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शुक्रवार, 18 मई 2012

यूपी पुलिस में सुधार

       शुक्रवार को लखनऊ में पुलिस विभाग की एक समीक्षा बैठक आयोजित की गयी है जिसमें प्रदेश में पुलिस के तेज़ी से आधुनिकीकरण पर तैयारी करने वाले अधिकारी ख़ुद सीएम अखिलेश के सामने इस प्रणाली के लाभों पर विस्तार से प्रकाश डालने वाले हैं. सभी जानते हैं कि पूरे देश में पुलिसिंग की जो स्थति है उससे निपटने लिए समग्र प्रयासों की आवश्यकता है पर विभिन्न राजनैतिक और स्थानीय कारणों से कोई भी सरकार इन सुधारों को लागू करवाना ही नहीं चाहती है. इस बार ख़ुद सीएम के स्तर से इस मसले पर ध्यान दिए जाने से यह आशा लगायी जा रही है कि प्रदेश पुलिस पर काम न करने का जो ठप्पा लगा रहता है वह हट जायेगा क्योंकि सूबे के मुखिया का समर्थन भी उन्हें मिला हुआ है अब उसे हटाने के लिए विभाग ने भी कमर कस ली है. अखिलेश ने अपनी प्राथमिकताओं में यह कह दिया है कि गाज़ियाबाद और नॉएडा में वे दिल्ली की तरह पुलिसिंग चाहते हैं जिससे दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर अपराधों के नियंत्रण पर वास्तव में कुछ किया जा सके.
       अभी तक जिस तरह से यूपी में पुलिस विभाग की तरफ कोई ध्यान नहीं देना चाहता था उस स्थिति में ख़ुद सीएम की रूचि वास्तव में विभाग को कुछ सोचने पर मजबूर तो कर ही रही है. अगर यह प्रयोग किया गया तो निश्चित ही इसके अच्छे परिणाम सामने आने वाले हैं तो इससे सीख लेते हुए प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में इस प्रणाली को लागू किया जा सकता है. आज जिस तरह से प्रदेश में पड़ोसी जिलों की पुलिस में भी कोई तालमेल नहीं होता है वैसी स्थिति में कुछ भी ठोस किये जाने के हर प्रयास का समर्थन तो होना ही चाहिए क्योंकि कभी न कभी इसकी शुरुवात तो करनी ही है तो उसमें अनावश्यक विलम्ब करने से कुछ भी हाथ नहीं आने वाला है. प्रदेश में पुलिस थानों की जो स्थिति है वह किसी से भी छिपी नहीं है उस स्थिति में आखिर कोई किस तरह से इस पुलिस से अच्छे काम की आशा कर सकता है जब पुलिस नेताओं के इतने दबाव में काम कर रही है ?
      अखिलेश जिस तरह से कुछ क्षेत्रों में एक समयबद्ध तरीके से काम कर रहे हैं वह प्रदेश के लिए बहुत अच्छा संकेत है क्योंकि जिस तरह से यहाँ पर पूरी गाड़ी ही पटरी से उतरी हुई है उसे सुधारने के लिए कड़े संकल्पों के साथ ठोस परिवर्तन करने की बहुत आवश्यकता है इसमें किसी भी तरह की देरी होने से अखिलेश सरकार पर भी पुराने तंत्र के हावी हो जाने के डर के सामने है क्योंकि जितना विलम्ब होगा यह तंत्र इस सरकार में भी अपने पैर जमा लेगा. प्रशासनिक सुधारों के बिना अब प्रदेश में कुछ भी ठीक नहीं किया जा सकता है. इस सम्बन्ध में जितने विभागों में प्रोन्नति रुकी पड़ी है उसे भी तेज़ी से पूरा करना चाहिए जिससे नयी भरती की जा सके और सरकार के काम काज में कुछ तेज़ी लायी ज सके. फिलहाल अखिलेश कि कम से कम एक वर्ष का समय तो दिया ही जाना चहिये जिससे वे जो भी पर्रिवर्तन करना चाह रहे हैं उनको कर सकें और उनके प्राथमिक परिणामों के अनुसार अपनी आगे की नीतियों का निर्धारण भी कर सकें.
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