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शुक्रवार, 8 जून 2012

हेल्थ कार्ड और बच्चे

      चिकित्सा को प्राथमिकता में शामिल करते हुए यूपी सरकार ने जिस तरह से एनआरएचएम् के तहत तीन दर्ज़न जिलों में २ से १४ साल तक के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करवा उनको हेल्थ कार्ड देने जा रही है उससे आने वाले समय में प्रदेश में बच्चों के स्वास्थ्य को काफ़ी हद तक सुधारा जा सकता है. अभी तक आम तौर पर किसी भी सरकारी योजना में जिस तरह से काम करने की इच्छा शक्ति नहीं दिखाई देती है उस स्थिति में यह योजना भी कितनी दूर तक चल पायेगी अभी नहीं कहा जा सकता है फिर भी सरकार द्वारा इस तरफ़ नयी तरह से सोचने से यह तो स्पष्ट हो गया है कि सरकार किन क्षेत्रों में तेज़ी से काम करना चाहती है. प्रदेश में केंद्रीय योजना में जिस तरह से पिछली सरकार के अधिकारी और नेता फंसते जा रहे हैं उससे यही लगता है कि कुछ अपनों को लाभ पहुँचाने के लिए इस महत्वाकांक्षी योजना पर कोई ध्यान ही नहीं दिया गया और इसके फंड की जिस तरह से लूट मचाई गयी उसने प्रदेश के पहले से ही बीमार स्वास्थ्य विभाग को कोमा में पहुंचा दिया.
      अच्छा ही है कि सपा सरकार इस मसले को केवल स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर नहीं देख रही है और इसमें मुख्य सचिव जिस तरह से ख़ुद ही इन कार्यों की समीक्षा करने की बातें कर रहे हैं उससे कहीं न कहीं से विभाग में यह संदेश तो जा ही रहा है कि अब ख़ुद अखिलेश के निर्देश पर ही यह काम ख़ुद मुख्य सचिव की निगरानी में है. ऐसा नहीं है कि सरकार के पास अच्छे और कर्मठ अधिकारीयों की कोई कमी है पर जब कहीं पर ख़ुद के स्वार्थ प्रदेश के हित पर हावी हो जाते हैं तो फिर किसी भी सरकार का कोई भी मंत्री या अधिकारी नियमों की अवहेलना कर सकता है. प्रदेश में बच्चों के स्वास्थ्य पर अभी तक कोई ध्यान ही नहीं दिया जाता है और जिस तरह से प्रदेश की स्थिति है उसमें बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं केवल सपना ही बनकर रह जाती हैं. इस स्थिति को तेज़ी से बदलने की ज़रुरत है और इसमें किसी भी तरह की राजनीति भी नहीं की जानी चाहिए क्योंकि इन बच्चों का किसी भी राजनीति से कोई मतलब नहीं है और उन्हें केवल कुछ सुविधाओं से ही बहुत राहत पहुंचाई जा सकती है.  
      प्रदेश सरकार ने डीजी स्तर से खोले गए सभी खातों को भी बंद करने के आदेश जारी किये और पुरानी व्यवस्था को फिर से लागू कर देने के आदेश भी दिए हैं क्योंकि इस नयी व्यवस्था में अलग से खोले गए खातों में इस मिशन की धनराशि को स्थानांतरित कर दिया गया और वहां पर इसमें जमकर धांधली की गयी जिसका पूरा असर आज प्रदेश की बदतर स्वास्थ्य सेवाओं पर दिखाई दे रहा है. अखिलेश सरकार को अपनी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुभवी मंत्रियों के साथ नयी उम्र और ऊर्जावान युवा मंत्रियों को लगाने का काम भी करना चाहिए क्योंकि जब तक अनुभव के साथ ऊर्जा का समावेश नहीं किया जायेगा तब तक स्थिति को बदलने में कोई सफलता नहीं मिल पायेगी ? साथ ही महत्वपूर्ण मंत्रालयों में सही मंत्रियों की तैनाती की जानी चाहिए जिससे सरकार के काम को लोग महसूस भी कर सकें. लखनऊ में बैठकर कोई भी योजना बनाना बहुत आसान है पर बेहतर तालमेल और इच्छा शक्ति के अभाव में उसे लागू करवा पाना बहुत ही कठिन है फिर भी आशा की जानी चाहिए कि इस योजना से बच्चों के स्वास्थ्य में गुणात्मक सुधार और बदलाव लाने में सफलता अवश्य ही मिलेगी.
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