मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 29 जुलाई 2012

पाक की हरकतें

               जम्मू कश्मीर में सांबा सेक्टर के चचवाल क्षेत्र में जिस तरह से ज़मीन में २२ फीट नीचे और भारतीय सीमा में लगभग १०० मीटर अन्दर तक एक सुरंग मिली है उससे यह साबित हो गया है कि पाक के हुक्मरान चाहे जितनी भी सद्भाव की बातें करते रहें पर उनके दिल से भारत के लिए नफ़रत कभी भी कम नहीं हो सकती है या वे विभिन्न कारणों से इसे कम नहीं होने देना चाहते हैं ? जिस तरह से भारत में कुछ लोग और समूह हमेशा से ही पाक से अच्छे सम्बन्ध बनाये रखने की हिमायत करते रहते हैं उन्हें क्या यह भी दिखाई नहीं देता कि भारत के राष्ट्रीय हितों पर पाक हर समय किस तरह से चोट देने की कोशिश करता रहता है ? इस तरह की घटनाओं के लगातार सामने आने से यह बात तो स्पष्ट ही है कि भारतीय चाहे किसी भी तरह से पाक को अपना दोस्त और पड़ोसी माने पर पाक के मन से भारत के प्रति दुश्मनी कभी भी ख़त्म होने वाली नहीं है. ऐसे में भारत के पास आख़िर कितने रास्ते बचते हैं जिन पर चलकर वह अपनी स्थिति को मज़बूत बनाये रख सके ?
          देश के सबसे संवेदनशील इलाक़े में भी हमारा ख़ुफ़िया तंत्र कितना मज़बूत हैं यह विचार करने योग्य है क्योंकि कारगिल घुसपैठ के समय भी एक चरवाहे ने उन हरकतों के बारे में सेना और स्थानीय अधिकारियों को बताया था इस बार भी यह सूचना एक स्थानीय कृषक के माध्यम से सामने आई हालांकि इसमें कुछ ख़ुफ़िया चूक से इनकार नहीं किया जा सकता है फिर भी जिस तरह से २२ फीट नीचे यह सुरंग खोदी जा रही थी उस स्थिति में इसका आसानी से सामने आ पाना मुश्किल ही था पर बरसात के पानी ने पाक के इस मंसूबे पर पानी फेर दिया. आख़िर पाक ने यह सुरंग खोदने के लिए इस इलाक़े को ही क्यों चुना यह भी सोचने का विषय है क्योंकि हो सकता है कि इस इलाक़े में पाक के कुछ ऐसे हिमायती बैठे हों जो सुरंग के बन जाने के बाद उसकी गुपचुप तरीके से मदद करते और आतंकियों के आवागमन के लिए एक सुरक्षित रास्ता बनवाने में पाक सरकार की मदद करते. १९८६ में राजीव सरकार द्वारा सबसे पहले पूर्वोत्तर और उत्तर पश्चिम सीमा पर बाड़ लगाने का काम शुरू किया गया था जिसके परिणाम अब घुसपैठ को रोकने में सफल होने के रूप में सामने आये हैं जिससे बिलबिलाये पाक ने अभी तक अपनी कोशिशें जारी रखी हुई हैं.
          इस बारे में अब एक ठोस नीति बनाये जाने की आवश्यकता है और जिस तरह से सुरंग बनाये जाने की यह घटना हुई है उससे यह भी शंका होती है कि पाक हो सकता है कि नियंत्रण रेखा के उस पार से ऐसी कई सुरंगें बनाने का काम करने में लगा हो और जिस तरह से कश्मीर में दुर्गम स्थानों से होकर नियंत्रण रेखा गुजरती है उसमें इस तरह से घुसपैठ करने की कोशिश कहीं से भी की जा सकती है. सेना और स्थानीय प्रशासन को अब इस बात पर भी विचार करना होगा और इस तरह की किसी भी सुरंग या ज़मीन के नीचे की हरकतों को पकड़ने के लिए आवश्यक उपकरण भी जुटाने होंगें क्योंकि अब पाक इस तरह की हरकतों से आतंकियों को जिहाद के नाम पर घुसपैठ करवाने से नहीं मानने वाला है. पाक के मंसूबे सबके सामने हैं तो इस स्थिति में अब हमारे लिए और सतर्क होने और इस तरह के किसी भी प्रयास का समय रहते पता लगाने की व्यवस्था करने की ज़रुरत है क्योंकि इस बार बारिश ने काम आसान कर दिया है पर हर बार तो हमारी लापरवाही को दिखाने में प्रकृति हमारी मदद नहीं करने वाली है. पाक को अब भी यह समझ में नहीं आया है कि जिस कश्मीर में वह खून खराबा करता है वहां पर उसकी इस हरकतों से सबसे ज्यादा घाटी के आम मुसलमान ही प्रभावित होते हैं.  
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

2 टिप्‍पणियां:

  1. पाकिस्तान की नेक नियत पर हमेशा सवालिया निशान लगते रहते हैं . इतिहास गवाह है पर दुर्भाग्य है की हम समय रहते सचेत नहीं रहते हैं . मैंने एक समाचार पत्र में पढ़ा था की भारतीय सेना द्वारा भी पूर्व में कुछ बंकर बनाये थे और उन्हें बाद में खाली कर छोड़ दिया गया था उन पर पाकिस्तानियों घुसपैठियों द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया था जो बाद में भारी जद्दोजहद के बाद खाली करवाए गए .....

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  2. इसके बाद भी क्रिकेट खेल कर सौहार्द्र बढ़ाएंगे
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
    हमारे वेबपेज को आपका इंतज़ार है

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