मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 26 जुलाई 2012

कारगिल के सबक

              पाकिस्तान द्वारा छेड़े गए एक अघोषित पर पूरी तैयारी के थोपे गए कारगिल युद्ध के में भारत के विजय को आज १३ साल पूरे हो गए हैं आज भी हमारे उन अमर बलिदानियों की याद कर आँखें नम हो जाती हैं जिन्होंने इस युद्ध को शुरू में छोटी घुसपैठ समझने की ख़ुफ़िया चूक के कारण ही अपनी जान गंवाई थी. यह सवाल आज भी देश के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है कि आख़िर वे कौन से कारण थे जिनके कारण हमारी तैयारी पाक के उन चंद घुसपैठियों के सामने कुछ दिनों के लिए बौनी साबित हुई थी ? उस समय की ख़ुफ़िया चूक के लिए क्या किसी को दण्डित किया गया था या आज ऐसी क्या व्यवस्था बनायीं जा चुकी है जिससे इस तरह के किसी भी हमले को समय रहते जाना जा सके और उसके ख़िलाफ़ सही दिशा में कार्यवाही भी की जा सके ? आज संप्रग सरकार ने कुछ ऐसे कदम अवश्य उठाये हैं जिनसे पाक समर्थित आतंकियों और अनधिकृत रूप से भारत में प्रवेश करने वालों का काम मुश्किल तो अवश्य हुआ है फिर भी हमें निरंतर समीक्षा और सजग रहने की ज़रुरत तो है ही क्योंकि पाक जैसा देश और उसके द्वारा समर्थन प्राप्त आतंकी किसी भी समय कुछ भी कर सकते हैं.
         कारगिल युद्ध के समय ही हमारी सैनिक तैयारियों की पोल भी खुली थी क्योंकि उस बर्फीले मौसम में जिंदा रहने के लिए जिस आवश्यक साजो सामान की आवश्यकता थी वह हमारे सैनिकों के पास था ही नहीं और उस समय अचानक से सारी व्यवस्था कर पाना और भी मुश्किल था. यह सही है कि कारगिल के बाद से हमारी युद्ध सम्बंधित तैयारियों पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा है फिर भी हमारी लम्बी अंतर्राष्ट्रीय सीमायें और दो विद्वेष रखने वाले पड़ोसियों के होते क्या हम उतने सक्षम हैं जितना हमें होना चाहिए ? पाक का सारा वजूद ही भारत विरोध पर टिका हुआ है पर चीन के साथ हमारे आर्थिक रिश्ते मज़बूत होने से आज उससे हमें उतना ख़तरा नहीं रह गया है फिर भी पाक से किसी भी तरह के युद्ध या विवाद के समय चीन निष्पक्ष नहीं रहने वाला है जिससे हमारी सेना पर अतिरिक्त दबाव बन सकता है. आने वाले समय में चीन के साथ आर्थिक मुद्दे पर भी कोई युद्ध हो सकता है जिसका असर हमारी सीमाओं पर भी पड़ सकता है क्योंकि चीन इस तरह की ध्यान बंटाने वाली गतिविधियाँ करके अपने कूटनीतिक रास्तों को हमेशा से ही आजमाता रहा है.
            आज भी पाक से साथ हमारे रिश्ते पहले जैसे ही हैं और आने वाले समय में इनके अच्छे होने की सम्भावना भी नहीं है क्योंकि पाक कश्मीर और देश के अन्य हिस्से में अलगाववादियों को अपना समर्थन देना बंद नहीं करेगा जिससे हमारे सम्बन्ध उससे कभी भी सामान्य नहीं हो पायेंगें. पाक के लिए आज सियाचीन का मुद्दा बहुत बड़ा हो गया है क्योंकि भारत वहां पर लाभ की स्थिति में बैठा हुआ है और हाल ही में भूस्खलन के कारण पाक के सैनिकों की मृत्यु होने से भी पाक अब वहां पर रहना नहीं चाहता है पर अभी तक जैसा काम पाक ने कारगिल में किया था उसे देखते हुए उस पर किस तरह से भरोसा कर लिया जाये क्योंकि आज जब वह लाभ की स्थिति में नहीं है तो सैनिकों को हटाने की बात कर रहा है और कल जब वह किसी भी तिकड़म से यहाँ पर बैठ पायेगा तो भारत के लिए बड़ी समस्या पैदा होने वाली है. भारत के लिए अब यह महत्वपूर्ण है कि लाभ की स्थिति को किसी भी स्थिति में वह नहीं छोड़े पर भारत में कुछ लोग शांति के समर्थन में आज भी वाघा सीमा पर कुछ कुछ करते रहते हैं जिससे शांति नहीं आने वाली है क्योंकि पाक को इस तरह की शांति की कोई भी बात समझ में नहीं आती है तो उसके लिए अनावश्यक रूप से कुछ भी करना आवश्यक नहीं है. हमें अपनी तैयारियों को शांति काल में भी युद्ध की तरह जारी रखना चाहिए क्योंकि बात करने वाले मुखौटे के पीछे से फिर से किसी पाक जनरल की बदनीयती कभी भी सामने आ सकती है.     
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