मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 10 मई 2012

फिर फ़र्ज़ी सिम

      लखनऊ में एक बार फिर से भारत संचार निगम के फ़र्ज़ी आई डी पर खरीदे गए सिम कार्ड बड़ी संख्या में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बेचे जाने की घटना के खुलासे के बाद भी इस दिशा में कोई ठोस काम नहीं किया जा रहा है जिससे आम मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए बड़ी समस्या खड़ी होने वाली है. इस फ़र्ज़ी सिंम बेचने वाले गिरोह के पर्दाफाश के बाद अब सरकार और मोबाइल कम्पनियों की पूरी व्यवस्था ही कटघरे में खड़ी हो गयी है क्योंकि इस तरह से किसी की भी फ़र्ज़ी आई डी पर कितने ही सिम निकाले और ग़लत तरीके से इस्तेमाल किये जा सकते हैं. इस गिरोह ने जिस तरह से लखनऊ के भारत संचार निगम निगम के कार्यालय में अपनी पहुँच बनाई और वहां से आम उपभोक्ताओं की आईडी की फोटो कॉपी पर बड़ी संख्या में सिम भी निकाले और उन्हें २ हज़ार तक की कीमत वसूलकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बेचा उससे यही लगता है कि देश में कानूनों के होने से कोई अंतर नहीं पड़ता है और कोई भी इन कानूनों का सही ढंग से अनुपालन करना ही नहीं चाहता है. मोबाइल कम्पनियों के लिए केवल यह महत्वपूर्ण है कि किस तरह से रोज़ उनके पास नए नए उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ती रहे भले ही उसके लिए देश की संप्रभुता पर ही कोई  आंच आ जाये ? 
          आज जिस तरह से हर जगह पर किसी भी काम को करवाने के लिए किसी से भी पूरे कागजातमांगे जाने लगे हैं जिसमें उसकी फोटो समेत बहुत कुछ होता है उससे लोगों की पहचान चोरी होने का ख़तरा बहुत बढ़ गया है. इस तरह के फ़र्ज़ी सिम कार्ड्स के माध्यम से नक्सली अपने काम को अंजाम देते रहते हैं और रोमिंग में होने के कारण इनकी सही लोकशन के बारे में जान पाना भी मुश्किल होता है जिससे नक्सलियों का काम बहुत आसानी से हो जाता है. अभी तक जितने भी लोगों की फ़र्ज़ी आई डी के माध्यम से इस तरह से सिम बाज़ार में आये हैं उससे कैसे छुटकारा पाया जाये आज की तारीख़ में यही सबसे बड़ा सवाल है क्योंकि जिन लोगों की पहचान चोरी हो चुकी है उसे बचने के लिए आज किसी के पास कोई समाधान नहीं है. व्यावसायिक प्रतिद्वंदिता में कम्पनियों ने अपने एजेंटों को पूरी छूट दे दी जिस कारण से इन एजेंटों ने मोबाइल कम्पनियों के कार्यालयों तक पहुँच बनाकर एक दूसरे से आम उपभोक्ताओं की आई डी बदलनी शुरू कर दी जिस कारण से ही आज बहुत बड़ी संख्या में फ़र्ज़ी सिम कार्ड बाज़ार में उपलब्ध हैं. इनका पूरी तरह से दुरूपयोग ही किया जा रहा है क्योंकि अगर किसी को अपने काम के लिए सिम लेना होता है तो वह अपने नाम से ही सिम खरीदना चाहता है.
      इस बारे में अब केवल कोर्ट या ट्राई द्वारा ही कुछ किया जा सकता है क्योंकि आज किसी भी उपभोक्ता को यह नहीं पता है कि उसके नाम से भारत भर में कहाँ और कितने सिम चल रहे हैं ? इसके लिए सबसे आसन काम यही होगा कि ट्राई अपने स्तर से सभी कम्पनियों को एक समय सीमा में सभी उपभोक्ताओं की जानकारी अपनी वेब साइट्स पर डालने के लिए कहे और उसके बाद इन सभी साइट्स को आपस में लिंक कर दिया जाये. कोई भी उपभोक्ता जिसे अपने नाम और आईडी के दुरूपयोग किये जाने की सम्भावना लग रही हो वह इस साईट पर अपना नाम डाल कर यह चेक कर सके कि उसके नाम से किस कम्पनी में कहाँ और कितने सिम बांटे जा चुके हैं. इसके साथ ही उपभोक्ता को अपनी पहचान सिद्ध करने एक बाद उसके नाम से चल रहे किसी भी सिम को बंद करवाने के अधिकार भी दिए जाने चाहिए जिससे आने वाले समय में यह फ़र्ज़ीवाडा बंद हो सके. पर देश में जिस तरह से मुसीबत आये बिना कोई भी काम नहीं किया जाता है तो उसी तरह से जब कोई बड़ी समस्या सामने आ जाएगी तो सरकार एकदम से ही कोई कदम उठाने के बारे में सोचेगी पर उससे पहले आम लोगों की पहचान को जिस तरह से फ़र्ज़ी तरह से इस्तेमाल में लाया जा रहा है उससे बचने के कोई मार्ग भी अभी तक नहीं दिखाई देता है. आम लोग केवल इस बात पर खुश हो सकते हैं कि अभी तक उनकी आई डी से कोई आतंकवादी आदि नहीं पकडे गए हैं और पुलिस उनको ढूंढती हुई उन तक नहीं पहुंची है.
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