कुछ भी करने से पहले सही ढंग से इसका आंकलन करने की आवश्यकता है. पिछली बार जब मुलायम की सरकार थी तो वे प्रदेश को २०१२ तक कटौती मुक्त करने की बात किया करते थे और जाते समय माया सरकार २०१४ की समय सीमा बताया करती थी अब प्रदेश की जनता अखिलेश से यह सुनना कतई पसंद नहीं करेगी कि २०१८ में प्रदेश बिजली की कटौती से मुक्त हो जायेगा. इस तरह से वास्तविक स्थिति की अनदेखी करके नेता क्या बताना चाहते हैं अब अखिलेश को प्रदेश की बिजली पर श्वेत पत्र जारी कर जनता को जनता को यह स्पष्ट करना चाहिये कि आज क्या स्थिति है और इसे सुधारने के लिए उनकी सरकार क्या करने वाली है ? पिछली सरकारों ने केवल कोरी बातें ही की हैं अब प्रदेश की जनता कुछ भी सुनने को तैयार है बस सरकार उसे सही स्थिति के बारे में ईमानदारी से बताना तो चाहे. जीत के जश्न से बाहर निकल कर अब प्रदेश की बेहतरी के लिए काम शुरू करने का समय आ गया है और इसमें की जाने वाली कोई भी देरी आने वाले समय में सरकार की मुश्किलों को बढ़ाने का काम ही करने वाली है.
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