मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 3 मई 2012

बयान और शिष्टता

          अपने संसद और सांसदों के बारे में दिए गए बयान के कारण बाबा रामदेव एक बार फिर से सांसदों के निशाने पर आ गए हैं आजकल योगगुरु जिस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं उससे वे क्या साबित करना चाहते हैं यह तो वही जाने पर इससे उनकी समाज में स्वीकार्यता पर बहुत असर पड़ता है. केवल भाषण बाज़ी से अगर देश का कुछ भला होने वाला होता तो देश अब तक बहुत आगे निकल चुका होता पर आज हर व्यक्ति केवल देश को सुधारने के नाम पर नेताओं को ही गाली देने का काम करने लगा है ? क्या देश में अच्छे नेता बचे ही नहीं है क्या देश की संसद पर वास्तव में उन लोगों का ही कब्ज़ा हो गया है जिनका ज़िक्र बाबा कर रहे हैं ? यह देश का दुर्भाग्य ही है कि जब देश के पास एक ग़ैर राजनैतिक प्रधानमंत्री है तो उसे जनता ने पूरी शक्ति से काम करने की ताक़त ही नहीं सौंपी है और जब सरकारें इस तरह से समझौतों के तहत ही चलायी जायेंगीं तो चाहे कोई भी हो उसे कुछ न कुछ त्यागना ही पड़ेगा. सरकार और संसद को एक सुर में गाली देना आज एक स्टेटस सिम्बल बन चुका है जिसे भी कुछ कहना होता है तो वह कुछ मीडिया बाईट्स बटोरने के लिए सबसे पहले संसद को ही निशाने पर लेता है क्योंकि सभी जानते हैं कि अच्छी बातें करके बहुत जनता तक पहुँचने में बहुत समय लगता है और शालीनता का लिबास उतार फेंकने से सब बहुत आसान हो जाता है.
          क्या देश में केवल संसद ही अपने काम को ठीक से अंजाम नहीं दे पा रही है ? कुछ सवाल पूछे जाएँ तो सभी को असहज होना ही पड़ेगा ? क्या समाज की सेवा करने वाले एनजीओ पूरी निष्ठा से काम कर रहे हैं ? क्या देश के हर विभाग में काम करने वाले कर्मचारी ठीक काम करने सही तरीके से लगे हुए हैं ? क्या केसरिया चोले पहने बाबा लोगों की पूरी फौज देश की सेवा में ही लगी हुई है ? क्या व्यवस्था से परेशान होकर या निजी कारणों को अपने लिए प्रतिष्ठा मानकर सरकार को निशाने पर नहीं लिया जा रहा है ? क्या देश में प्रशासनिक मशीनरी ठीक तरह से काम कर रही है और वह अपने दायित्व को ठीक से निभा पा रही है ? क्या रोगियों को अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाएँ मिल पा रही हैं ? क्या किसी भी सरकारी विभाग में नियम पूर्वक काम हो पा रहा है ? जनता के सामने इतने सवालों को उठाने वाले लोग क्या देश के लिए सरकारें चुनते समय सामने आकर जनता को अब तक जागरूक करते रहे हैं ? किसी भी जगह काम करने के लिए क्या देश का हर वर्ग अपनी सुविधा के अनुसार भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं दे रहा है ? जब इस पूरी व्यवस्था में सभी लोग एक तरह से व्यवहार कर रहे हैं तो उँगली केवल संसद और नेताओं पर ही क्यों ? जब जनता ही नाकारा होकर अपने प्रतिनिधियों को इस तरह से चुनती है तो उनसे अच्छे काम की उम्मीद कैसे की जा सकती है ?
           जिस तरह से टीम अन्ना और बाबा ने सरकार पर निशाना साधने को अपना हक़ मान लिया है तो उनसे पूछा जाना चाहिए कि इसके लिए उन्होंने क्या किया है ? केवल दिल्ली में बैठकर जंतर मंतर और रामलीला मैदान में अनशन प्रदर्शन आसान हैं पर जनता जहाँ वास्तव में भ्रष्टाचार से त्रस्त है वहां जाकर उसकी समस्याओं को सुलझाना बिलकुल दूसरी बात है. एमपी में पुलिस अधीक्षक को कुचल कर मार दिया गया तो ये लोग कहाँ थे ? अगर दिल्ली/ भोपाल में बयान जारी करने के बजाय ये लोग उस स्थान पर जाने की हिम्मत जुटाते तो शायद जनता में इनकी स्वीकार्यता और बढ़ती. क्या कारण है कि टीम अन्ना आज तक पूरे देश में काम करने वाले लोगों को नहीं जुटा पाई है हर नए कदम से पहले उसकी मतभिन्नता सामने आती है और उसके काम करने की शक्ति कम लगने लगती है ? जो शक्ति जनता ने इन लोगों को दी है इन्होंने उसका अपने हिसाब से इस्तेमाल किया जबकि उसका इस्तेमाल जनता की ज़रूरतों के हिसाब से नहीं होना चाहिए क्या ? जब अपने उत्पादों को बेचने के लिए बाबा रामदेव देश के हर गाँव और शहर तक पहुँच सकते हैं तो अपने आन्दोलन को धार देने के लिए स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार मिटाने के लिए ये कुछ लोगों को क्यों नहीं तैयार कर सकते हैं ? लोग इनकी कथनी और करनी में अंतर देखकर अब उतनी तेज़ी से इनके आन्दोलन से आख़िर क्यों नहीं जुड़ रहे हैं इसका कोई आंकलन नहीं करना चाहता है ? यह सही है कि देश में सब कुछ ठीक नहीं है पर क्या किसी संस्था और वहां बैठने वाले लोगों के बारे में कुछ भी कहकर देश ठीक हो जायेगा ? अब इस तरह के विचारों से ऊपर उठकर अगर किसी को वास्तव में कोई प्रयास करने हैं तो वह करने के लिए स्वतंत्र है पर संसद और नेताओं को सामूहिक रूप से गाली देने वाले लोगों को कितना समर्थन मिल रहा है है यह सभी को दिखाई दे रहा है..      
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

2 टिप्‍पणियां:

  1. शुक्रवार के मंच पर, लाया प्रस्तुति खींच |
    चर्चा करने के लिए, आजा आँखे मीच ||
    स्वागत है-

    charchamanch.blogspot.com

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  2. क्या देश में अच्छे नेता बचे ही नहीं है क्या देश की संसद पर वास्तव में उन लोगों का ही कब्ज़ा हो गया है जिनका ज़िक्र बाबा कर रहे हैं ?.........फ़िलहाल तो इसी प्रश्न का उत्तर तलाश रहे हैं , आपके बहुत से तर्क वाज़िब हैं किंतु इस सच से ज्यादा तीखे नहीं कि आज बाबा रामदेव , अन्ना हज़ारे और इन जैसे अन्य जो भी मुद्दा उठा रहे हैं आखिर क्या वजह है कि आज देश की कोई भी राजनीतिक पार्टी , राजनेता उन मुद्दों को नहीं उठा रहा है सब कतरा के निकल जाने की जुगत में हैं

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