मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 9 मई 2012

यू पी की बिजली

       गर्मियों की शुरुवात होते ही जिस तरह से यू पी में बिजली कटौती का कोई समय ही नहीं रह गया है उससे यही लगता है कि पिछले दो दशकों में बिजली विभाग में जो कुछ भी अराजकता फैला कर रखी हुई है अब उसको झेलने के लिए पूरे प्रदेश की जनता अभिशप्त है. आज जिस तरह से प्रदेश में बिजली की मांग और आपूर्ति में अंतर रोज़ ही बढ़ता ही जा रहा है उससे तो आने वाले समय में बिजली का रोना और ही बढ़ने वाला है. केवल राजनीतिक लोक लुभावन घोषणा के चलते आज कहने को प्रदेश में भरपूर बिजली है पर जो ज़मीनी हकीकत है उससे वास्तविकता सभी के सामने आ रही है. किसी भी सरकार को इस बात की पूरी छूट है कि वह अपने वोट बैंक को पक्का करने के लिए कुछ भी करती रहे पर इसके साथ ही उसे यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि केवल वायदों के चक्कर में कुछ भी न कहा जाये ? जिस तरह से युवा अखिलेश के हाथों में आज प्रदेश की बागडोर है उस स्थिति में प्रदेश की जनता उनसे केवल वायदे नहीं वरन सच्चाई जानना चाहती है. इसलिए उन्हें इस मसले पर ख़ुद ही वास्तविक स्थिति स्पष्ट करने के लिए अधिकारियों को आदेश देने चाहिए. प्रदेश की जनता २४ घंटे बिजली चाहती भी नहीं है पर जितने भी समय बिजली मिले उससे कुछ काम तो हो सके पर इस बात के बारे में सरकार भी कुछ नहीं सोचना चाहती है.  
         वैसे आज प्रदेश में बिजली की जो स्थिति है उसे कोई भी सरकार आसानी से ठीक नहीं कर सकती है क्योंकि जिस तेज़ी से बिजली की मांग बढ़ती जा रही है उस तेज़ी से उसका उत्पादन नहीं बढ़ रहा है जिसका असर पूरी तरह से बिजली की स्थिति पर देखा जा सकता है. अब किसी भी लुभावने नारे के स्थान पर बिजली की उपलब्धता की जो स्थिति है उसे जनता के सामने खुलकर स्पष्ट कर देना चाहिए और उसके अनुसार ही आपूर्ति का नया रोस्टर बनाना चाहिए. बिजली भले ही ६ घंटे मिले पर जब भी मिले तो वोल्टेज पूरा मिले जिससे बिजली से चलने वाले उपकरण कम से कम ६ घंटे तो चल सकें अभी तक जितनी भी बिजली आ रही है उससे कोई भी काम पूरे नहीं किये जा सकते हैं क्योंकि इतने कम वोल्टेज से कोई भी काम नहीं किया जा सकता है. प्रदेश में बिजली की जो स्थित है और आबादी के अनुसार बिजली की जो भी आपूर्ति हो रही है उससे कुछ भी नहीं किया जा सकता है पर सरकार को आज भी अधिकारी पता नहीं किन आंकड़ों को दिखाकर आपूर्ति के बारे में बरगलाते रहते हैं. अखिलेश उस पीढ़ी के नेता हैं जो वास्तविकता में भरोसा करती है इसलिए उनसे यह आशा तो की ही जा सकती है कि वे जनता के सामने सही स्थिति स्पष्ट कर दें और जितनी भी बिजली दी जाए वो गुणवत्ता में उतनी होनी चाहिए जिससे आम आदमी अपने काम कर सके. २००२ में एक बार जनता यह समय भी देख चुकी है जब तहसील मुख्यालयों में केवल ८ घंटे बिजली आती थी अब जो भी सच है वह जनता के सामने आना ही चाहिए जिससे वह भी बिजली की सही स्थिति जान सके.                                
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